Rani Singh 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rani Singh 22 Oct 2023 · 2 min read धरती का बस एक कोना दे दो सुनो सरकारो! सुनो सरदारो! सुनो हुक्मरानो! सुनो मुल्क के अधिपतियो! पर्वत/ पठार/ समंदर ले लो धरती का विस्तृत भूभाग ले लो धन-ऐश्वर्य, मणि-माणिक्य, सोना ले लो तख्त-ओ-ताज के ओ सौदागर!... Hindi · कविता 1 185 Share Rani Singh 11 Aug 2021 · 1 min read परथन का आटा रोटियाँ बेल रही माँ के कंधे पर झूलती छोटी बच्ची ज़िद करती थी अक्सर माँ ! रहने दो ना एक आखिरी छोटी वाली लोई मैं भी बनाऊँगी एक रोटी जो... Hindi · कविता 7 4 1k Share Rani Singh 20 Jul 2021 · 4 min read भविष्य की परिकल्पना दलित बस्ती की परबतिया की तीन बेटियाँ हैं। वैसे परबतिया को सब कुर्सेला वाली ही कहते हैं। उसका घर वाला मने कि उसका पति है बेचन ऋषि। अब गाँव-घर में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 5 767 Share Rani Singh 20 Jul 2021 · 3 min read अपनी जिंदगी अपने तरीके पिछले दो सालों से दोनों बेटों के विदेश में सेटल होने के कारण 65 वर्षीय आनन्द एकाकी जीवन बिता रहे थे, क्योंकि पत्नी भी पंद्रह साल पहले ही स्वर्गवासी हो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 457 Share Rani Singh 18 Jul 2021 · 10 min read रौशन गलियों का अंधेरा "अरी ओ चंचल...! सुन काहे नहीं रही हो ? कब से गला फाड़े जा रहे हैं हम और तुम हो कि अनठा के चुप बैठी हो। आ कर खा लो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 2 502 Share Rani Singh 17 Jul 2021 · 6 min read तुम्हारा राम "कजरी, कजरी....! अरी ओ कजरी।" कजरी की पड़ोसन झूमरी खुशी से चहकती हुई कजरी के आँगन में आयी। "अरे, का हुआ ? काहे सुबह-सुबह गला फाड़ रही है।" चापानल पर... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 608 Share Rani Singh 17 Jul 2021 · 7 min read आप से तुम तक आप से तुम तक निधि और रितिक की शादी धूमधाम से सम्पन्न हुई। निधि हजारों सपनों और अरमानों को संजोए विदा हो कर ससुराल आयी। घर में मेहमानों की गहमा-गहमी,... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 685 Share Rani Singh 15 Aug 2020 · 1 min read मैं'तिरंगा' मैं 'तिरंगा' मैं 'तिरंगा' प्रतीक तुम्हारे शान की तुम न मेरा अपमान करो बांटकर मेरे रंगों को अलग-अलग धूमिल न मेरा मान करो। मेरे खातिर वीर जो हुए कुर्बान बस... Hindi · कविता 2 2 482 Share Rani Singh 5 Aug 2020 · 1 min read उफ़नते वक्त में उफन रहा है वक्त खौल रहा है बाढ़ से उफनती नदियों की खौलती धार की तरह ऊँचे-ऊँचे उठते इसके ढ़ेहुओं के चपेट में आकर मचान,खोपरी-झोंपड़ी,कच्चे-पक्के घर एक तल्ला से लेकर... Hindi · कविता 6 7 327 Share Rani Singh 31 Jul 2020 · 1 min read तस्वीरें नहीं बदलीं कलम के सिपाही को शत-शत नमन ? ओ संवेदना के शिखर पुरुष ! कलम के सच्चे सिपाही ! ओ कथा सम्राट! तुमने समाज की जिन सड़ी-गली रूढ़ियों से आती सड़ांध... Hindi · कविता 6 8 458 Share Rani Singh 30 Jul 2020 · 1 min read विकास "अजी! नाम क्या है तुम्हारा ?" "साब, मंगरू नाम है मेरा।" "ओह हो ! ये कैसा नाम है ? एकदम अनपढ़ गंवार जैसा।" "साब ! गंवार लोग ही तो हैं... Hindi · लघु कथा 1 447 Share Rani Singh 30 Jul 2020 · 3 min read आजादी का सुख "अरी बहन चमेली, तुम्हारे पत्ते आज मुरझाए-से क्यों लग रहे हैं?" बरामदे पर रखे गमले में शान से खड़े गुलाब के पौधे ने क्यारी में खड़े चमेली के पौधे से... Hindi · कहानी 2 2 1k Share Rani Singh 29 Jul 2020 · 1 min read तीसरी राखी हमेशा की तरह सावन आ जाता है नियत समय पर राखी का त्योहार लेकर और मैं.... मैं हमेशा की तरह हर बार मैं खरीदती हूँ तीन राखियाँ सजाती हूँ थाली... Hindi · कविता 5 10 485 Share Rani Singh 28 Jul 2020 · 1 min read भटकन ओ ! दुनिया के प्रथम प्रेम ढूँढ़ना चाहती हूँ तेरे अवशेषों को महसूसना चाहती हूँ तेरी रुमानियत को। किस खंडहर में कैद है किस सिला पर अंकित है तेरी प्रथम... Hindi · कविता 5 6 497 Share Rani Singh 28 Jul 2020 · 1 min read ढोंग है तुम्हारा लिखना स्त्री सौन्दर्य की बखिया उधेड़ बखान करने वाले उसके अंग-प्रत्यंग को तरह-तरह के उपमाओं से अलंकृत करने वाले स्त्रियों की महिमा का गुणगान करने वाले प्रेम की चाशनी में कलम... Hindi · कविता 4 403 Share Rani Singh 27 Jul 2020 · 1 min read तुम्हारी ख्वाहिश जैसे पानी की बूंदें तुम्हें देखती हूँ दूर से कभी-कभी थोड़ी करीब से भी खो जाती हूँ तुम्हारे ख्यालों में बस यूं ही जब कभी तब महसूस करती हूँ तुम्हें अपने आस-पास ही कहीं... Hindi · कविता 5 14 641 Share Rani Singh 26 Jul 2020 · 1 min read बिंदो दादी एक से दूसरे दूसरे से तीसरे तीसरे से चौथे आँगन होते हुए गाँव के एक छोर से दूसरे छोर तक घूम आती थी वो। किसका चूल्हा जला, किसका नहीं किसके... Hindi · कविता 4 2 591 Share Rani Singh 25 Jul 2020 · 2 min read इस बार सावन में हरियाया नहीं जी हुलसा नहीं मन मेरा हरी साड़ी और चूड़ियाँ पहनने को एक भी दिन बिंदी हरी लगाने को न ही रचाने को मेंहदी अपनी हथेली पर और न... Hindi · कविता 5 8 333 Share Rani Singh 15 Jun 2020 · 1 min read आत्महत्या कितने मुश्किलों से दम उसने तोड़ा होगा कैसे उसने उस तड़प को सहा होगा जब आखिरी साँस ने तन का पिंजरा छोड़ा होगा अंग-अंग उसका कितना तड़तड़ाया होगा ? क्या... Hindi · कविता 5 9 294 Share Rani Singh 19 Apr 2020 · 1 min read बची रहे मानवता कोरोना के कहर से हमने अनुभव यह पाया है धन-दौलत, पद, सत्ता का मोह बस भूल-भूलैया है। हो सत्ता के सिरमौर या सुंदर स्वस्थ बदन गठीला उसके आगे एक न... Hindi · कविता 1 2 631 Share Rani Singh 27 Mar 2020 · 1 min read मुद्दतों बाद मुद्दतों बाद निहाल हुई हैं माएं अपने बेटे को सुकुन से निवाला मुंह में लेते हुए देखकर। कर रही हैं बातें भरपेट ऑफिस के काम और घर के बीच भाग-दौड़... Hindi · कविता 1 548 Share Rani Singh 26 Mar 2020 · 2 min read कोरोना हार मानेगा मंत्री हूँ मैं संतरी हूँ सांसद हूँ विधायक हूँ बाहुबली हूँ, महाबली हूँ अधिकारी हूँ, आतंकी हूँ अरबपति हूँ मैं करोड़पति हूँ मैं नेता हूँ, अभिनेता हूँ फेमस हूँ, पॉपुलर... Hindi · कविता 1 2 308 Share Rani Singh 20 Nov 2019 · 1 min read चिड़िया मैं चिड़िया चिड़िया मैं चिड़िया घूमूँ सारी दुनियाँ जैसे पंखों वाली परियाँ। गाँव देखूँ, शहर देखूँ देखूँ फूलों वाली बगिया जहाँ खिलखिलाती कलियाँ। दिन भर मैं उड़ती फिरुँ हरे-भरे खेत खलिहानों से... Hindi · कविता · बाल कविता 1 419 Share Rani Singh 15 Sep 2019 · 1 min read बिंदी 1. हमारी हिन्दी शोभित माँ भारती मस्तक बिंदी। 2. करें संकल्प कनक बिंदी सम हिंदी चमके। 3. मस्तक बीच सुहाग की निशानी सिंदूरी बिंदी। ©️ रानी सिंह पूर्णियां,बिहार Hindi · हाइकु 2 294 Share Rani Singh 14 Sep 2019 · 1 min read हिन्दी सबको जोड़ने वाली *हिंदी सबको जोड़ने वाली* तेरी तोतली जुबान से तुतलायी हूँ लोरियों संग झूम -झूम तुम्हें मीठी नींद सुलायी हूँ। तेरी किलकारी में मैं ही पुलक-पुलक कर किलकी हूँ। मैं तेरी... Hindi · कविता 2 2 517 Share Rani Singh 13 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक जब राजा सत्ता-सिरमौर था, तब राजशाही का दौर था। आज सत्ता पर वही आसीन है, कल जिसका ना कोई ठौर था।। भीड़तंत्र का बोलबाला है, नित दिन होता घोटाला है।... Hindi · मुक्तक 3 4 494 Share