Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2020 · 3 min read

आजादी का सुख

“अरी बहन चमेली, तुम्हारे पत्ते आज मुरझाए-से क्यों लग रहे हैं?”
बरामदे पर रखे गमले में शान से खड़े गुलाब के पौधे ने क्यारी में खड़े चमेली के पौधे से पूछा।

“अरे कुछ नहीं भाई, आज धूप काफी तेज है न, इसलिए मेरे पत्ते थोड़े मुरझाए-से हैं। सूरज ढलते मैं फिर तरोताजा हो जाउंगी।” चमेली ने मुस्कुराते हुए कहा।

“हाँ…..हाँ…..हाँ…….! मेरे तो मजे हैं। खूबसूरत गमले में रहता हूँ। तेज धूप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
तुम तो एक जगह पड़ी रहती हो। मैं तो कभी सुबह की धूप खाने तेरे पास क्यारी में ले जाया जाता हूँ, कभी सीढ़ी पर रहता हूँ तो कभी छत पर भी। वहां से तो मैं शहर के नजारे भी देखता हूँ।” गुलाब ने चमेली पर हँसते हुए कहा।

अरे तू क्या जाने खुली हवा में और धरती माँ की गोद में रहने का क्या मजा है । तू तो गमले में कैद रहता है। तुम्हें क्या पता आजादी का सुख क्या होता है? तुम तो पानी भी पीते हो दूसरे की मर्जी से।” चमेली ने सच्चाई जाहिर की।
आए दिन दोनों में ऐसी तकरार होती रहती थी।
एक रात जोरों की आँधी आई। गुलाब तो आराम से बरामदे में सोया रहा, परंतु क्यारियों के बहुत-से फूल नष्ट हो गये। चमेली की भी पत्तियाँ झड़ गई। कुछ टहनियाँ भी टूट गईं।
सुबह-सुबह गुलाब ने फिर चमेली को ताना मारते हुए कहा, “तेरी आजादी किस काम की ? कैसा बुरा हाल बन गया तेरा, अब बता तू भली या मैं भला?”

“अरे ये तो मामूली-सी चोटें हैं। चंद दिनों में ठीक हो जाएंगी। थोड़ी कष्ट सहने की भी आदत होनी चाहिए।” चमेली ने कहा।
“हाँ,हाँ! तू तो ऐसा ही कहेगी।” गुलाब तुनक कर बोला।

इसी तरह लड़ते-झगड़ते एक साल बीत गया।

” ओह….. आह…..आह….हाय!”
एक रात अचानक चमेली ने किसी के कराहने की आवाज सुनी। उसने चारों ओर नजरें दौड़ाई पर अंधेरे में कुछ नजर नहीं आया।

अगली सुबह गुलाब कुछ उदास नज़र आ रहा था। उसके चेहरे से रौनक गायब थी।
“गुलाब भाई, तुम आज उदास क्यों हो?” चमेली ने पूछा।
“क्या बताऊं बहन, मैं तो रात भर सो न पाया। मेरी जड़ों में भयानक दर्द है। सारी रात मैं छटपटाता रहा।” गुलाब उदास हो कर बोला।
“क्या हो गया तुम्हारी जड़ों में?” चमेली ने हमदर्दी जताते हुए पूछा।
” इस गमले में मेरी जड़ें सिकुड़ती जा रही हैं। मुझे घुटन महसूस हो रही है। अब मुझे आजादी का मतलब समझ में आ रहा है। बहन, मेरी किसी तरह मदद करो।”
गुलाब ने चमेली से कहा।

” मुझे कुछ उपाय सोचने दो भाई, फिर मैं बताती हूँ।” चमेली यह कहते हुए सोचने लगी।
काफी सोचने के बाद चमेली ने गुलाब को रास्ता सुझाया-
“भाई, तुम अपनी सारी ताकत जड़ों में लगा दो ताकि ये गमले को तोड़ सके। एक बार गमला टूट जाए,तो तुम्हें आजादी मिल जाएगी।”

“नहीं बहन, मुझसे यह नहीं हो पायेगा।” गुलाब उदास हो कर बोला।
“अरे कोशिश कर के तो देखो। मिट्टी का ही तो गमला है।” चमेली ने समझाया।
“ठीक है, मैं पूरी कोशिश करूँगा।” गुलाब ने कहा।
उसने सारी ताकत जड़ों में लगा दिया। कुछ ही दिनों में गमले के दो टुकड़े हो गये।
शाम को माली फूलों में पानी देने आया तो गमले को टूटा हुआ देखकर फौरन गुलाब को उठाया और क्यारी में जाकर लगा दिया।

कुछ ही दिनों में गुलाब पर फिर से हरियाली छा गयी। फूलों से वह लद गया। वह खुशी से झूम रहा था।

“धन्यवाद! चमेली बहन, तुम्हारी वजह से मुझे आज राहत महसूस हो रही है।” गुलाब ने कृतज्ञता व्यक्त किया।
“अरे ! धन्यवाद कैसा? दुःखियों की मदद करना तो हमारा फर्ज है और फिर तुम तो मेरे मित्र भी हो।” चमेली ने मुस्कुराते हुए कहा।
गुलाब का चेहरा भी खिल उठा।

©️रानी सिंह
पूर्णियाँ, बिहार

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 1366 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
माफिया
माफिया
Sanjay ' शून्य'
बेटी
बेटी
Akash Yadav
राह पर चलते चलते घटित हो गई एक अनहोनी, थम गए कदम,
राह पर चलते चलते घटित हो गई एक अनहोनी, थम गए कदम,
Sukoon
प्रेम
प्रेम
Rashmi Sanjay
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
Ranjeet kumar patre
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
"सारे साथी" और
*Author प्रणय प्रभात*
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
subhash Rahat Barelvi
पकड़ मजबूत रखना हौसलों की तुम
पकड़ मजबूत रखना हौसलों की तुम "नवल" हरदम ।
शेखर सिंह
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*मतदान*
*मतदान*
Shashi kala vyas
प्रहरी नित जागता है
प्रहरी नित जागता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
Awadhesh Kumar Singh
Safar : Classmates to Soulmates
Safar : Classmates to Soulmates
Prathmesh Yelne
मौसम तुझको देखते ,
मौसम तुझको देखते ,
sushil sarna
"शर्म मुझे आती है खुद पर, आखिर हम क्यों मजदूर हुए"
Anand Kumar
*फिर से बने विश्व गुरु भारत, ऐसा हिंदुस्तान हो (गीत)*
*फिर से बने विश्व गुरु भारत, ऐसा हिंदुस्तान हो (गीत)*
Ravi Prakash
2803. *पूर्णिका*
2803. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
अगर सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो उस पर चला जा सकता है, मगर
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
वक़्त के साथ वो
वक़्त के साथ वो
Dr fauzia Naseem shad
हम रहें आजाद
हम रहें आजाद
surenderpal vaidya
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
Kumud Srivastava
Learn to recognize a false alarm
Learn to recognize a false alarm
पूर्वार्थ
जनरेशन गैप / पीढ़ी अंतराल
जनरेशन गैप / पीढ़ी अंतराल
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
ये राज़ किस से कहू ,ये बात कैसे बताऊं
ये राज़ किस से कहू ,ये बात कैसे बताऊं
Sonu sugandh
ये तनहाई
ये तनहाई
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"आम"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...