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27 Mar 2020 · 1 min read

मुद्दतों बाद

मुद्दतों बाद निहाल हुई हैं माएं
अपने बेटे को सुकुन से निवाला
मुंह में लेते हुए देखकर।

कर रही हैं बातें भरपेट
ऑफिस के काम और घर के बीच
भाग-दौड़ करते अपने लाल से।

लुटा रही हैं अपने अनुभवों के
अनमोल खजाने को होमवर्क और
बस्ते के बीच पिसते नई पीढ़ियों पर।

बता रही हैं कामकाजी बहुओं को
किचन में खाने का स्वाद और रिश्तों के
मिठास बढ़ाने के भेद और नुस्खे।

‘कोरोना’ जैसी महामारी का डर भी
दिखता नहीं उनके चेहरे पर क्योंकि
मुद्दतों बाद ‘घर’ लगा है ‘घर’ जैसा।

©️ रानी सिंह, पूर्णियाँ, बिहार

Language: Hindi
1 Like · 449 Views
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