Purdil Shiddharth Language: Hindi 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Purdil Shiddharth 18 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक मुहब्बत रेजगारी है क्या, जो खर्च हो जाय मुहब्बत तो रुह में बसी खुशी है जो जितनी खर्च हो सूद उतना ही बढ़ता जाय ! ...पुर्दिल २. तुम रोज-रोज यादों... Hindi · मुक्तक 1 270 Share Purdil Shiddharth 18 Aug 2019 · 1 min read कविता क्या तुम धुप बनोगे ... ? एक रात के लिए ... ? और बरस जाना सुबह तक... मेरा गिलाफ सूखने तक... तब तक रात और सुबह को मुट्ठी में थामें... Hindi · कविता 1 653 Share Purdil Shiddharth 17 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. दिल मेरा दिल से बफादार था थोड़ा दूसरों के दुखों से बेज़ार था कश्मकश में जो कट रही थी जिंदगी बस इस लिए ख़ुद से ख़ुद का गद्दार था।... Hindi · मुक्तक 2 377 Share Purdil Shiddharth 17 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक वो इश्क को भी बीमार कर देगा जो हसरतों के नक़्शे खींचा करता है तुम ख़्वाबों से भरा दिल लेकर दूर रहो दिल फ़रियादी होकर लाचार करता है ! ...पुर्दिल Hindi · मुक्तक 1 272 Share Purdil Shiddharth 16 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. श्राप लगा था उसे, पत्थरों में दबी रही थी सदियों प्रेम की हवा लगी वो निखर आई रूहानी सुन्दर होकर... ...पुर्दिल Hindi · कविता 2 268 Share Purdil Shiddharth 16 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. हमने लिबास समझ कर तुम्हें पहना ही नही था कफ़न थे हमारे रूह का, वो भी तुम तो नोच चले ! ...पुर्दिल *** मेरी चाहत की सिद्द्त तुम्हें पता... Hindi · मुक्तक 2 439 Share Purdil Shiddharth 16 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. तूने पलट कर एक नजर देखा ही नही, बैठी थी मैं किस आस में तू गुजर गया हवा बन कर, अब दिल मेरा खौफ़ के आगोश में है !... Hindi · मुक्तक 2 492 Share Purdil Shiddharth 16 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. तुम तड़पो हमें हरगिज नही मंजूर मगर तुम्हें तड़प का पता कैसे चले ! ...पुर्दिल २. तुम्हारी यादों ने बेचैनियों के सिवा मुझे कुछ न दिया अपने दिल को... Hindi · मुक्तक 2 1 401 Share Purdil Shiddharth 15 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक जब भी वो सफ़हा कोई नया सा पलटता होगा मेरे जानिब से यादों के साये में घिर जाता होगा। तमाम मसरूफ़ियतों को खुद से करके दरकिनार तन्हाई के आलम में... Hindi · मुक्तक 1 270 Share Purdil Shiddharth 21 May 2019 · 1 min read मुक्तक जब धुप की चाँदी जम कर सर पे बरसेगी साया भी अपने दामन से लिपटने को तरसेगी / खिली धुप में तुम पुर्दिल सबनम सा मोती रख देना मोती तुम... Hindi · मुक्तक 1 396 Share Purdil Shiddharth 19 May 2019 · 1 min read मुक्तक मरीज़-ए-इश्क हूँ बेकरार और बेज़ार हूँ अपने यार से मिलने की बस तलबग़ार हूँ ! ** हर रात मेरे तकिए पे करवट बदलते मिलते हो मुझे हर सुबह पहली अंगड़ाई... Hindi · मुक्तक 2 1 223 Share Purdil Shiddharth 19 May 2019 · 1 min read मुक्तक ! हटो व्योम के बादल तुम, प्रीतम से मिलने हम जाते हैं बर्फीली वादी में प्यार की उष्णता लेकर हम जाते है, शरहद के ठंढी सीमा में,ठिठुरते हांथो को ताप दे... Hindi · कविता 2 521 Share Purdil Shiddharth 19 May 2019 · 1 min read मुक्तक मुहब्बत कर के देख लो... इश्क न सही... अश्क मिल ही जाएगा... / जो कोई दर्द ही न रहा पुर्दिल ... हमदर्द मिल न पायेगा... एक हमदर्द मिल गया तो...... Hindi · मुक्तक 1 1 432 Share Purdil Shiddharth 18 May 2019 · 1 min read मुक्तक ! मैं मधुशाला बन जाऊँ, तुम बनना मेरा साक़ी तुम प्रेम प्याला छलका देना, मैं अधरों पे बांकी ! रोज जरा सा मुझ से मिल जाना तुम साक़ी अधरों पे अधूरी... Hindi · कविता 2 1 404 Share Purdil Shiddharth 11 May 2019 · 1 min read मुक्तक ! शब्द अगर मायने में न रहे तो चुप रहना अच्छा, तुम साथी अच्छे हो, तुम से जबर्दस्ती नहीं अच्छा ! / मुझे सादगी पसंद थी, दुनियां बड़ी रंगीन निकली इस... Hindi · मुक्तक 2 225 Share Purdil Shiddharth 11 May 2019 · 1 min read मुक्तक ! यादों ने जम के बारिश की है हम ने थम के किस्से सुने हैं... / कुछ तुम्हारे कुछ हमारे... हसीन लम्हों को चोरी से चुने हैं ... *** 11-05-2019 ...... Hindi · मुक्तक 2 1 259 Share Purdil Shiddharth 11 May 2019 · 1 min read मुक्तक ! होठों पे मुस्कान आंखो में उम्मीद को जिन्दा रखना मुग्द्धा एक हांथ में प्यार दूसरे में इंकलाब रख के चलते रहना मुग्द्धा ! / अपनी और अपनों की दर्द पे... Hindi · मुक्तक 1 380 Share Purdil Shiddharth 10 May 2019 · 1 min read मैं दिया तू दिए कि बाती पूर्दिल ! घर की देहरी पे, एक दिया जलता है उजाला उचक के झांकता, भीतर तक बढ़ता चलता है. लपक-लपक के बाती हस-हस के कहे अंधेरे से मेरे जलने तक अंधेरा, बता... Hindi · कविता 3 1 389 Share Purdil Shiddharth 8 May 2019 · 1 min read खुद को अब समझाऊंगा ! खुद को अब समझाऊंगा प्रेम नहीं आकर्षण 'सखे' और भाव, सब मेरा माया है कहने को तो कह गए हो तुम, मन को मेरे कहां समझाया है। रात के अंतिम... Hindi · कविता 4 441 Share Purdil Shiddharth 5 May 2019 · 1 min read तुम 'प्रेम पगा' ही रहा करो.. सौ बार कहा दिल से हमने ... तुम 'प्रेम पगा' ही रहा करो.. अपने मन को न छला करो… प्रेम के साये में ही चला कोरो... / सौ बार पलट... Hindi · कविता 5 1 486 Share Purdil Shiddharth 29 Apr 2019 · 1 min read कचनार बने हो तुम ! कचनार बने हो तुम गुलनार बने हो तुम, क्यूँ ... गुलशन की बाहों में बेज़ार पड़े हो तुम... ? हांथ बढ़ाओ, साथ तो आओ क्यूँ ... दिल को थाम खड़े... Hindi · कविता 4 332 Share Purdil Shiddharth 28 Apr 2019 · 1 min read मुक्तक ! तन को मन पे रखोगे या फिर मन को तन पे रखोगे मंजिल को चलोगे या संग चलते रहोगे जीबन भर... / तन की दहलीजों से परे मन संग साथ... Hindi · मुक्तक 3 1 279 Share Purdil Shiddharth 28 Apr 2019 · 1 min read मुश्किल में हैं रिश्ते ... मुश्किल में हैं दिल के रिश्ते अपने रुठ न जाएं हमसे, अपने-सपने सब घिरे हुये हैं दुनियाँ भर के धर्मसंकट से, गिर कर टूट न जाये हमसे रुठ - टूट... Hindi · कविता 4 266 Share Purdil Shiddharth 28 Apr 2019 · 1 min read मुक्तक ! सांस लिए फिरते हो, जिनमें बस नही तेरा आश किए चलते रहते हो फिर हुआ सबेरा मैं कहता हूँ,सुनो जरा तुम मान भी जाओ अजब माया जाल लगे मुझ को... Hindi · कविता 3 446 Share Purdil Shiddharth 27 Apr 2019 · 1 min read क्या लिखूं '...? क्या लिखूं '...? रुदन लिखूं मौन, दुःख लिखूं या लिखूं, अपनी अंतर बेदना कि दिन कट जाता है रातें रोने लगती है बिसूरने लगती है कितना मुश्किल है ... इन... Hindi · कविता 4 2 309 Share Purdil Shiddharth 26 Apr 2019 · 1 min read मुक्तक कहाँ मिला सबर तुझे,मुझे भी न करार आया बिछड़े हम इस कदर कि दोनों दरबदर हो गए... / वहम ही सही तुम यूँ ही कायम रहा करो तुम जहाँ भी... Hindi · कविता 4 393 Share Purdil Shiddharth 26 Apr 2019 · 1 min read दिल आँखों की दहलीज़ पे सपने कुचल न देना तुम वक़्त की घनी शाख से लम्हें तोड़ न लेना तुम... / प्रेम पगा मन को लेकर पुर्दिल कहीं दूर न जाना... Hindi · मुक्तक 4 1 255 Share Purdil Shiddharth 26 Apr 2019 · 1 min read मुझ से जुड़ कर क्या पाओगे ... ? मुझ से जुड़ कर क्या पाओगे बस कुछ आँसू स्वर्णिम गालों पे और सूख के दांतों से काटोगे अपने ही मन के छालों को. चाँदी उग आये हैं बालों में... Hindi · कविता 4 336 Share