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28 Apr 2019 · 1 min read

मुक्तक !

सांस लिए फिरते हो, जिनमें बस नही तेरा
आश किए चलते रहते हो फिर हुआ सबेरा
मैं कहता हूँ,सुनो जरा तुम मान भी जाओ
अजब माया जाल लगे मुझ को जग का डेरा…
/
अजब जगब इस दुनियाँ में, मैं बेनूर सी पुर्दिल
मुझको तुझको मेरी बेनूरी, नूर सी लगे है पुर्दिल !
***
28-04-2019
…पुर्दिल…

Language: Hindi
3 Likes · 423 Views
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