PRABHA NIRALA 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid PRABHA NIRALA 17 Oct 2020 · 1 min read प्रिय उम्मीद जब तुम आती बेजान में भी जीवन की श्वास फुक जाती हो। यकीन न भी हो जिसपे उस पर भी उम्मीद की किरण छोड़ जाती हो देकर उम्मीद बुरे को... Hindi · कविता 6 1 504 Share PRABHA NIRALA 16 Oct 2020 · 1 min read ख्वाहिशों की समन्दर ख्वाहिशों की समन्दर में डूबती जा रही पाने की चाहत नहीं मगर कुछ खोने जा रही तिमिरांचल में लहरों की ये आवाजें मुझे भावविभोर किए जा रही सागर भी अब... Hindi · कविता 3 3 286 Share PRABHA NIRALA 16 Oct 2020 · 1 min read इससे ज्यादा कुछ नहीं जो न हो मुकम्मल ऐसी जमीं चाहिए छूट जाए सारी खुशियां , मुझे दुःखों की आसमां चाहिए। कामयाबी चाहती हूं इसलिए असफलता की सीढ़ी चाहिए गर दे मोहलत जिन्दगी ,... Hindi · कविता 4 3 244 Share PRABHA NIRALA 16 Oct 2020 · 1 min read दर्द का अहसास ऐ खुदा हवाओं का रुख थोड़ा उनकी ओर मोड़ देना बेचैन हैं वो अब सुकून का पल थोड़ा दे देना हवाओं के साथ बारिश की बूंदे भी अब लेे जाना... Hindi · कविता 3 327 Share PRABHA NIRALA 16 Oct 2020 · 1 min read इंसानियत न रही इंसान में कोरोना भी कुछ सोचकर इंसानों की दुनिया में आया होगा मुझे लगता है सबक सिखाने ही तो आया होगा। भूल गया है इंसान आज इंसानियत को , शायद यही बताने... Hindi · कविता 3 409 Share PRABHA NIRALA 14 Oct 2020 · 1 min read हृदय बांध फुट चुका अब हृदय बांध उठ - उठकर प्रेम लहर। मानस - अम्बुधि में छायी जैसे कोई कहर।। सपनीली चादर ओढ़े वो आती बार - बार उसपे ही नयन जाती... Hindi · कविता 4 590 Share PRABHA NIRALA 14 Oct 2020 · 1 min read खंडहर हूं खंडहर हूं वीराने में बसती अतीत जान न घबराना यहां जिन्दगी की कहानी मैं सुनाती हूं। यूं ही नहीं बनी खंडहर मैं इसमें राज कई छुपायी हूं जाने अंजाने जो... Hindi · कविता 5 394 Share PRABHA NIRALA 13 Oct 2020 · 1 min read सफलता की आस सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ गिर गये गर उन ऊंचाइयों से , तो बार - बार उसको तुम दोहराओ सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।... Hindi · कविता 5 2 701 Share PRABHA NIRALA 13 Oct 2020 · 1 min read पिता का प्रेम बहती प्रेम की धारा दुआ साथ है लाया , जन्मों का बंधन निःस्वार्थ है निभाया वो ममता जैसी छांव पिता का हमने है पाया । रुक सी गयी ये संसार... Hindi · कविता 3 4 445 Share PRABHA NIRALA 13 Oct 2020 · 1 min read झूठ की दुनिया झूठ को सच मानते सच को झूठ बताते लोग यहां कीमत नहीं रहा उनकी अब , जो सच को स्वीकार करते यहां तुम ढूंढ रहे सच की पुजारी कहां बन... Hindi · कविता 3 2 345 Share PRABHA NIRALA 12 Oct 2020 · 1 min read कुछ कही सी कुछ कही सी कुछ अनकही मीठी मधुर जिसकी वाणी कुछ ख्वाब नया कुछ बात पुरानी ख्याल एक, पाने की आस जगी कुछ हुए साकार सपने तो दब गया कुछ जज़्बात... Hindi · कविता 7 2 288 Share