मनोज शर्मा Tag: लेख 53 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मनोज शर्मा 27 Nov 2021 · 1 min read दिन दिन रेत की तरह बिना कोई ढेर छोड़े बीत गया।दिन भर अनावश्यक चुप्पी होठों पर स्थिर रही।लंबी जिज्ञासा और बीच-बीच में क्षणिक निराशा जैसे काॅरीडोर से फिल्म देखी जा रही... Hindi · लेख 445 Share मनोज शर्मा 29 Oct 2021 · 1 min read प्रेम! ..कुछ चेहरे भीतर से इतने खूबसूरत होते हैं कि उनपर से नज़रे नहीं हटती वो हर क्षण हमारी पुतलियों में सिमटे रहते हैं।यद्यपि हम उनसे कभी नहीं मिले और ना... Hindi · लेख 247 Share मनोज शर्मा 13 Oct 2021 · 4 min read कोहरा कोहरा सुबह की नर्म धूप में हल्का गंधला कोहरा है जिसमें अक्सर चलते-चलते तुम्हें देखता हूं।हल्की स्निग्ध ठंडी हवा में तुम्हारी आंखों के कोर भीग जाते हैं तुम्हारे दोनों हाथ... Hindi · लेख 336 Share मनोज शर्मा 5 Oct 2021 · 1 min read मुस्कुराहट ..तुम नहीं जानती तुम्हारी मदिर मुस्कुराहट में दिनभर सब हरा भरा दिखता है जैसे सुबह की सैर में वो वासंती नर्म हवा का स्पर्श।अनायास मन होता है कि शाम को... Hindi · लेख 252 Share मनोज शर्मा 19 Sep 2021 · 1 min read मुक्कमल कुछ भी मुकम्मिल नहीं पर क्यों लगता है जो है वो काफी है क्या कुछ होना कुछ ना होने से ज़्यादा बेहतर नहीं है पर किसपर इतना अख़्तियार कि सब... Hindi · लेख 1 306 Share मनोज शर्मा 18 Aug 2021 · 2 min read स्टोरी(स्टेटस) व्हट्सअप्प,एफबी के स्टेटस की भी अब अपनी महत्ता होने लगी है हालांकि मैं बहुतख़ास या कुछेक लोगों के स्टेट्स देखता हूं इसका प्रमुख कारण मेरा यहां बहुत अल्प समय बीताना... Hindi · लेख 224 Share मनोज शर्मा 12 Aug 2021 · 1 min read किताब का वो पन्ना ...वो उस पार थी और मैं इस ओर से उसे देख रहा था। मैंने जैसे ही उत्सुक्तावश उसे अपने हाथों में लेना चाहा वो एक ओर लुढ़क गयी।उसे गिरता देख... Hindi · लेख 1 472 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 2 min read उमस सुबह से ही मौसम बेहतर है वो इसलिए क्योंकि पिछले कितने दिनों से तेज़ धूप और दहकती गर्म उमस थी मौसम अलसाया सा प्रतीत होता था अंदर से और बाहर... Hindi · लेख 1 582 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 1 min read आकृष्ट कोई भी क्षण मानस पटल पर सहज ही नहीं छा जाता है उसके लिए असहज पृष्ठभूमि हो सकती है जो उसे दूसरों से भिन्न करती है।सौन्दर्य कण कण में विराजमान... Hindi · लेख 1 387 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 1 min read अक्स कितने ही रोज़ हो गये तुम्हें करीब से देखे हुए।रोज़ आंखे अलमारी के शीशो को लांघती है पर तुम्हें दूर से ही देखकर वापिस लौट आती है शायद मेरी व्यस्तता... Hindi · लेख 479 Share मनोज शर्मा 14 Jun 2021 · 2 min read मौसम मौसम के तेवर बिल्कुल बदल चुके हैं कभी चालीस तो कभी इससे अधिक लगता है सभी तनाव में जी रहे हैं मौसम के कारण या कुछ ओर कुछ स्पष्ट नहीं।कहीं... Hindi · लेख 2 1 303 Share मनोज शर्मा 3 Jun 2021 · 1 min read हिन्दी साहित्य का इतिहास-एक नज़र हिंदी साहित्य का इतिहास-संक्षिप्त परिचय आदिकाल (वीरगाथाकाल)1050 से 1375 मध्यकाल -पूर्वमध्यकाल (भक्तिकाल)1375 से 1700 उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल)1700 से 1900 आधुनिक काल 1900 से अब तक आदिकाल -सिद्ध,नाथ,जैन लौकिक साहित्य -रासो... Hindi · लेख 2 323 Share मनोज शर्मा 1 Jun 2021 · 1 min read ऑक्सफोर्ड शाॅप दफ्तर से थोड़ी दूरी पर क्नाॅट प्लेस में ऑक्सफोर्ड बुक्स स्टोर है जहां पुस्तक प्रेमियों के लिए मनपसंद पुस्तकों का विशाल संग्रह है मैं अक्सर वहां चला जाता हूं आज... Hindi · लेख 291 Share मनोज शर्मा 25 May 2021 · 1 min read कश मैं नहीं जानता मुझे क्या चाहिए और शायद क्यों चाहिए असल में वो मुझे बेहद पसंद है पर उसे मैं साथ नहीं रखता और न रख सकता क्योंकि मुझे उसके... Hindi · लेख 1 544 Share मनोज शर्मा 23 May 2021 · 2 min read चेहरे जीवन में कुछ ही चेहरे होते हैं जो अपना अक्ष अपनी यादें छोड़ जाते है इसके पीछे उनके अच्छे सकारात्मक कर्म उनकी सोच ही उनको दूसरों से इतर कर देते... Hindi · लेख 2 424 Share मनोज शर्मा 16 Apr 2021 · 2 min read प्रवचन सामने प्रवचन चल रहा है कोई प्रसिद्ध महात्मा आत्मा परमात्मा पर अपना मंतव्य दे रहे हैं उनको सुनने देखने के लिए खासी भीड़ है परिवार मित्र मंडली सब इधर उधर... Hindi · लेख 1 504 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read आलू आलू आलू सार्वभौम है अति प्राचीन काल से इसको देखा गया है और जमीं से जुड़ा निराला प्यारा वैज।सब्जी तरकारी में छोटों बड़ों की पहली पसंद ,जाने कितनी सब्जियां आई... Hindi · लेख 1 2 471 Share मनोज शर्मा 8 Jan 2021 · 1 min read मोहन राकेश के जन्मदिवस पर कोई चेहरा और चेहरे के पीछे की सादगी हृदय पटल पर ख़ास प्रभाव छोड़ जाती है उसी तरह जैसे काग़ज़ों पर खींची रेखाओं में बोलते किरदार।मोहन राकेश आज 96 के... Hindi · लेख 2 1 279 Share मनोज शर्मा 7 Jan 2021 · 1 min read मोहन राकेश आज भी! उसकी आंखों पर मोटा काला चश्मा है घुंघराले बालों का पफ और बंद अधरों की गहरी ख़ामोशी बहुत कुछ कह जाती है।एक घुम्मकड़ असंतुष्ट चरित्र जो ना केवल काग़जों पर... Hindi · लेख 1 274 Share मनोज शर्मा 2 Dec 2020 · 1 min read कविता कविता मन का अंतर्द्वंद्व है जो काग़ज़ों पर आते ही सजीव-सा लगता है।आसमां में ठहरे बादल बहुत कुछ कहते हैं उद्यान में खिले पुष्प महकते हुए बोलते हैं जो देखते... Hindi · लेख 1 1 557 Share मनोज शर्मा 21 Nov 2020 · 1 min read आनंद आनंद अंतर्मुखी होता है जिसमें असीम सुख छिपा होता है।मन चंचल है जो पूर्ण वेग से इधर ऊधर भागता है।कहीं तृप्ति नहीं!ना पूर्णता है ना प्रकाश पर फिर भी मन... Hindi · लेख 1 1 346 Share मनोज शर्मा 21 Nov 2020 · 1 min read हंसी हंसी मानों होठों पर तैरती थी जैसे ही होठ हंसी से फैलते उसके कंधे उचकते और आंखे खिल जाती थी।कुछ साल पहले वो हर पल मुझे ढूंढतें थे स्वप्न में... Hindi · लेख 2 545 Share मनोज शर्मा 21 Nov 2020 · 1 min read सुबह का सूरज गांव में आज भी घर के आहते से ड्योढ़ी से या गली के दायिनी छोर से उसे साफ-साफ देखा जा सकता है। सुबह से शाम तक जाने कितनी मर्तवा उसे... Hindi · लेख 2 493 Share मनोज शर्मा 26 Oct 2020 · 1 min read प्रेमचंद प्रेमचंद ने पात्रों की संकल्पना उनके चरित्र के अनुरूप की है यथा बुधिया,मुलिया,घीसू या गोबर ये सब दीन-हीन है जो भरसक प्रयास करने पर भी उन्नीस ही दिखते हैं पर... Hindi · लेख 1 479 Share मनोज शर्मा 8 Oct 2020 · 1 min read रोशनी दरम्याना रोशनी में लगा कि कोई साया मुझे ताक रहा है!गहरी हंसी गूंज गयी और फिर लंबा अटहास देर तक दूर तक वहीं कहीं गूंजता रहा। बंद खिड़की के शीशों... Hindi · लेख 2 439 Share मनोज शर्मा 8 Oct 2020 · 1 min read अनुभव परिवर्तन जीवन का नियम है पर क्यों लगता है कि जीवन एक सांचे में ढल गया है।कुछ नया नहीं सब रोज़-सा।सामने वही एक-से थके चेहरे नेत्र अलसाये से!सब मिट्टी के... Hindi · लेख 353 Share मनोज शर्मा 5 Oct 2020 · 1 min read साया दरम्याना रोशनी में लगा कि कोई साया मुझे ताक रहा है!गहरी हंसी गूंज गयी और फिर लंबा अटहास देर तक दूर तक वहीं कहीं गूंजता रहा। बंद खिड़की के शीशों... Hindi · लेख 1 261 Share मनोज शर्मा 1 Oct 2020 · 1 min read सुबह सूर्य की पहली किरण और फैलता धूंधला मटियाला-सा रेत!नदी का गंधला बहता शीतल नीर और नीचे की उतरती सीढ़ियों में भीगते पांव जिनके भीगते ही सारे रोये मानो रोमांचित हो... Hindi · लेख 1 246 Share मनोज शर्मा 29 Sep 2020 · 1 min read बेवक्त पहले दिन भर और फिर देर रात तक इंतज़ार रहता है कि व्यस्तता टूटे पर व्यस्तता का अंत नहीं होता।सारे काम समय पर होते हैं खाना सोना ऊठना बग़ैरह पर... Hindi · लेख 2 236 Share मनोज शर्मा 29 Sep 2020 · 1 min read बूंद बालकाॅनी की परिधि में बादल घिरे हैं पर आसमां में अभी भी सफेदी है जाने कब बरस जाए? दूर कहीं बहता समीर पेड़ों की हरी परत को और गहरा करने... Hindi · लेख 1 462 Share मनोज शर्मा 28 Sep 2020 · 1 min read प्रकृति प्रकृति का क्रोध शांत कछारों को झकझोर देता है एक तेज आंधी!आवेग!या कहर जिससे फिर कोई अछूता नहीं रह पाता।गौधुली में वो शांत थी पर जाने क्यों उसने रोद्र रूप... Hindi · लेख 4 469 Share मनोज शर्मा 27 Sep 2020 · 2 min read चेहरे एक ही शख्स जीवन में कई चेहरे लिए जीता है पर हर चेहरे से दूसरों को लालायित करने की कोशिश में वो स्वयं को मिटा देता है।वास्तव में चेहरा कोई... Hindi · लेख 1 432 Share मनोज शर्मा 26 Sep 2020 · 1 min read रेत सूखे रेत पर एक मर्तवा भी बारिश की बूंदे पड़ जाए तो बूंदों के निशां तब तक रहते है जबतक कि कोई वहां से गुज़र न जाए।वो पूछते हैं कि... Hindi · लेख 3 249 Share मनोज शर्मा 25 Sep 2020 · 1 min read लत कल रात टीवी पर एक ज्ञानवर्धक डाॅक्यूमैंटरी देखी पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ पर थोड़े अंतराल पर यथार्थ देखकर आंखे फटी रह गयी।आज हर जगह मोबाइल फोन्स का वर्चस्व... Hindi · लेख 1 2 248 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read Me! शीशे में स्वयं के अक्ष को देखते हुए मैंने बालों के गुच्छें सफेद बालों की एक छिपी क्यारी को पाया।मैं स्वयं को शीशे के करीब ले जाता गया और लगा... Hindi · लेख 2 262 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read वृक्ष वृक्ष का धर्म क्या है जहां कहीं खड़ा हो वहीं से शीतलता व उन्नत पुष्प तथा फल प्रदान करे वो कभी दूसरे की निंदा नहीं करते और ना ही ईष्या... Hindi · लेख 3 496 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read संबंध संबंध और संबंधों का निर्वाह महज इतना कि संबंध दिखाई दे शायद इससे अधिक कुछ नहीं।किसी को याद तब ही किया जाता है जब ज़रूरत है एक अंतराल के बाद... Hindi · लेख 1 582 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read कोविड में भीख रोटी खाओगे?वाक्य सुनते ही जैसे वो निढ़ाल हो गया।आंखे खिल गयी होठ फैलने लगे।आज तो पेट भर गया पर कल?ये सोचकर उसने अपना सिर पकड़ लिया।अब रोटी ऐसी बस्तु भी... Hindi · लेख 2 229 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read दोस्ती कभी-कभी ख़्याल आता है कि ज़िन्दगी इतनी छोटी कैसे हो सकती है ये इल्म कुछ वर्ष पहले ही हुआ जब किताबों से मित्रता हुई।हर तरफ बस किताबों के अंदर की... Hindi · लेख 3 295 Share मनोज शर्मा 23 Sep 2020 · 1 min read बारिश एल ई डी लाइट्स की सफेद रोशनी बारिश की बूंदों को और दुधिया कर देती है जैसे अंधकार में टिमटिमाते छोटे जुगनु अपने अल्प समाज को चमकीला कर देते हैं।शाम... Hindi · लेख 1 1 197 Share मनोज शर्मा 23 Sep 2020 · 1 min read शाम ज़िन्दगी जैसे थम गयी है घर के एक कोने में वहीं सुबह जगती है शाम तक आंखे जैसे दीवारें ताकती है।अजीब-सी व्यस्तता जो निरंतर कहीं मुझमें समाती जा रही है।सुबह-शाम... Hindi · लेख 2 284 Share मनोज शर्मा 23 Sep 2020 · 4 min read कोरोना!एक वैश्विक आपदा कोविड-19 एक वैश्विक आपदा है जिसने संपूर्ण विश्व के लोगों को घरों में बंद कर दिया है।सारा मीडिया जगत ही नहीं बल्कि हर ज़ुबां पर एक ही नाम है कोरोना।कोरोना... Hindi · लेख 3 258 Share मनोज शर्मा 22 Sep 2020 · 1 min read मौसम मौसम की भांति जीवन विविधताओं से परिपूर्ण है घर की डयोढ़ी रोज़ भीग जाती है सुबह की मंद मंद बूदों से पर कुछ देर में स्वच्छ दिखने लगती है उसी... Hindi · लेख 1 515 Share मनोज शर्मा 21 Sep 2020 · 2 min read मूल्यांकन पसंद चयन और वरीयता तीन ऐसे शब्द है जो एक दूसरे से संबद्ध है प्राय हमें जो पसंद होता है उसे चयन करना अपना ध्येय मानते हैं पर जीवन में... Hindi · लेख 1 2 428 Share मनोज शर्मा 20 Sep 2020 · 1 min read शब्द कितने ही निरर्थक शब्द जीवन शैली में अभिन्न रूप से जुड़ने लगते हैं कुछ और कब पता ही नहीं चलता।ऐसे बेअदबी शब्द जिनके कोई मायने नहीं होते फिर भी सुनकर... Hindi · लेख 2 604 Share मनोज शर्मा 20 Sep 2020 · 1 min read स्टेटस तुम मुझे उतना ही जानते है जितना मैं तुम्हें शायद उसी तरह जैसे तुम मेरे रोज़ के स्टेट्स को पढ़ लेते हो और चूंकि मेरा परिचय अब आपके मोबाइल में... Hindi · लेख 1 237 Share मनोज शर्मा 20 Sep 2020 · 1 min read मोहन राकेश की डायरी से हवा में वासंती स्पर्श है-समय अच्छा-अच्छा लगता है।ऐसे में अनायास मन होता है कि हल्के-हल्के स्वर में किसी से बात करें।अपने चारों ओर घर की मिठास,घर की उष्णता हो।किसी के... Hindi · लेख 1 230 Share मनोज शर्मा 20 Sep 2020 · 1 min read उर्दू की मिठास कितने मुख्तलिफ़ चेहरों से ग़ुफ़्तगू होती है कुछ दिले ख़ास होते हैं तो कुछ निहायत बद दिमाग।उर्दू ज़ुबान में 'बा'और 'बे' का यकीनन् बेहतरीन प्रयोग है।जैसे बाअदब मतलब अच्छे से... Hindi · लेख 2 257 Share मनोज शर्मा 20 Sep 2020 · 1 min read सबेरे सबेरे डेढ़ महीने से कमरों में था घर के अहाते या ड्योढ़ी तक चलना निकलना बस इतना ही या एक आध बार अत्यधिक ज़रूरी काज से घर के आसपास तक ही... Hindi · लेख 1 323 Share मनोज शर्मा 20 Sep 2020 · 2 min read मेरी किताब खिड़की के शीशों पर गर्द जम चुकी है ओस की बूंदों से वो और भी घनी हो गई है बाहर झांकने के लिए खिड़की की तरफ देखा पर वहां अब... Hindi · लेख 1 484 Share Page 1 Next