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मूल्यांकन के संदर्भ में मेरा विचार है कि किसी व्यक्ति विशेष का मूल्यांकन उसका आकलन करने वाले की व्यक्तिगत सोच एवं प्रज्ञा शक्ति पर निर्भर होता है। आकलन करने वाले की मानसिकता को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हो सकते हैं जैसे उसमें निहित संस्कार एवं मूल्य एवं उसके सोच में वातावरण एवं समूह मानसिकता का प्रभाव जो परोक्ष रूप से उसके लिए गए निर्णय को प्रभावित करते हैं।
आकलन करने वाले की प्रज्ञा शक्ति , जिसका निर्माण उसमें निहित अनुवांशिक गुणों एवं उसके व्यक्तिगत अनुभवों द्वारा समाग्रहित व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित होता है , उसके द्वारा लिए गए निर्णय को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
जहां तक समूह की मानसिकता का प्रश्न है यह किसी व्यक्ति विशेष को उसके द्वारा समाज में प्रस्तुत आचार, विचार एवं व्यवहार तथा उसके द्वारा समाज के हित में निष्पादित अच्छे कार्यों के लिए उसके प्रति सम्मान का भाव है , जो उस व्यक्ति विशेष को समाज में प्रिय एवं आदरणीय बनाता है।
समूह मानसिकता में समयानुसार एवं परिस्थिति जन्य बदलाव आते रहते हैं , जिसके अनुसार किसी व्यक्ति विशेष के सम्मान एवं उसके प्रति भावनाओं में भी परिवर्तन आते रहते हैं।
वर्तमान संदर्भ में समूह मानसिकता में इस प्रकार के परिवर्तन देखे जा सकते हैं।
समाज में फैली कुत्सित मानसिकता के चलते हैं गणमान्य एवं सम्मानित व्यक्तियों के चरित्र हनन की कुचेष्टाऐं भी की जाती हैं।

21 Sep 2020 09:49 PM

धन्यवाद सर,
अब आदम प्रजाति में ऐसा बदलाव रोज़ ही देखा जा सकता है जो आज कुछ और कल कुछ!
पुनः आभार

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