कवि विपिन शर्मा Tag: ग़ज़ल/गीतिका 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कवि विपिन शर्मा 10 Aug 2021 · 1 min read कैसे भूलूं, बता! मैं खताएं तेरी.... कैसे भूलूं, बता! मैं खताएं तेरी। पास आने को दिल, चाहता ही नहीं।। आयी दीपावली, सज गई हर गली। घर सजाने को दिल, चाहता ही नहीं।। घाव बंदूक के भर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 204 Share कवि विपिन शर्मा 14 Jul 2021 · 1 min read ...कि दिन ज्यादा अच्छे ही आने लगे हैं गजल हमें अब ये जुमले, डराने लगे हैं। कि दिन ज्यादा अच्छे ही आने लगे हैं।। बड़े नेकदिल सबको लगते थे लेकिन। वही, आज-कल, बरगलाने लगे हैं।। है लगता बड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 222 Share कवि विपिन शर्मा 24 Nov 2018 · 1 min read गजल दिन बुरे हों, या हों अच्छे, वो ढल ही जाएंगे। यकीन मानिए, इक दिन बदल ही जाएंगे।। आत्मविश्वास में ताकत है गजब की यारो। ठान लोगे तो ये पत्थर भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 231 Share कवि विपिन शर्मा 27 Sep 2018 · 1 min read गजल मुश्किल हालात में भी फूल सा खिलकर रहिए। बनकर सूरज, हरेक भोर निकलकर रहिए।। वक्त के साथ बुरे दिन भी बदल जाते हैं। होकर मायूस यूं ना शाम सा ढलकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 298 Share कवि विपिन शर्मा 23 Jul 2018 · 1 min read ग़ज़ल तलब उठी है, फिर खून से नहाने की। होने लगी है तैयारी, नए बहाने की।। जहर मजहब का घोलने की सुगबुगाहट है। साजिशें रच रहे हैं, बस्तियां जलाने की।। रहनुमा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 409 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jul 2018 · 1 min read ग़ज़ल ठोंकरें खाके जो राहों में संभल जाते हैं। ऐसे ही लोग बहुत दूर निकल जाते हैं।। सैंकड़ों में से कोई एक बुझाता है शमआं। बाकी परवाने तो शमआं से ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 481 Share कवि विपिन शर्मा 14 Jul 2018 · 1 min read गजल खुद से खुद को बचाना, ठीक नहीं। दूर अपनों से जाना, ठीक नहीं।। है खतरनाक, मौसम-ए-बारिश। इस तरहा भींग जाना, ठीक नहीं।। हैं चांद के भी, यहां पर दुश्मन। तेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 259 Share कवि विपिन शर्मा 11 Jul 2018 · 1 min read गजल दो दिल के दरमियां गर, तकरार नहीं होती। आंगन में फिर खड़ीं यूं, दीवार नहीं होती।। अब तो जमाने भर की, हैं ठोंकरे उसी को। जिसकी समय के जैसी, रफ्तार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 354 Share कवि विपिन शर्मा 5 Jul 2018 · 1 min read ग़ज़ल रंजो-गम अपना, छुपाना आ गया है। हां, मुझे भी मुस्कुराना आ गया है।। अब न रुसवा कर सकेंगे अश्क मुझको। आंख में उनको दबाना आ गया है।। जो निगाहें सामने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 280 Share कवि विपिन शर्मा 14 Jun 2018 · 1 min read गजल इस मशीनी दौर में क्या हो रहा है आदमी। खा नशे की गोलियों को सो रहा है आदमी।। छा रही है हर तरफ, मतलबपरस्ती इस कदर। स्वार्थमय रिश्तों को केवल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 238 Share कवि विपिन शर्मा 17 Jan 2018 · 1 min read टूटने का महज मंजर दिखाई देता है टूटने का महज मंजर दिखाई देता है! नहीं महफूज अब ये घर दिखाई देता है!! मैं कब तलक तुम्हें सीने से लगाऊंगा भला, तुम्हारे हाथ में खंजर दिखाई देता है!!... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 168 Share कवि विपिन शर्मा 16 Jan 2018 · 1 min read टूटने का महज मंजर दिखाई देता है टूटने का महज मंजर दिखाई देता है! नहीं महफूज अब ये घर दिखाई देता है!! मैं कब तलक तुम्हें सीने से लगाऊंगा भला, तुम्हारे हाथ में खंजर दिखाई देता है!!... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 203 Share कवि विपिन शर्मा 16 Jan 2018 · 1 min read दिल से दिल को मिलाकर कभी देखिये खामियों को भुलाकर कभी देखिये, शक का पर्दा हटाकर कभी देखिये! प्रीत खुद जाग जायेगी करिये यकीं, दिल से दिल को मिलाकर कभी देखिये!! रोते चेहरे हंसाकर कभी देखिये, दर्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 263 Share कवि विपिन शर्मा 15 Jan 2018 · 1 min read सिर्फ पछतावा रहे, मौक़ा निकल जाने के बाद सिर्फ पछतावा रहे, मौक़ा निकल जाने के बाद। याद आएगी जवानी, उम्र ढल जाने के बाद।। दिन का उजाला, निशा की चांदनी भाती बहुत। लोग सो जाते हैं पर, शमां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 252 Share