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27 Sep 2018 · 1 min read

गजल

मुश्किल हालात में भी फूल सा खिलकर रहिए।
बनकर सूरज, हरेक भोर निकलकर रहिए।।

वक्त के साथ बुरे दिन भी बदल जाते हैं।
होकर मायूस यूं ना शाम सा ढलकर रहिए।।

लोग बढ़ जाएंगे आगे, जो तुम ठहरे थक कर।
धीरे-धीरे ही सही, राह पर चलकर रहिए।।

उसकी रहमत से न महरूम रहोंगे तुम भी।
अपने पड़ोसी की खुशियों से न जलकर रहिए।।

कर्म माथे की हर लकीर बदल देता है।
भाग्य के बूते ‘विपिन’ हाथ न मलकर रहिए।।
-विपिन कुमार शर्मा
रामपुर, उत्तर प्रदेश
मो 9719046900

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