हेमंत पराशर 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid हेमंत पराशर 4 Jul 2023 · 1 min read अजनबी हम अजनबी, तुम अजनबी, कौन यहाँ है कम अजनबी! राह अजनबी, चाह अजनबी, करता कहाँ किसी की परवाह अजनबी! क्या साथ आया है, कौन साथ जायेगा, सब कुछ अंजान यहाँ,... Hindi · कविता 1 153 Share हेमंत पराशर 18 Nov 2022 · 1 min read "मुक्कमल जिंदगी" कहीं धूप है, कहीं छाँव है, मुक्कमल जिंदगी होने में बड़ा दाँव है। साख,टहनी और पत्तियाँ, सभी आस में जड़ ना सूखे। सीरत की किसको पड़ी है, सब आस में... Hindi · कविता 1 105 Share हेमंत पराशर 8 Sep 2022 · 1 min read "मौसम चुनाव के" चंदा मामा दूर के, पुए पकाये गुड़ के, नेताजी मेरे घर पर आये, भोजन किये हूर के। चंदा मामा दूर के। सगे संबंधी सब ललचाये, आस पड़ोस सब भरमाये, कह... Hindi 1 133 Share हेमंत पराशर 27 Aug 2022 · 1 min read "माँ और बाबूजी" माँ कहती है बेटा तू जहाँ कहीं भी रहे, मुझको तो तेरा इक दीदार चाहिए। प्यार तू ना कर सही मुझको, पर तुमको तो मेरा प्यार चाहिए। तू यूँ ही... Hindi 2 2 101 Share हेमंत पराशर 25 Aug 2022 · 1 min read * कुदरत का कहर* कौन जिए अब किसके सहारे, हर रोज अब यहाँ हिलती है मीनारें। चंद लम्हों में साबूत कुछ बचता नहीं, अरमान अंदर दफ़न है, अब वो सजता नहीं। हर तरफ मची... Hindi 1 135 Share हेमंत पराशर 29 Jul 2021 · 1 min read "हलाहल" किंचित भाव सा विस्मित चेहरा, चेहरे के अश्क पे मायूसी का पहरा। ना गूढ़ है ना मूढ़ है, पर एक प्रश्न जरूर है। आवरण यह हर्ष का कहीं तो लगता... Hindi · कविता 1 1 506 Share हेमंत पराशर 23 Jul 2021 · 1 min read "क्यों मैं एक लड़की हुयी?" जन्म से मैं एक लड़की हुयी, जमाना है भड़की हुयी। घर में मेरे कड़की हुयी, सोचूँ फिर क्यों मैं एक लड़की हुयी? अकड़ सारी उसकी (पिता) धीमी हुयी, आँख भी... Hindi · कविता 4 4 279 Share हेमंत पराशर 23 Jul 2021 · 1 min read "शब्दों का व्यापारी" ये लेखन तो इक बाजार है, यहाँ शब्दों का व्यापार है। सुलझ गए तो बेड़ापार, उलझ गए तो मझधार है। लफ्जों के सौगात से कितने सपने साकार है, वर्ना डूबने... Hindi · कविता 4 3 242 Share हेमंत पराशर 23 Jul 2021 · 1 min read "तुम जागते रहो!" सब नींद में हैं सोये, बस तुम जागते रहो। सब भीड़ में हैं खोये, बस तुम भागते रहो। किसी के कान पर जूँ नहीं रेंगता, और तुम उलझन में हो... Hindi · कविता 3 1 461 Share हेमंत पराशर 10 Jul 2021 · 1 min read "मैं निभाता रहा" वो भुलाती रही, मैं निभाता रहा, चाँदनी रात में भी सितारों की याद आता रहा। अस्क कुछ कहे, जेहन चुप रहे, जख्म ज़माने से अपनी छुपाता रहा। इक अजब सी... Hindi · कविता 2 1 416 Share हेमंत पराशर 7 Jul 2021 · 1 min read #इसलिए मैं इंसान हूँ।# जरा-सी कामयाबी से लगता मैं ही "भगवान्" हूँ, गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ। अपनी ही कमियों से मैं परेशान हूँ, "मैं" मैं करता हूँ इसलिए खुद से ही... Hindi · कविता 3 231 Share हेमंत पराशर 5 Jul 2021 · 1 min read "मैं" दुआएँ काम ना आये, दवा ना लगे, मेरे यार किसी को "मैं" की हवा ना लगे।। ✍️ हेमंत पराशर Hindi · शेर 1 424 Share हेमंत पराशर 4 Jul 2021 · 1 min read #नहीं देखा# शीशे सा पिघलता हुआ पत्थर नहीं देखा, हर लम्हा बदलता हुआ मंज़र नहीं देखा, हर सख्स पढ़ लेता है मेरी रुख की लकीरें, मेरे दिल में क्या है किसी ने... Hindi · मुक्तक 1 245 Share हेमंत पराशर 4 Jul 2021 · 1 min read #एक बूंद# कुछ आस है, कुछ पास है, बस एक बूंद की तलाश है। बहते दरिया में भी अलग सी प्यास है, समंदर को भी लगी अजब सी त्रास है। क्या है... Hindi · कविता 1 617 Share हेमंत पराशर 3 Jul 2021 · 5 min read *"झंझट"* बड़का काका बड़का काका कहाँ गए। जल्दी से तैयार हो जाइये। वे लोग बस पहुँचने ही वाले हैं। बाहर से रोहित ने आवाज़ दी। हाँ-हाँ मैं पूजा घर में हूं,... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 3 324 Share हेमंत पराशर 2 Jul 2021 · 1 min read "*प्रेम की भाषा*" प्रेम की भाषा प्रेम ही जाने, प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने। प्रेम शहर के प्रेम नगर के, हर गली में प्रेम तलाशा प्रेम ही जाने। प्रेम लहर है प्रेम डगर... Hindi · कविता 7 3 248 Share हेमंत पराशर 2 Jul 2021 · 1 min read चौराहे पर खड़ा पीपल रण क्षेत्र तैयार है बिगुल है बज उठी, चौराहे पर खड़ा पीपल बस मूक है देखता हुआ। रोज बदलते चेहरे हो या वक्त, सब को बेसब्री से चौराहे पर खड़ा... Hindi · कविता 3 2 435 Share