Satya Parkash Tag: कविता 20 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Satya Parkash 10 Oct 2019 · 2 min read प्यार :आज और कल प्यार में'ऐसा' होता है, मैं जानता नहीं था प्यार में 'ऐसा भी'होता है, मानता नहीं था मीरा बाई ने गाया था- प्रीत ना करना कोई पर प्रीत निभाई, मूर्ति में... Hindi · कविता 341 Share Satya Parkash 11 Jun 2019 · 1 min read अफसोस हवस की आग में जल रहा है आदमी बेटियां घर में भी घबराई रहती हैं बाड खा रही खेत, कुछ दौर ऐसा है चमन में भी कलियां मुरझाई रहती हैं... Hindi · कविता 507 Share Satya Parkash 7 Jun 2019 · 1 min read कविता अलसाई सी लगती हो, शरमाई सी लगती हो बाल रवि की किरणों से, कुम्हलाई सी लगती हो सुंदर छंदों सी रचना हो, गजल हो, रूबाई हो मृगतृष्णा ,सम्मोहन बन कर... Hindi · कविता 484 Share Satya Parkash 24 Feb 2019 · 1 min read आया बसंत आया है ऋतुराज बसंत सबका है सरताज बसंत धरती ओढ़े चुनरी धानी मिट्टी भी सोंधी महकी है पीली पीली सरसों फूली चिड़िया चीं ची चहकी हैं आसमान में उड़ी पतंगें... Hindi · कविता 496 Share Satya Parkash 19 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल मोहब्बत में वो मुकाम आ गया है अपने भी हाथों में जाम आ गया है कल तक बसाया था दिल में जिसे रकीबों में उसका नाम आ गया है कल... Hindi · कविता 1 270 Share Satya Parkash 19 Feb 2019 · 1 min read आजादी के परवाने आजादी की शमा पे जलने हम परवाने आए हैं देश की खातिर शीश कटाने हम दीवाने आए हैं आज लहू खौलता है नस नस में और मौत ने ली अंगड़ाई... Hindi · कविता 800 Share Satya Parkash 17 Nov 2018 · 1 min read बेटियां जिंदगी की हसीन मूरत होती हैं बेटियां घर की जीनत होती हैं गर मां के क़दमों में जन्नत है बेटियों के रूप में कुदरत होती है जिस घर इनके कदम... Hindi · कविता 2 495 Share Satya Parkash 1 Nov 2018 · 1 min read मां मां होती है प्यारी प्यारी , सबसे अच्छी सबसे न्यारी अपना दूध पिलाती मां, चलना हमें सिखाती मां मां की दुनिया अच्छी है, मां की दुनिया सच्ची है कितनी पीड़ा... Hindi · कविता 1 4 331 Share Satya Parkash 1 Nov 2018 · 1 min read माँ सबकी किस्मत में ये दौलत कहां होती है खुशनसीब होते हैं जिनकी मां होती है जिसके कदमों में जन्नत है जिससे जिंदगी रवां होती है वो नींद भर नहीं सोती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 49 646 Share Satya Parkash 11 Mar 2017 · 2 min read वतन का सिपाही प्रबुद्ध हो, आरूढ़ हो, हौसले मचान हैं तू वतन का पासवा, तू वतन की शान है डरा नहीं जो भीत से, डरा नहीं जो शीत से प्रहरी है हिमालय सा,... Hindi · कविता 601 Share Satya Parkash 11 Mar 2017 · 1 min read होली आई कलियों पे है योवन छाया, गोकुल की गलियाँ बोली झूम रहा है बरसाना, कान्हा की आई टोली सतरंगी धरती नील गगन, भँवरो का है बहका मन गाए पपीहा कोयल बोली,... Hindi · कविता 607 Share Satya Parkash 8 Mar 2017 · 1 min read गधा दर्शन इधर-उधर विचर रहे, घास थे वो चर रहे आदमी में भी गधे, गधे गधो से कह रहे मन बहुत उदास है, खा रहे जो घास हैं काश हम भी उनमें... Hindi · कविता 2 768 Share Satya Parkash 18 Feb 2017 · 1 min read गरीब फटी है धोती फटी है पगडी उसके पास न धेला दमड़ी कपड़ों से भी झांके छेद, खोल रहे सब तन का भेद जूती में भी जाल बना, कुछ ऐसे वो... Hindi · कविता 372 Share Satya Parkash 10 Feb 2017 · 1 min read अनंत प्रतीक्षा तुझे देखकर मैं जी रहा, मुझे देखकर तू जी रही जहर मै भी पी रहा, जहर तू भी पी रही मुरझाया चेहरा बोल रहा, आँख भी ना सोई है शायद... Hindi · कविता 317 Share Satya Parkash 10 Feb 2017 · 1 min read बुढ़ापे की व्यथा बीता है मधुमास,उम्र थमी, सब संगी साथी छूटे हैं नेह सिंचित, श्रम अवलम्बित, सभी घरोंदे टूटे है नेत्र ज्योति क्षीण पड़ी, सब जोड़ सिकुड़ कर ऐंठे हैं चलने की सामर्थ्य... Hindi · कविता 1 1k Share Satya Parkash 2 Feb 2017 · 2 min read बेटी की पुकार कोख में बेटी करे पुकार, मुझे चाहिए माँ का प्यार मुझे दुनिया में आने दो, खिलने दो मुस्काने दो पाप नही मैं मरज नहीं, बेटी केवल फर्ज नहीं घर आंगन... Hindi · कविता 1k Share Satya Parkash 26 Jan 2017 · 1 min read बेटी का खत मैं तेरे आंगन की तुलसी मेरी आँखें बरस रही प्यार के मीठे बोलो को मैं तो कब से तरस रही मां की गोद मिली न मुझको न बाबुल का प्यार... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 683 Share Satya Parkash 22 Jan 2017 · 1 min read बेटी का खत मैं तेरे आंगन की तुलसी मेरी आँखें बरस रही प्यार के मीठे बोलो को मैं तो कब से तरस रही मां की गोद मिली न मुझको न बाबुल का प्यार... Hindi · कविता 1 611 Share Satya Parkash 21 Jan 2017 · 1 min read बच्चे हम है छोटे छोटे बच्चे तन के कच्चे मन के सच्चे हमको किसी से बैर नही हमारे लिए क़ोई गैर नही खुशियो का पैगाम बांटते जीने का अरमान बांटते हिन्दू... Hindi · कविता 458 Share Satya Parkash 15 Jan 2017 · 1 min read आओ पेड़ लगाए देखो ये क्या कहर हुआ जलवायु में जहर हुआ कटता जंगल मिटते प्राणी सिमट रही है चूनर धानी धरती भी है बांझ हुई जीवन की है सांझ हुई दूषित भोजन... Hindi · कविता 613 Share