अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' Tag: कविता 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 23 Oct 2022 · 1 min read नरक चतुर्दशी *श्लोक* नरकान्मुञ्चति विश्वं, यो नरकासुरान्तक:। आत्मज्योतिर्प्रकाशार्थं, वन्दे तं परमेश्वरम्। (जो विश्व को नरक से मुक्त करता है एवं नरकासुर का अंत करने वाले हैं, हम उन्हें आत्मज्योति प्रकाशित करने के... Sanskrit · कविता · श्लोक 3 189 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 2 Nov 2018 · 1 min read माँ सृष्टि नूतन सर्जना माँ। अति मधुर रव गर्जना माँ। अंक आश्रय है अतुल। पीर भी जिसमें प्रफुल। है निडरता की सतह। विश्व भी जिससे फतह। व्याधियों की वर्जना माँ। सृष्टि... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 12 53 1k Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 29 Aug 2017 · 1 min read राधास्तुति *श्री राधास्तुति* श्री राधिके वृषभानुजा घनश्याम चित्त विहारिनी। सुख धाम बरसाने विराजत कीर्ति मंगल दायिनी। गोलोक स्वामिनि नित्य लीलारत रसेश्वर संगिनी। वर भक्ति श्रीपद दायिका कलिकाल कल्मष भंजनी। रजनीश कर... Hindi · कविता 6 2 853 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 May 2017 · 1 min read मानस *कुंडलिनी* मानस के हो बिंब तुम, कहाँ छुपाऊँ प्यार, हृदय रखा है सामने, कर लेना स्वीकार। कर लेना स्वीकार, बने मन मेरा पावस, प्रेमांकुर के पुष्प, करें शुचि सुरभित मानस। Hindi · कविता 2 492 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 May 2017 · 1 min read मानव मानव आँखें खोल ले, मची देश में लूट, सभी ओर विश्वास की , कड़ी रही है टूट। कड़ी रही है टूट, मिटा भारत का गौरव, अपने तक ही व्यस्त, स्वार्थी... Hindi · कविता 2 298 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 May 2017 · 1 min read ममता ममता माँ की क्यों न हो, बोलो आज अधीर, जब खुद के सुत खींच दें, माँ के वक्ष लकीर। माँ के वक्ष लकीर, भुलाकर सारी समता, रंच स्वार्थ में तौल,... Hindi · कविता 2 449 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 22 Sep 2016 · 1 min read जी दुखता है *लावणी छंद* जी दुखता है मरते देखा, जब जब सैनिक सीमा पर। धधक रही है ज्वाला मन में, है प्रत्युत्तर धीमा पर। शस्त्र चला देते हैं अक्सर , छुप कर... Hindi · कविता 1 587 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 11 Sep 2016 · 1 min read संतोष *कुंडलिनी* वैभव पा कर क्या करे, जब है मृत्यु विराम। खा ले सुख की रोटियां, हो जीवन सुख धाम। हो जीवन सुख धाम, नित्य हों नूतन कलरव। है मन का... Hindi · कविता 1 390 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 3 Aug 2016 · 1 min read सावन *कुंडलिनी छंद* सावन आया देखकर, दादुर भरी छलांग। पोखर के तट ध्यान में, बगुले रचते स्वांग। बगुले रचते स्वांग, झपटते मौका पाकर। दादुर के बस कंठ, चीखते हैं पछताकर। अंकित... Hindi · कविता 1 525 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 22 Jul 2016 · 1 min read कश्मीर *कुंडलिया* भारत के दिवि की बहुत, बदल रही तस्वीर। पाकिस्तानी पी जहर, धधक रहा कश्मीर। धधक रहा कश्मीर, घिरी जन जन पर आफत। कर दहशत का अंत, बनेगा दिवि कब... Hindi · कविता 498 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 21 Jul 2016 · 1 min read आव्हान *कुंडलिनी छंद* हे शिक्षक! करना तुम्हें, सृजित राष्ट्र -नव -तंत्र। हर बालक में फूक दो, राष्ट्र भक्ति का मंत्र। राष्ट्र - भक्ति का मंत्र, बना दे उनको तारक। लिख कर... Hindi · कविता 2 613 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 7 Jul 2016 · 1 min read कुंडलिया *दोहे* योग्य विवश होकर यहाँ, झेल रहे संताप। बना हुआ है देश में, आरक्षण अभिशाप। वंचित हैं वे आज भी, जिनका है अधिकार। जाने 'कब' इस शाप से, होगा जन... Hindi · कविता 266 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 6 Jul 2016 · 1 min read छंद *कुंडलिनी* मानस के हो बिंब तुम, कहाँ छुपाऊँ प्यार। हृदय रखा है सामने , कर लो तुम स्वीकार। कर लो तुम स्वीकार, बने मन मेरा पावस। प्रेमांकुर के पुष्प, करें... Hindi · कविता 472 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 27 Jun 2016 · 1 min read *छंद* *छंद* न चीजें स्वदेशी जरा भा रही वेशभूषा स्वदेशी पै' हँसते रहे हैं। न संस्कृति स्वयं की जिन्हें रास आती स्वभाषा पै' जो तंज कसते रहे हैं। निराधार कहते कि... Hindi · कविता 1 505 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 24 Jun 2016 · 1 min read धीरज धर मन श्याम मिलेंगे! *पद* धीरज धर मन श्याम मिलेंगे। दीनानाथ कृपा निज करके,कबहूँ तौ सुध लेंगें। रट नित नाम चरण हरि के ध्या, तब प्रभु कछु रीझेंगें। प्रेममयी गदगद वाणी से, जब दृग... Hindi · कविता 293 Share