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7 May 2017 · 1 min read

ममता

ममता माँ की क्यों न हो, बोलो आज अधीर,
जब खुद के सुत खींच दें, माँ के वक्ष लकीर।
माँ के वक्ष लकीर, भुलाकर सारी समता,
रंच स्वार्थ में तौल, बेच दें सारी ममता। 1

Language: Hindi
2 Likes · 442 Views
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