Ambika Garg *लाड़ो* 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ambika Garg *लाड़ो* 1 Aug 2023 · 1 min read सावन काहे बाबुल ब्याहे तुमने हमको तो परदेश आ ना पाऊँ तुमसे मिलने मैं तो अपने देश सावन की जब गिरें फुहारें याद आती घर की दीवारें मैया,भैया ,सखी सहेली, खेल... Hindi 186 Share Ambika Garg *लाड़ो* 10 Aug 2021 · 1 min read पिता वो एक सख्स जो खुदा नज़र आता है, अपनी ज़िंदगी से बेखबर नज़र आता है। जीता है वो बस अपने बच्चों लिए, परिवार के फूलों का गुलज़ार नज़र आता है।... Hindi · कविता 2 493 Share Ambika Garg *लाड़ो* 9 Aug 2021 · 1 min read रिश्ते और बदलता परिवेश वक़्त बदला,रिश्ते बदले, बदल गया परिवेश। जिसने चाहा उसने लूटा, धर अपनों का भेष। प्रेम सीमित हो गया, और बना व्यापर। कभी प्रेम ही होता था, सब रिश्तों का आधार।... Hindi · कविता 3 2 373 Share Ambika Garg *लाड़ो* 7 Aug 2021 · 1 min read वृक्ष नव पल्लव पल्लवित हुआ, पुलकित हो गया वृक्ष, हाथ जोड़ तब विनय करे, अपने ईष्ट समक्ष। एक -एक कोपल प्रेम से, सींचा है मन लाय, अपने तन का अमृत रस... Hindi · कविता 1 2 257 Share Ambika Garg *लाड़ो* 7 Aug 2021 · 1 min read मुझे इन लम्हों को जीने दो कुछ लम्हे मशहूर हुए और कुछ लम्हे बेजार हुए। कुछ तो दिल में समा गए और कुछ लम्हे बेकार हुए। मशहूर हुए इन लम्हों से अब, चाक जिगर के सीने... Hindi · कविता 2 228 Share Ambika Garg *लाड़ो* 24 Jul 2021 · 1 min read रिश्ते कुछ रिश्ते दर्द से बनते हैं, कुछ प्रेम से बनते हैं कुछ मजबूरियों से बनते हैं, तो कुछ जन्म से बनते हैं। लेकिन दर्द का रिश्ता बहुत पक्का और गहरा... Hindi · कविता 1 292 Share Ambika Garg *लाड़ो* 24 Jul 2021 · 1 min read स्वाभिमान मैं, अर्थात बस सिर्फ मैं, जो एक नारी है,जो परिपूर्ण होना चाहती है, ममत्व से,प्रेम से,स्नेह से,और हर बंधन से, हाँ ,मुझमें शक्ति है,अंधकार को हराने की, हर विकार को... Hindi · कविता 1 428 Share Ambika Garg *लाड़ो* 23 Jul 2021 · 1 min read आओ गाएं प्रेम का गीत मन उपवन की कुंज गलिन में, गूंज उठे सुरमय संगीत, प्रेम पाश में बंधकर हमसब। आओ गाएं ,प्रेम का गीत। अपनों को अपनों से जोडें, भेद परायेपन का छोड़ें। जैसे... Hindi · कविता 2 2 625 Share Ambika Garg *लाड़ो* 23 Jul 2021 · 2 min read नींद अब नहीं आती। जब आंखों में नींद आती थी, तब माँ लोरी गुनगुनाती थी, पर अब माँ कहाँ गुनगुनाती है, इसलिए आंखों में अब नींद भी नही आती है। माँ का आँचल था,... Hindi · कविता 1 499 Share Ambika Garg *लाड़ो* 22 Jul 2021 · 1 min read मैं एक नदी सी हाँ मैं एक नदी सी हूँ,जो बहती जा रही है निरंतर। बिना थके,बिना रुके, साथ अपने लिए कई ख्वाब,कई सवाल,कई भाव हर घाट पर, हर पाट पर, ढूंढ़ती हूँ इन... Hindi · कविता 5 2 537 Share Ambika Garg *लाड़ो* 22 Jul 2021 · 1 min read ये जो प्रेम है ये जो प्रेम है यही तो आधार है मेरा तुम्हारा। तुम्हारा प्रेम तुम्हारा एहसास जीवन रेखा। ये जो भाव हैं ह्रदय में उपजे गतिशील हैं। मैं और तुम पूर्ण एक... Hindi · हाइकु 1 527 Share Ambika Garg *लाड़ो* 22 Jul 2021 · 1 min read प्रीत प्रीत न जाने रीत को, प्रीत से प्रीत जो होय। प्रीत समाहित ह्रदय बीच, हर बंधन मुक्त होय। प्रीत समाहित हर कण में, प्रीत समाहित हर क्षण में। प्रीत माँ... Hindi · कविता 2 2 238 Share Ambika Garg *लाड़ो* 22 Jul 2021 · 1 min read दोहा गहन उदासी हृदय की, समझ न पाए कोय। जो घट भीतर घट रहा, कैसे परकट होय। Hindi · दोहा 472 Share Ambika Garg *लाड़ो* 22 Jul 2021 · 1 min read उदासियाँ रोज जीतने की कोशिश करती हूँ, पर रोज हार जाती हूँ। तेरी उदासियों के सबब से, रोज खार खाती हूँ। क्यूँ समझते हो तुम अकेला खुद को, मैं भी तो... Hindi · कविता 1 682 Share