रणजीत सिंह रणदेव चारण Language: Hindi 35 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रणजीत सिंह रणदेव चारण 2 Sep 2017 · 1 min read जिंदगी ये मासूमियत यूं ही ढल रही हैं, जिंदगी में तन्हाई यूं खल रही हैं, हों अगर कोई हमें चाहने वाला, तो आ जाओं रूह जल रही हैं।। रणजीत सिंह "रणदेव"... Hindi · मुक्तक 1 421 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 28 Jul 2017 · 1 min read -सहर्ष सूखी पडी धरा सहर्ष सूखी पडी धरा ,हैं बादल अब आओ तो। किसान तेरी राह देख रहा, अब बादल बरसाओं तो।। घनी गहरी कडी धूप जन जगत सब सहमें हूए। देखा दिखता जग... Hindi · कविता 1 561 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 26 Jul 2017 · 2 min read -दीवाली दीवाली पर्व को मैं द्वार तुम्हारे* धन, हर्ष, व रंगरोचन लायी हूँ| अनुयायी धर्म हिन्दुवास हैं मेरा, सांस्कृतिक प्रदायी प्रकरण ही हूँ || उद्गम न्यारे हैं इस धरा पर मेरा,,... Hindi · कविता 1 296 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 26 Jul 2017 · 2 min read कुछ ह्रदय उद्गारों का कहना हैं समतल धरा से , लेकर हिमगिरी तक, जीवन से स्वयं का ओझल होने तक,, कर्म का वजूद रखकर बताना हैं, कुछ करके मुझको अजंस न लेना हैं, जीवन के कुछ... Hindi · कविता 1 395 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 26 Jul 2017 · 2 min read मैं दीपावली न सुरज न चाँद की अमावस्या को दीपों से चमकती, मैं दीपावली न सुरज न चाँद की | आयी हैं तुमको याद जिस दिन,, बनवासी लौटा हर्षोल्लास की || उस दिन घर-गली को महकाया, सिता-राम... Hindi · कविता 1 369 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 26 Jul 2017 · 1 min read मोदी जी की बाजी मोदी जी की बाजी अंधों को बर नहीं आती। अंधे बरक्कत चाहते पर ये लत नहीं जाती।। नोटों से भरे हाॅल बाजी रास कैसे आये अब। नोटो पे बैन दिल... Hindi · कविता 1 533 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 17 Jul 2017 · 1 min read देशद्रोही छुप बैठे हैं देशद्रोही छुप बैठे हैं, हिंदु वतन की रिक्तियों में। ढूंढ-ढूंढ के मार गिराओं,, जहाँ दिखे गलियों में।। कश्मिर धरा पर गद्दारों ने, ईमान का पतन किया। देश रक्षकों पर उन... Hindi · कविता 2 3 360 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read देश रक्षा के ए-सिपाई देश सीमा को न ओझल होने देता। भूखा , प्यासा होकर धरा लिए रहता ।। स्वयं के जीवन का झण्डा गाढ देई,, देश रक्षा के ए - सिपाई । मूख... Hindi · कविता 1 287 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read विदाई का त्योहार सूना गूरूजी से की विदाई का आया त्यौहार । मैं थम गया अब कैसे जाऊ मैं उस पार।। शिक्सा की शाला में अनोखा दोस्तो का साथ। कदम से कदम मिलाया,हाथो... Hindi · कविता 3 3 515 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read आखिर जवानी में भुल जाते हों गीतो को तुम तो गुन गुनाते हो, भरी जवानी में क्यो इतराते हो । भुल जाते हो माँ - बाप का प्यार ,, जिनको तुम पराये कर जाते हो ।।... Hindi · कविता 1 253 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read मन्दिर, मस्जिद नाम हैं मेरा , शिश झुकाने का करते फैरा। मन्दिर, मस्जिद नाम हैं मेरा,, शिश झुकाने का करते फैरा | मन्दिर की पेढियाँ चढ जाने को,, करते हैं मंदिर से रंग सवेरा || माँ- बाप से करते हैरा -... Hindi · कविता 1 444 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 2 min read -वो भारत देश हैं मेरा, जिस पर जन्म लेकर किया मैंने सवेरा। वो भारत देश हैं मेरा, जिस पर जन्म लेकर किया मैंने सवेरा। वो अनोखा भारत भू हैं मेरा,, उस पर किया मैंने रंग सवेरा,, आँखों में दो माताओं को पाया,,... Hindi · गीत 292 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 2 min read आओ नेताजी हम दोनों कुछ बात करें आओ नेताजी हम दोनों कुछ बात करें,, हमारे देश के लिए हम कुछ काम करें,, आओ नेताजी भाषण के लिए हम,,, एक अधूरे कामों की लिस्ट तैयार करें भाषण के... Hindi · कविता 293 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read बदला तो लेना हैं मगर ( पाक को समझाने के लिए एक रचना) बदला तो लेना हैं मगर, तेरा बचना हैं नामुंमकिन | आजा पाक आजा रणखेत में, तेरा जुर्म हैं संगीन || आहत हैं दिल मेरा,तेरे खाम्याजो की मकारी से | पाक... Hindi · कविता 515 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read -चल आना अब लौट चल आना अब लौट,आशा का नूर जगाना हैं, न आया तो तु मेरे दिल का आशिक बेगाना हैं,, किधर-किंचित किरणों मे अल्फाज छोड़ा हैं, जहाँ सवेरा साथ होता था राह... Hindi · कविता 508 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 2 min read माँ ओ मेरी माँ माँ ओ माँ मेरी वो तेरा कहना था, बुढापे मे सहारा बताना था | भुलु भी कैसे भला मैं, तेरा ही तो दिया हूआ ये जीवन बसाना था || मेरा... Hindi · गीत 773 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 2 min read -दिल तो कहता हैं दिल तो कहता हैं बहूत ओ यारा मगर | यूँही हटा देता हूं, उन नजरो से नजर || इस भरी दुनियाँ मैं बैठे आशिक हैं कहीं, एक ही अल्फाज से... Hindi · गीत 315 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read -मैं फौलाद ( मैं फौलाद, मैं फौलाद, हूँ हूँ, भारत माँ की औलाद।) मैं फौलाद, मैं फौलाद, हूँ हूँ, भारत माँ की औलाद | मैं फौलाद, मैं............................1 पाक आजा, आजा, आजा तु चकले फौलादी स्वाद, मैं फौलाद, मैं फौलाद, हूँ हूँ, भारत माँ... Hindi · गीत 353 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read जीवन में आभा की ज्योत जगा दो ( ह्रदय की आभा) जीवन में आभा की ज्योत जगा दो, जीवन में थोडा कुछ कर दिखलादो,, ह्रदय चाहे दर्द से ही भींच रहा हो, उद्दगारो से ही ह्रदय सींच रहा हो,, रिमझिम आँखे... Hindi · कविता 610 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 13 Jul 2017 · 1 min read प्रकृति परिवेश वर्षा से रंग - बे गुलशन खिलता प्रकृति परिवेश वर्षा से रंग-बे गुलशन खिलता। देखकर के ये सब जग सारा झूम उठता ।। हे प्रभू प्रकृति को सजाया सँवारा तुमने ऐसा । रंग- बिरंगी सा मानों रूप... Hindi · कविता 565 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 2 min read -अम्बर तेरा तो धरा मेरी (भारत पाकिस्तान में सवांद सम्बंधित रचना) अम्बर तेरा तो धरा मेरी, अंतरिक्ष बीच राह मेरी,, जल मेरा ज्वाला तेरी,, पानी ही बहा दूँगा बैरी,, शौर तु करता शांति मेरी, प्रयास मेरा चिंगारी तेरी,, देश मेरा आतंक... Hindi · कविता 1 1 310 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 1 min read जीवन परिश्रम और आशाएँ निर्जन नाम साथ हरे-भरे खेत - खलिहान, ओर कुछ आडी - टेडी बस्तियों सा गाँव | कुछ अकेले और मन संचित ह्रदय वाले,, आशा के रहीम, फकीर ह्रदय का मुर्छाव... Hindi · कविता 2 442 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 1 min read -हरिनाम हरिराम जपले प्राणी ; जन्म यो सुधर जाय । केऊ मन हित सोच के ; बचे ना कर्म सिवाय ।। बचे ना कर्म सिवाय ; जद न चले कर्म रामा... Hindi · कुण्डलिया 1 2 534 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 1 min read मोदी जी जिओं हजारों साल भारत का सपना साँझ लिये , सीढ़ी से मंजिल चाल लिये,, गली - गली में इक सौर लिये , कालेधन आशा निवास लीये ,, चिंतित हैं कालेधन से बेहाल, मोदी... Hindi · कविता 215 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 1 min read नयें युग का बदलाव नया युग सा आया हैं ,जर्रा इसकी बौछारें देखना। हाल- ए- हाल बदलने से देश का आईना देखना।। नया युग सा आया हैं, जर्रा अब मिजाज देखना। रंग-ए -रुख आज... Hindi · कविता 771 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 2 min read -जन की कौन देख रहा? कौन तडफ रहा है, इस समर भारत देश में, क्या किया तुमने त्रिकुणी टोपी सफेद वेश में,, भाषण में तुम जोश लिये, भाषण राग सुनाते हो। सुखी वादें कर हड्डियों... Hindi · कविता 279 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 2 min read -देखों तो आंखों के आगे जुर्म दिखता हैं जुर्म की धारा इन पाखण्डों से दिख रही है। उनके कर्मों से ये भु धरा आज हिल रही हैं। दुनिया में कितने पैसेवर हैं न जाने कितने गरीब, पर जगह-जगह... Hindi · कविता 436 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 1 min read -होली आई - रे ( होली गीत ) देखों-देखों होली आई रें, खुशियां रंगा में छाई रे। हाँ रे होली आई रें, खूब धुम - धाम मचाई रे।। देखों - देखों............................. । ठण्डी - ठण्डी पवन रें साथे... Hindi · गीत 415 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 1 min read हैं सखी रंग - रंगदो ना गुलाल (होली गीत) प्रिय मोरी सखी तुम रंग-रंग दो ना रंग गुलाल। फाग की तानें छिडती चेहरा कर दो ना लाल।। प्रिय मोरी सखी................... । सब संग खेले हे होली ऐसों हैं योंही... Hindi · गीत 354 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 12 Jul 2017 · 2 min read -बचपन का मेला मेले के जीवन से एकदम विपरित बचपन में था मैं भोला - सयाना। मेला सभी को सौन्दर्य से लुटता कहते सब हुशयारी का जमाना।। जब गांव-गली में मेले के आने... Hindi · कविता 879 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 3 Jul 2017 · 1 min read मैं सहलूँगी (बेटी) एक सुन्दर सी बेटी ,, सुखे सागर, काला मन, जब द्वार बेचारी खिली,, जिनके अंतस में तो पौधा हों,, फल-फुल साख का बेटा साधन हों। लेकीन बेटी आयी थी ।... Hindi · कविता 673 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 3 Jul 2017 · 1 min read आजा गगन गगन तेरे मैं खौंफ का अनोखा गान छुपा, मग्न ह्रदय से किसान तेरा बखान करता। तेरी आवाजे कब पापियों में खौंफ लायेंगी,, आवाजों का जादू आज भी कुछ न करता।।... Hindi · कविता 224 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 3 Jul 2017 · 1 min read - ये प्यारा जग में न्यारा, भारत कुंज हमारा ये प्यारा जग में न्यारा,भारत कुंज हमारा । ए शहीदों इसके गौरव में भी नाम तुम्हारा ।। ये प्यारा जग में न्यारा ............................1 तुम सिमा पर इसके पहरी बनें खडें... Hindi · गीत 593 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 3 Jul 2017 · 2 min read भारत महिमा (भारती हो भारती, दुनिया तुझे निहारती।) भारती हो भारती,,दुनिया तुझे पुकारती। जहाँ वेदो , पुराणो का उत्थान हुआ । जहाँ नक्षत्रों का अद्भुत ज्ञान हुआ।। ऋषि , मुनियों का ये देश कहाया, उसी पुण्य भुमि कहते... Hindi · कविता 476 Share रणजीत सिंह रणदेव चारण 26 Jun 2017 · 1 min read भगवान की सत्ता में सभी समान निर्धन जग में कोय ना, ना कोई धनवान। ईश् नजर से देख लों,, सब रूपमें समान।।२।। झोपडी और महल से, मनु में ना कर भेद। ईश्वर माया एक सी,,कर्म करत... Hindi · दोहा 905 Share