Sahib Khan Tag: कविता 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sahib Khan 10 Dec 2016 · 1 min read “ बयान-ए-नज़र “ ऊपर वाले का जरा नाम ले, दिल अपना भी जरा थाम ले, देखे नहीं जाते अश्क तेरे, अपने इन अश्को को थाम ले, तेरे अश्क मुझे देखकर निकलते है, मेरे... Hindi · कविता 195 Share Sahib Khan 9 Dec 2016 · 1 min read मैं लिखता हूँ तुम्हारी खातिर, मैं लिखता हूँ तुम्हारी खातिर, तुम जान हो मेरी, मैं शायर हूँ तो क्या, तुम पहचान हो मेरी, सहर तुम्हारी याद से होती है, तुम ही शाम हो मेरी, तुमसे... Hindi · कविता 269 Share Sahib Khan 9 Dec 2016 · 1 min read " काश कोई होती " दिल कभी कभी यू सोचता है, काश कोई होती.................. जिसकी गली से हम जाते, वो छज्जे से देखती, हमे मुश्कूराते, काश कोई होती.................. जो हर शाम छत पर मेरा इंतजार... Hindi · कविता 397 Share Sahib Khan 9 Dec 2016 · 1 min read "दिलनशी तुम ना होते" चाँद ना यू शरमाता, गुलो पे भवरा ना यू मंडराता, अगर दिल नशी तुम ना होते, आशिक़ कोई ना बन पता, शायर कोई ना कहलाता, गम कोई ना होता, तन्हाई... Hindi · कविता 719 Share