निहारिका सिंह Language: Hindi 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid निहारिका सिंह 22 Feb 2018 · 1 min read मूर्ख कौन पागल हवा .... घूमती रहती है .. भटकती रहती है .. टकराती रहती है ..चट्टानों से ... फिर भी नही टूटती .. नही कमजोर होते उसके इरादे ... और वो... Hindi · कविता 5 3 341 Share निहारिका सिंह 21 Feb 2018 · 1 min read रातरानी रातों को तुम्हारा यूँ खिलना सबसे भिन्न है , विशेष है .. चाँद हर रात छू लेता होगा अपने स्पर्श से खिला देता होगा भावों को .. परिणय के सपनो... Hindi · कविता 5 2 655 Share निहारिका सिंह 8 Feb 2018 · 1 min read आक्रोश भारत के हित को रोके जो , वो बन्धन आज तोड़ती हूँ । जो आक्रोश दबा बैठी थी , पुनः आज लिखती हूँ । घर के भेदी जो बन जायें... Hindi · कविता 1 1 243 Share निहारिका सिंह 7 Jan 2018 · 2 min read मेघ मेघ जो तुम घिर आए हो , किसका संदेशा लाए हो .. यूं उमड़-घुमड़ कर तुम आसमान पर छाए हो किसका संदेशा लाए हो... तुम्हारे आने से पहले जो दहक... Hindi · कविता 3 2 282 Share निहारिका सिंह 23 Dec 2017 · 1 min read नारी तू चण्डी का अट्टहास तू सिंघों की गर्जन है हे नारी ! तू जननी तू रुद्राणी का दर्पण है खण्ड्ग वार चमक बनकर दुष्टों का संघार करो रण में कौतूहल... Hindi · कविता 2 439 Share निहारिका सिंह 11 Dec 2017 · 1 min read प्रेम की चदरिया प्रेम की एक चदरिया बुनी मैंने , लो साँवरे का रंग मुझपर चढ़ गया .. जो भी था ,जैसा भी था चित मेरा था वो चितचोर मेरा चित भी चोरी... Hindi · कविता 2 576 Share निहारिका सिंह 8 Dec 2017 · 1 min read प्रकृति हे हिमराज ! इतना विशाल हृदय कैसे बस एक अवस्था में अडिग क्या कभी नही पीड़ा होती धूप की किरणों से जो बर्फ पिघलती है वह बर्फ पिघलती , या... Hindi · कविता 3 460 Share निहारिका सिंह 10 Nov 2017 · 1 min read त्रिभंगीलाल ।।१।। मैं रवि तुम चाँद से मैं काया तुम प्राण से .. मैं बसुरी तुम बसुरी की धुन ! मेरा प्रेम त्रिभंगीलाल से .. ।।२।। पुष्प करती हूँ समर्पित हे... Hindi · कविता 4 262 Share निहारिका सिंह 10 Nov 2017 · 1 min read त्रिभंगीलाल मैं रवि तुम चाँद से मैं काया तुम प्राण से .. मैं बसुरी तुम बसुरी की धुन ! मेरा प्रेम त्रिभंगीलाल से .. निहारिका सिंह Hindi · कविता 2 272 Share निहारिका सिंह 24 Sep 2017 · 1 min read नारी : मातृभूमि सुकुमार कुमुदिनी , लिए कृपाण , नयनों में लिए बदले के बाण । पति संग देशसम्मान बचाने को , कर दिए मातृभूमि पर निछावर प्राण ।। हाँ मैं नारी हूँ... Hindi · कविता 1 458 Share निहारिका सिंह 16 Sep 2017 · 1 min read हिन्दी : माँ स्वयं में सम्पूर्णता है हिन्दी हमारा गर्व हमारा अभिमान हमारी शान है हिन्दी शिशु बनकर लिया जिन वर्णों से नाम माँ का , उस शब्द का सार है हिन्दी खोते... Hindi · कविता 2 402 Share निहारिका सिंह 13 Sep 2017 · 1 min read पतझड़ लो फिर आ गया ..पतझड़ का मौसम फिर पत्तों से पेड़ों की बेरुखी होगी फिर से वही दोनों में गुमशुदी होगी फिर से दोनों एक-दूसरे से न बात करेंगे फिर... Hindi · कविता 3 1 849 Share निहारिका सिंह 18 Aug 2017 · 1 min read नारी मैं विवश नही अब , मैं आदिशक्ति की ज्वाला हूँ । मैं हूँ अमृत , मैं ही विष का प्याला हूँ । मैं ही सृजनकर्ता , मैं संघराक हूँ ।... Hindi · कविता 2 1 515 Share निहारिका सिंह 15 Aug 2017 · 1 min read हिन्द की बेटी मैं हिन्द की बेटी सरफ़रोशी का ताज रखती हूँ हृदय में प्रेम म्यान में तलवार रखती हूँ मैं लेखनी , मैं ही तलवार हूँ .. मैं प्रेम बीज ,मैं ही... Hindi · कविता 2 527 Share निहारिका सिंह 7 Aug 2017 · 1 min read वीर भाई हमारी रक्षा की जो कसमें खायीं हैं , वो वहाँ सरहद पर खड़ा निभा रहा होगा । हम यहाँ गुनगुनाते हैं फिल्मी गाने वो देश पर मर मिटने के गीत... Hindi · कविता 2 570 Share निहारिका सिंह 6 Aug 2017 · 1 min read लखनऊ विकास में तत्पर लेकिन , अपने संस्कारों में रमा है लखनऊ । पुराने रीति रिवाजों वाला लेकिन अब तक जवां है लखनऊ । जो महसूस करते हैं ज़िन्दगी की थकान... Hindi · कविता 1 454 Share निहारिका सिंह 12 Jul 2017 · 1 min read समर्पण तुम संपूर्ण देश की आशा हो , तुम प्रति प्रस्फुटित भविष्य की अभिलाषा हो। तुम साहस ,सौहार्द का मापदंड हो , हे वीर !तुम्हारी आन समर्पण हो ।। तुम हो... Hindi · कविता 1 524 Share निहारिका सिंह 12 Jul 2017 · 1 min read जाग रहा है हिन्दुस्तान आज विदेशों में भी अपना , गूंज उठा जन-गण-मन गान । अपनाकर पुनः संस्कृति अपनी , जाग रहा है हिन्दुस्तान । सबने माना योग स्वास्थ्य का , पूर्णतः प्रतिपालक है... Hindi · कविता 1 398 Share निहारिका सिंह 6 Jul 2017 · 1 min read मैं बेचारी मैं बेचारी हे कृष्ण ! तुम्हारी । मैं मीरा तेरे दरस की प्यासी ।. हे गिरधर ! हे नागर! कान्हा ! हे मेरे मनभावन कान्हा । .. प्रेम भाव से... Hindi · कविता 3 389 Share निहारिका सिंह 4 Jul 2017 · 1 min read कृष्णा मेरा प्रेम ।।1।। श्याम श्याम जपते मैं ऐसी खो जाऊँ। दूँ वीणा पे तान मैं मीरा हो जाऊ । है चाह नही कोई बस चाह यही पाऊँ। तुझे आंखों में बसाकर मैं... Hindi · कविता 2 1 354 Share निहारिका सिंह 4 Jul 2017 · 1 min read स्वाभिमान हाँ ! ठीक सुना तुमने नही चल सकती अब , एक और कदम तुम्हारे साथ .... तुम्हारे साथ खुश थी हर परिस्थिति में तुम्हारे दुःख में भी साये की तरह... Hindi · कविता 1 481 Share निहारिका सिंह 22 Jun 2017 · 2 min read कृषक गरीबों को मोहताज अन्न के दाने हो रहे घर में चूहे जले ज़माने हो रहे .. बूढ़ी मां पानी पी-पीकर सोती है छुटकी बिटिया भूख में बिलख-बिलख कर रोती है... Hindi · कविता 1 582 Share निहारिका सिंह 19 Jun 2017 · 1 min read आत्मनिर्भरता दहलीज के आधार ,पर स्त्रियों पर संस्कार के मानक तय हैं समाज के द्वारा । अच्छे घर की लड़कियाँ बसों पर धक्के नहीं खातीं । वे आत्मसम्मान के हेतु आवाज... Hindi · कविता 2 1 1k Share