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4 Jul 2017 · 1 min read

स्वाभिमान

हाँ ! ठीक सुना तुमने
नही चल सकती अब , एक और कदम तुम्हारे साथ ….

तुम्हारे साथ खुश थी
हर परिस्थिति में
तुम्हारे दुःख में भी
साये की तरह साथ रही
तुम्हारे संग हर राह पर
चलने को तैयार रही
जैसे तुमने रखा
मैं खड़ी रही तुम्हारे साथ ।
नही चल सकती अब ,एक और कदम तुम्हारे साथ …..

एक स्त्री का स्वाभिमान
अमानत होती है उसकी
उससे छेड़खानी नही करनी थी तुम्हें
मेरे मौन को तुमने
कमजोरी मान जो भी किया अत्याचार
मैं चुपचाप सहती रही
इस आस में कि
तुममें मेरा प्रेम एक दिन
नये पल्लवों के साथ प्रस्फुटित होगा
स्वयं को भुलाकर
तुम्हारे संसार को माना अपना संसार
मैंने तुम्हें ही अपनी माना पहचान
तुम थे मेरा अभिमान ।

नही चल सकती अब ,एक और कदम तुम्हारे साथ …..

निहारिका सिंह

Language: Hindi
1 Like · 480 Views
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