Meenakshi Bhatnagar Tag: कविता 35 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Meenakshi Bhatnagar 22 Nov 2022 · 1 min read अंधेरे की पाती उजास ,प्रकाश , रौशनी एक ही शब्द के पर्याय तुम मानते अपने को श्रेष्ठ मुझे कमतर आँकते तुम्हारा अस्तित्व मुझसे ही तो है दीप की जलती वर्तिका मुझसे ही तो... Hindi · कविता 95 Share Meenakshi Bhatnagar 17 Sep 2021 · 1 min read मैं बसंत मैं बसंत मैं बसंत कठिन वक्त की ठोकर हो फिर भी आ जाता कर्तव्य बोध से हर द्वारे दस्तक दे esता हूँ मैं ऋतुराज बसंत जब यौवन की उद्दाम लहर... Hindi · कविता 296 Share Meenakshi Bhatnagar 16 Dec 2020 · 1 min read जश्न जश्न अभी यह दौर कठिन है वक्त का , मानव खड़ा ले कवच हिम्मतका , चल रहा है कोशिशों का सफर , जल्दी ही खत्म होगा यह कहर , जब... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 602 Share Meenakshi Bhatnagar 11 Apr 2020 · 1 min read प्रति दिन एक लौ जला रहाहूँ प्रतिदिन एक लौ जला रहा हूं । नव आशाओं के खिले कमल , उन पर गाते भंवरों के दल , सब की आकांक्षाएं प्रबल , गीत प्रीत के रचा रहा... Hindi · कविता 1 2 447 Share Meenakshi Bhatnagar 16 Jan 2020 · 1 min read चौराहा नमन मंच 9/1/2019 छंद मुक्त चौराहा इक चौराहे पर खड़ा हुआ सोच रहा था मानव मन सत्य की पकड़ूं राह या पतली गली से निकल जाऊं अपनी सुख सुविधा में... Hindi · कविता 440 Share Meenakshi Bhatnagar 6 Jan 2020 · 1 min read भीड़ 6/1/2020 भीड़ बस एक भीड़ लिए उन्माद का रूप खिलते खेलते घर को कर गई तबाह एक आह न निकल पाई हुआ सब कुछ बर्बाद । क्या था कसूर यूँ... Hindi · कविता 1 587 Share Meenakshi Bhatnagar 2 Jan 2020 · 1 min read नया साल 2/1/2020 वर्ष नवल तुम यूँ आना सावन की नन्ही बूंदो से कलुष सभी मिटा जाना खिल खिल जाए पात खुशी से निखरी निखरी धूप में वर्ष नवल तुम यूँ आना... Hindi · कविता 1 249 Share Meenakshi Bhatnagar 12 Nov 2019 · 1 min read पहचानो तुम मन की शक्ति सृष्टि की अंधी दौड़ भाग जीवन में लगी हुई आग हो तुम मानव मन की प्रीत रच लो मौन राग का गीत छोड़ो झूठी यह आसक्ति पहचानो तुम मन की... Hindi · कविता 255 Share Meenakshi Bhatnagar 12 May 2019 · 1 min read माँ मां तुम याद बहुत आती हो चूल्हे पर फुलके सेंक सेंक कंगन के खनखन करते गीतों से प्यार परोसा करती थी माँ तुम याद बहुत आती हो भीगी भीगी बरसातों... Hindi · कविता 265 Share Meenakshi Bhatnagar 12 May 2019 · 1 min read रुत भी आ कर बीत गई यह रुत भी आकर बीत गई मन की सब बतिया रीत गई गुलमोहर पर छाई बहार उस पर गर्मी का प्रहार दुल्हन ले जाए धूप कहार मौसम के संग प्रीत... Hindi · कविता 483 Share Meenakshi Bhatnagar 21 Feb 2019 · 1 min read जग सारा बाज़ार हुआ बाहर के आडंबर हैं मन का .सूना अंबर है भावों का. तो मेला है मानव .स्वयं अकेला है भाव सलीका औजार हुए जग सारा बाजार हुआ सच्चे का मुंह काला... Hindi · कविता 259 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Jan 2019 · 1 min read माँ माँ तू दृश्य अभिराम जीवन की बहती नदिया कभी रुकी पवन सी कभी चले मन भाती पुरवाई माँ तू ममता की सीपी का मोती है माँ तू घिरती संध्या का... Hindi · कविता 515 Share Meenakshi Bhatnagar 15 Nov 2018 · 1 min read सरदार पटेल सरदार पटेल लहू में उसके देश प्रेम का उठता हुआ तूफान था मन में एक प्रगतिशील देश का सपना साकार था स्वतंत्रता सेनानी एक वीर योद्धा महान था वह देश... Hindi · कविता 1 1 445 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Aug 2018 · 1 min read dev ho tum danav bhi tum देव हो तुम दानव भी तुम सृजन की हो आस तुम विनाश का भी भास तुम मरण जीवन चक्र तुम उद्धार का द्वार भी तुम देव भी तुम दानव भी... Hindi · कविता 324 Share Meenakshi Bhatnagar 12 Jul 2018 · 1 min read कविता हर पल की साक्ष्य बनो तुम कविता हर पल की साक्ष्य बनो तुम अनवरत यात्रा सी इक पथिक के गुनगुनाते ख्वाबों की प्यास सी इतिहास के फ़लक पर नेह संस्कृति का धनक सजा दो कविता हर... Hindi · कविता 1 248 Share Meenakshi Bhatnagar 26 Apr 2018 · 1 min read दंगख, फसाद विधा पिरामिड विषय दंगा हां आशा संदेशा परिभाषा जो मन चंगा न फसाद दंगा कठौती में हो गंगा हां दंगा उन्मादी हो फसादी करें बर्बादी रचे अवसाद जै अवसरवाद मीनाक्षी... Hindi · कविता 347 Share Meenakshi Bhatnagar 20 Apr 2018 · 1 min read यात्रा एक यात्रा नमन मानवता चार्ल्स डार्विन के विकास वाद के सिद्धांत और प्रकृति चयन से आए पहले मनुष्य के अस्तित्व की चौपाए से इंसान बनने की उन्नति की ,उत्थान की... Hindi · कविता 460 Share Meenakshi Bhatnagar 4 Apr 2018 · 1 min read यात्रा एक यात्रा नमन मानवता चार्ल्स डार्विन के विकास वाद के सिद्धांत और प्रकृति चयन से आए पहले मनुष्य के अस्तित्व की चौपाए से इंसान बनने की उन्नति की ,उत्थान की... Hindi · कविता 510 Share Meenakshi Bhatnagar 2 Apr 2018 · 1 min read सम्भावनाओ की तलाश ज़ारी है सम्भावनाओं की तलाश ज़ारी है कविता तुम्हें तलाशता हूँ हर इक सम्भावना में ख़ुशनुमा पलों की सरगम अत्याचार अनाचार के विरुद्ध मौन चीख में कविता हर पल की साक्ष्य बनो... Hindi · कविता 349 Share Meenakshi Bhatnagar 14 Mar 2018 · 4 min read हलचलें हलचलें हलचलें होती ज़िंदगी की हरारते सोचो तो जो सब अच्छा अच्छा होता संघर्ष टेंशन दुख का नाम नहीं होता कौन किसे उपदेशों का देता काढ़ा सोचो सोचो जो गम... Hindi · कविता 298 Share Meenakshi Bhatnagar 13 Mar 2018 · 1 min read मन का करघा मन का करघा चला सूत से एक चदरिया बुन डाली रेशे रेशे में रंग केसरिया से मन सन्यासी कर डाला अन्तर्मन में तुझे सजाकर नैनों की ज्योति से कर आरत... Hindi · कविता 486 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Jan 2018 · 1 min read सफ़र ज़ारी है हर इक मुकाम पर अनजानी मंज़िलों को तलाशती ज़िंदगी की अभिलाषाओं का सफर ज़ारी है हर इक शज़र पे रंग बदलते मौसमों का खिलते झरते पत्तों की सर उठाती उम्मीदों... Hindi · कविता 487 Share Meenakshi Bhatnagar 21 Jan 2018 · 1 min read मुखौटे ही मुखौटे दर्द की चौखट पर विषाद से घिरे भरे भरे नैनों से फिर भी भाव छुपाते मुस्कराते मुखौटे ही मुखौटे धर्म की आढ़ में छलते मानव मन को कलुष ह्रदय ले... Hindi · कविता 441 Share Meenakshi Bhatnagar 19 Jan 2018 · 1 min read इंद्रधनुष इंद्रधनुष - एक संवाद दूर कहीं एक टूटे फूटे घर में जहाँ गरीबी की परिभाषा भी शरमाती थी माँ गोद लिए बैठी थी अपनी इकलौती निधि को बहलाती फुसलाती बेटा... Hindi · कविता 277 Share Meenakshi Bhatnagar 19 Jan 2018 · 1 min read इंद्रधनुष इंद्रधनुष - एक संवाद दूर कहीं एक टूटे फूटे घर में जहाँ गरीबी की परिभाषा भी शरमाती थी माँ गोद लिए बैठी थी अपनी इकलौती निधि को बहलाती फुसलाती बेटा... Hindi · कविता 391 Share Meenakshi Bhatnagar 31 Oct 2017 · 1 min read बेनाम रिश्ते निखरती कृति तराशी जाती लेखनी इक नया आयाम रचती लेखनी का दर्द कृति का निखार कर जाता सार्थक इन दोनों का ये बेनाम रिश्ता सूर्य को अलविदा कहता सुरमई अँधेरा... Hindi · कविता 446 Share Meenakshi Bhatnagar 28 Oct 2017 · 1 min read आसमानी जादूगर ।ये आसमानी जादूगर कितनी कविताएँ जगाता है भोर के सूर्य सी आशाओं की कविता जो पोर पोर में पुलक सी जगाती है भरी दोपहर में खून के हौसले बढाती दिल... Hindi · कविता 276 Share Meenakshi Bhatnagar 27 Oct 2017 · 1 min read अँधेरा उजास ,प्रकाश , रौशनी एक ही शब्द के पर्याय तुम मानते अपने को श्रेष्ठ मुझे कमतर आँकते तुम्हारा अस्तित्व मुझसे ही तो है दीप की जलती वर्तिका मुझसे ही तो... Hindi · कविता 462 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Oct 2017 · 1 min read खामोशियाँ गुनगुनाते झरनो के रसीले सुर फूलों के खिलते मासूम रंग तितली भँवरों की ये गुनगुन अनकहे प्रेम की बहती तरंग सितारों की अनगढ़ चमक मौन संवादों की मधुर गूँज अन्तर्मन... Hindi · कविता 560 Share Meenakshi Bhatnagar 1 Oct 2017 · 1 min read दिल्ली दिल्ली कटते जा रहे नगर के सैकड़ों शजर हैं कैसे होगी गुजर कठिन चारों पहर हैं दिल्ली तुम दिल वालों की बस्ती रही हो बाकी सी चितवन कहाँ खो गई... Hindi · कविता 607 Share Meenakshi Bhatnagar 29 Sep 2017 · 1 min read रावण रावण हर वर्ष मेरा पुतला जलाते हो बुराई पर अच्छाई का दम भी भरते हो कभी देखा खुद को क्या क्या हुनर दिखाते हो घटनाएँ घट जाये फिर लकीर पीटते... Hindi · कविता 1 447 Share Meenakshi Bhatnagar 27 Sep 2017 · 1 min read जश्न जिंदगी जीवन जीने का यत्न जिदंगी खुद क्यूँ हो रही प्रश्न जिंदगी छोड़ ही दे सिलसिले सवालों के उम्मीदों का खूबसूरत जश्न जिंदगी यूँ ही नहीं मिलती रत्न जिदंगी प्यार मोहब्बत... Hindi · कविता 323 Share Meenakshi Bhatnagar 12 Feb 2017 · 1 min read मुद्दे मुद्दे रोज नये नये उठाते रहे राम को तो कभी रहीम को जगाते रहे रहता था जो रब दिलों में उसे थपकिया दे कर सुलाते रहे सोया था जो नाग... Hindi · कविता 297 Share Meenakshi Bhatnagar 22 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ ऑखो में काजल लगाती बेटियाँ कभी ऑसू बहाती बेटियाँ कभी दो टूक कर दे दिलों को कभी रिश्तों को रफू कराती बेटियाँ कभी ख्वाबों की चादर बुनती आजादी का जश्न... Hindi · कविता 253 Share Meenakshi Bhatnagar 18 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ ऑखो में काजल लगाती बेटियाँ कभी ऑसू बहाती बेटियाँ कभी दो टूक कर दे दिलों को कभी रिश्तों को रफू कराती बेटियाँ कभी ख्वाबों की चादर बुनती आजादी का जश्न... Hindi · कविता 497 Share