जगदीश लववंशी Language: Hindi 531 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 10 Next जगदीश लववंशी 29 Jul 2017 · 1 min read जन्मभूमि हमारे पूर्वजाे की यह कर्मभूमि, उमरेड़ हैं हमारी जन्मभूमि, यहाँ की मिट्टी में घुला स्नेह, नही इस पर काेई संदेह, यह गांव हमारा है एक परिवार, मिलकर प्रेम से मनाते... Hindi · कविता 675 Share जगदीश लववंशी 29 Jul 2017 · 1 min read माँ बहुत याद आती हर पल हाेता है अहसास, रहती हाे सदा मेरे पास, याद तुम्हारी बहुत आती है माँ, अकेले मे बैठकर बहा लेता हूँ आंसू माँ, दिल में है एक चुभन, किससे... Hindi · कविता 275 Share जगदीश लववंशी 29 Jul 2017 · 1 min read जिंदगी हैं एक सवाल जिंदगी है एक सवाल, नही पता इसका हल, दूर से लगता कितने है खुश, पास से दिखते है नाखुश, उलझनाे की है ये पहेली, नही बनती मेरी सहेली, बहुत लंबा... Hindi · कविता 261 Share जगदीश लववंशी 29 Jul 2017 · 1 min read जीवन हैं एक मेला जीवन है एक मेला, उलझनाे का है झमेला, लगे है खुशियों के झूले, भटककर हम उनकाे भूले, पग पग पर लगे है कुंए माैत के, अच्छी साेच, सच्ची चाह संग... Hindi · कविता 264 Share जगदीश लववंशी 29 Jul 2017 · 1 min read बचपन कितना सुंदर था बचपन कितना सुंदर था, खुशियों का समन्दर था, जाे भी था पर अपना था, लगता है एक सपना था, उड़ने की एक चाहत थी, रूठने की एक आदत थी, कल्पनाओं... Hindi · कविता 272 Share जगदीश लववंशी 29 Jul 2017 · 1 min read कविता हैं मन का भाव कविता है मन का भाव, भरती है जीवन के घाव, जब हाेने लगती कांव कांव, याद आता मुझकाे मेरा गांव, वाे कहां गयी कागज की नाव, कहां गये पाेथी पढ़ने... Hindi · कविता 1 1k Share जगदीश लववंशी 26 Jul 2017 · 1 min read हम साथ चले दाे कदम तुम चलाे, दाे कदम हम चले, कट जायेंगे ये रास्ते, मिट जायेंगे ये फासले, बढ़कर झुकना नही, चलकर मुड़ना नही, असफलता से डरना नही, सफलता का अहं नही,... Hindi · कविता 441 Share जगदीश लववंशी 26 Jul 2017 · 1 min read भीष्म वह वीर काैरव, चंद्रवंश का गाैरव, गंगा का दुलारा, परशुराम का प्यारा, अम्बा का दाेषी, पाण्डवाे का हितेषी, हस्तिनापुर का वट व्रक्ष वीर ब्रह्मचारी जिसके चाैडे वक्ष मात आज्ञा पर... Hindi · कविता 549 Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read सावन है शिव का मास सावन है शिव का मास, दुःखाे का करते ह्रास, शिव है कल्याण का दूजा नाम, बिगड़े हुए बन जाए सभी काम, खुद हलाहल विष पीते, भक्ताे काे अमृत पिलाते, दुष्टाे... Hindi · कविता 176 Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read बचपन के दिन बहुत याद आते बचपन के साथी, देखा करते थे सब मिलकर हाथी, उछल कूद करते थे गलियाे मे, मिलकर चुराते थे अमरुद डलियाे से, न काेई चिंता न था काेई... Hindi · कविता 506 Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read तेरे अधर तेरे अधर, है किधर, देखू उधर, है जिधर, सांसे है फूली, सुधबुध तू भूली, पलके तेरी खुली, तू मुझमे है घुली, छाेड़ाे यह सपना, बना लाे मुझे अपना, अब नही... Hindi · कविता 221 Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read मेरी प्रीत कैसी बनी यह रीत, कैसे जिये बिना प्रीत, गुनगुनाते तेरे ही गीत, कब आएगा मेरा मीत, बहुत दिन गये बीत, कैसे समय से जाये जीत, मन कैसे हाेगा शीत, फल... Hindi · कविता 496 Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read बारिस क्याे इस बरस, रही हाे इतनी बरस, बहुत हुआ,बरसकर अब मत बरस, नही बरसती ताे तरसते, इस बरस, बरसाकर तरसा रही हाे, इस बरस, नही भूले बारिस जाे हुई पिछले... Hindi · कविता 419 Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read आज है हरियाली अमावस्या आज है हरियाली अमावस्या, देखाे धरती की बदली है काया, प्रकृति ने ओढी हरि चुनरिया, नजाराे ने आंखाे काे लुभाया , चहक उठे पंछी, झूम उठे पंथी, महक उठे फूल,... Hindi · कविता 2 2 1k Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read छाेटा सा हूँ बच्चा छाेटा सा हूँ बच्चा, अक्ल का हूँ कच्चा, दिल का हूँ सच्चा, मेरा चंचल मन, छाेटा सा तन, नही चाहिए धन, मुझकाे मिले प्यार करे सब दुलार, खुशियाँ मिले अपार,... Hindi · कविता 462 Share जगदीश लववंशी 25 Jul 2017 · 1 min read यह है नरसिंहगढ़ हमारा कहलाता मालवा का कश्मीर, पर्वताे पहाड़ाे के बीच बसा शहर, यह है नरसिंहगढ़ हमारा, बारिस में रहता सदा हरा, राजवंशाे की है यह धरा, जलमंदिर का है अद्भुत नजारा, महादेव... Hindi · कविता 1 181 Share जगदीश लववंशी 23 Jul 2017 · 1 min read विचारो की तरंग मन में उठती विचाराे की तरंग, वाे भरते जीवन पथ में नया रंग, हर क्षण देते साथ करने काे सत्संग, मिटाते अज्ञान और तम ,रहते संग, फूलाे सा महकाओ अपना... Hindi · कविता 442 Share जगदीश लववंशी 22 Jul 2017 · 1 min read बदलता गांव कहां है गांव की वाे मिट्टी, कहां हैं बचपन की कट्टी, कितना बदल गया गांव, अब नही बची काेई छांव, नही रहे वाे मनुज, नही दिखते अनुज, नही लगती वाे... Hindi · कविता 347 Share जगदीश लववंशी 20 Jul 2017 · 1 min read पचमढ़ी के मेले पचमढ़ी का है यह मेला, कर्तव्य पथ की यह बेला, पर्वत पर्वत पर हम चले, टेढे मेढे पथ है पथरीले, प्रकृति का है अद्भुत रुप, यहां शिव का है स्वरुप,... Hindi · कविता 755 Share जगदीश लववंशी 15 Jul 2017 · 1 min read भरत की व्यथा आ जाओ मेरे राम भैया, बहुत याद आती रोती मैया, सूनी राहे, सूनी हैं अयोध्या, रूठ गई हैं सुख की छाया, कैसे रहेगा भैया भरत तुम बिन, बरस समान बीतता... Hindi · कविता 290 Share जगदीश लववंशी 9 Jul 2017 · 1 min read प्रणाम प्रथम गुरु को प्रणाम, जिसने जन्म दिया, अपने सुख को बिसराकर,ममता का आँचल फैलाया, द्वितीय गुरु को प्रणाम, जिसने चलना सिखाया, उँगली पकड़कर इस जहां को दिखाया, पूज्य गुरु को... Hindi · कविता 781 Share जगदीश लववंशी 7 Jul 2017 · 1 min read धरा रही कब से पुकार ओ आसमान के स्वामी देख जरा, कैसी मच रही उथल पुथल देख धरा, धरती पुत्र की सुन ले पुकार, दे दे थोड़ी सी वर्षा की फुहार, टूट कर बिखर रहे... Hindi · कविता 568 Share जगदीश लववंशी 6 Jul 2017 · 1 min read भौर हुई . उठ जाओ अब भाैर हुई, आंखे खाेलाे द्वार खड़ी परछाई, पक्षी सब चहचहाने लगे, साेये हुए सब सपनाे से जागे, रजनी अब समेट बिस्तर भाग चली, पनघट पर जमघट... Hindi · कविता 552 Share जगदीश लववंशी 5 Jul 2017 · 1 min read कहाँ गई मानवता . लाेग गाेरे मन काला, काम करें ये काला, भूल चले अपनी कला, माेह माया मे फसा गला, इंसान बटा,और बट गया प्यार, जाति बटी, और बट गया यार, सरहदे... Hindi · कविता 1 1 569 Share जगदीश लववंशी 4 Jul 2017 · 1 min read शरद्वान बचपन जिसका बाणाे संग हुआ, बाणाे मे ही बीता, शरद्वान नाम उसका गाैतम जिसके पिता, धनुर्विद्या मे थी अद्भुत लय, सुरपति इन्द्र काे भी था भय, आई अप्सरा जानपदी करने... Hindi · कविता 549 Share जगदीश लववंशी 4 Jul 2017 · 2 min read एकलव्य उस वीर की याेग्यता काे निखरने से पहले राेंद दिया, जाति की दुहाई देकर उसकाे ठुकरा दिया, आस्था थी उसकी , आपकी छवि काे गुरु बनाया, लक्ष्य और अभ्यास ने... Hindi · कविता 883 Share जगदीश लववंशी 4 Jul 2017 · 1 min read मेरी नानी मेरी अच्छी नानी, सुनाओ न कहानी, इन्ही बाताे में गुजरा मेरा प्यारा बचपन, सब याद है, भूलूंगा नही चाहे उम्र हाे पचपन, कंधे पर तूने बिठाया, पैदल न चलने दिया,... Hindi · कविता 573 Share जगदीश लववंशी 30 Jun 2017 · 1 min read भारत भूमि हर जन्म में मिले तुम्हारा दर्शन, है भारत भूमि तुझको नमन, यहाँ की धरा हैं पावन, गाते हैं महिमा वेद पुरान, यहाँ धर्म संस्कृति की बहती धारा, अनेकता में एकता... Hindi · कविता 530 Share जगदीश लववंशी 29 Jun 2017 · 1 min read मैं हूँ एक किसान मैं हूँ एक किसान, मेरे भी हैं अरमान, मैं माटी को पूजता, खेतों में पसीना बहाता, धरा से निकालता सोना, महकाता हर घर का कोना, पर......... खाद बीज के लिए... Hindi · कविता 401 Share जगदीश लववंशी 29 Jun 2017 · 1 min read मन मत हो उदास मन मत हो इतना उदास, समय नहीं किसी का दास, आज बीत कर बन जाएगा कल, होगा सुख में आने वाला पल, हंसी हो ना जाए कहीं गुम, जगा उत्साह... Hindi · कविता 1 1k Share जगदीश लववंशी 27 Jun 2017 · 1 min read महाकाल दर्शन आये कर शिप्रा स्नान, किया प्रभू का गुणगान, दर्शन के लिये हम खड़े, पल पल हमारे पग बड़े, देखना है भस्म आरती, थाेड़ी शरारत और मस्ती, ताकि न आ पाये... Hindi · कविता 601 Share जगदीश लववंशी 25 Jun 2017 · 1 min read हरियाली चाँद तारे और गगन, फूल खुशबू और पवन, गा रहे मिलकर गीत, कितनी सुहावनी यह प्रीत, कर रहे भौरें गुंजन, झूम उठा आज निर्जन, देखो नाच रहा मयूर, रंग बिरंगे... Hindi · कविता 749 Share जगदीश लववंशी 24 Jun 2017 · 1 min read लवण असुर मधु सुत लवण था एक भयंकर असुर, ऋषि मुनियों को सताता डरते थे सुर, एक दिन पहुँचे च्वयन ऋषि राम दरबार, असुर के अत्याचारों से मच रहा हाहाकार, जब तक... Hindi · कविता 850 Share जगदीश लववंशी 24 Jun 2017 · 1 min read माटी सुत हम बैठे लगाकर उनकी आस, मन में बसा है एक विश्वास, ताक रहे हम सदियों से ऊपर गगन, कब होगा काले मेघो का आगमन , अब आओ तुम जाओ बरस,... Hindi · कविता 502 Share जगदीश लववंशी 21 Jun 2017 · 1 min read परोपकार दिशा दिशा से यही पुकार, सबसे ऊपर है परोपकार, करते भला तो होता भला, भागती दूर सारी बुरी बला, यही गाते है सब वेद पुराण, मानव सेवा सबसे बड़ा प्रण,... Hindi · कविता 3k Share जगदीश लववंशी 19 Jun 2017 · 1 min read प्रेरणा तुम हो जीने की प्रेरणा, देती हो एक नई प्रेरणा, जब से मिला तुम्हारा साथ, एक पल भी छूटा न हाथ, गुजर गए चौदह सावन, तेरा प्यार मिला पावन, एक... Hindi · कविता 310 Share जगदीश लववंशी 18 Jun 2017 · 1 min read पिता पिता के चरणो में यह शीश नमन, करता हूँ बार बार उनका वंदन, धरा का ऊंचा दरख़्त हैं पिता, परिवार का आधार स्तंभ हैं पिता, हर कठिनाइयों की ढाल हैं... Hindi · कविता 261 Share जगदीश लववंशी 15 Jun 2017 · 1 min read सड़क किनारे हम भी पड़े थे, कभी सड़क किनारे, माँ करती थी मजदूरी, सड़क किनारे, धूप हाे, बारिश हाे या हाे सर्दी सड़क किनारे, हम भी राेते थे, माँ की ममता भी... Hindi · कविता 425 Share जगदीश लववंशी 14 Jun 2017 · 1 min read लगाएंगे पेड़ एक बर्षो बाद आज हमने यह देखा, सूख रहे तालाब देख रहे मेघा, कट रहे पेड़ धरा कैसे सहे व्यथा, हो रहे लुप्त खग किसे सुनाए कथा, छू लिए हमने ब्रह्मांड... Hindi · कविता 208 Share जगदीश लववंशी 13 Jun 2017 · 1 min read परशुराम एक आवेश सप्त चिरंजीवाे मे से एक नाम, भगवान का आवेश अवतार राम, शिव ने दिया परशु कहलाये परशुराम, पाप हरण काे धरा पर आये , ब्राह्मण कुल मे जन्म लिये, पिता... Hindi · कविता 394 Share जगदीश लववंशी 12 Jun 2017 · 1 min read मेरी माला मेरी यादों मे आती एक सुंदर बाला । भादौ की रात का वह बरसाती नाला ।। उस दिन न आयी वो पहन के माला । करता रहा इंतजार होने तक... Hindi · कविता 297 Share जगदीश लववंशी 11 Jun 2017 · 1 min read मिले बड़ो का आशीष जब हम छूते बड़ो के चरण, वही हैं हमारा सच्चा आचरण, जब मिलता हमे बड़ो से आशीष, झुक जाता प्रेम से अपना शीश, जीवन की हर राह होती आसान, खुशियाँ... Hindi · कविता 328 Share जगदीश लववंशी 10 Jun 2017 · 1 min read तुम आ जाओ कब होंगे मन के खेत हरे, कैसे अब विरह के घाव भरे, कब सुनाई देंगे खुशियों के गीत , कब मिलेगा मेरा प्यारा मीत, कितने ही गुजर गए बसंत, कब... Hindi · कविता 1 532 Share जगदीश लववंशी 9 Jun 2017 · 1 min read उठ जाओ मेरे लाल उठ जाओ मेरे लाल, रवि भी हो गया लाल, आ गए तेरे सखा बाल, उठ जाओ मेरे गोपाल.... बजाओ तुम अपने गाल, सुनाओ तुम अपने बोल, पूछो अपनी माँ का... Hindi · कविता 297 Share जगदीश लववंशी 8 Jun 2017 · 1 min read वो याद हैं आज भी सुबह सुबह घूमा करता हूँ, शायद मिल जाये वाे, आज भी । गलियाे में उनके पद चिन्हाे काे ढूँढा करता हूँ, आज भी ।। उनकी मोहब्बत अब भी जिंदा है,... Hindi · कविता 204 Share जगदीश लववंशी 7 Jun 2017 · 1 min read काली निशा कैसी है निशा तेरी नम्रता , कैसी है निशा तेरी विनम्रता, मैंने देखी निशा काली-काली, धड़क उठा दिल खाली खाली , जब घनघोर अंधेरा छाया , नहीं दिखती कोई काया,... Hindi · कविता 694 Share जगदीश लववंशी 7 Jun 2017 · 1 min read बदलता देश देश बदल रहा, वेश बदल रहा, बदल रही संस्कृति, खो रहे रिवाज रीति, कहाँ गया वो मन, कहाँ गए वो जन, लुप्त हो गई आत्मीयता, सिसक रही है मानवता, कैसा... Hindi · कविता 268 Share जगदीश लववंशी 5 Jun 2017 · 1 min read मैं धूल हूँ मैं धूल हूँ, नही भूली हूँ, तू फूल हैं, पर फूला हैं, मैं चरणों की रज, तू शीश पर सज, कल तू मेरे पास आएगा, सूखकर मुझसे मिल जाएगा, फिर... Hindi · कविता 413 Share जगदीश लववंशी 5 Jun 2017 · 1 min read पर्यावरण दिवस आओ पर्यावरण दिवस मनायें, हमारे चारो ओर हम पेड़ लगायें, धरा को फिर से हरा भरा करें, आओ मिलकर संकल्प करें, फिर न कभी सूखे से तरसे, देख हरियाली मेघ... Hindi · कविता 478 Share जगदीश लववंशी 4 Jun 2017 · 1 min read परिवार जहाँ अनंत खुशियाँ मिले, बड़ो का सदा आशीष मिले, छोटो को सबसे दुलार मिले, सुख शांति का आनंद मिले, हर दिवस बने तीज त्यौहार, हर रात जले दीपो का हार,... Hindi · कविता 266 Share Previous Page 10 Next