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एक रात का मुसाफ़िर
VINOD CHAUHAN
कितने सावन बीते हैं
VINOD CHAUHAN
आज फिर इन आँखों में आँसू क्यों हैं
VINOD CHAUHAN
असत्य पर सत्य की जीत
VINOD CHAUHAN
तुम्हारी शोख़ अदाएं
VINOD CHAUHAN
रूठे रूठे से हुजूर
VINOD CHAUHAN
वक्त गर साथ देता
VINOD CHAUHAN
कोई कह दे क्यों मजबूर हुए हम
VINOD CHAUHAN
दुनिया एक मेला है
VINOD CHAUHAN
प्यार जताना न आया
VINOD CHAUHAN
मगर अब मैं शब्दों को निगलने लगा हूँ
VINOD CHAUHAN
मैं ख़ुद से बे-ख़बर मुझको जमाना जो भी कहे
VINOD CHAUHAN
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
VINOD CHAUHAN
तेरी बाहों के घेरे
VINOD CHAUHAN
फ़साने तेरे-मेरे
VINOD CHAUHAN
हिंदी से सीखा है हमने
VINOD CHAUHAN
घूँघट की आड़
VINOD CHAUHAN
इन जुल्फों के साये में रहने दो
VINOD CHAUHAN
हे मंगलमूर्ति गणेश पधारो
VINOD CHAUHAN
वो नयनों के दीपक
VINOD CHAUHAN
हाथों में उसके कंगन
VINOD CHAUHAN
अंदाज मस्ताना
VINOD CHAUHAN
बेताब दिल की तमन्ना
VINOD CHAUHAN
गुमनाम ही रहने दो
VINOD CHAUHAN
महकती फिज़ाएँ लौट आई
VINOD CHAUHAN
दो किनारे हैं दरिया के
VINOD CHAUHAN
तूँ मुझमें समाया है
VINOD CHAUHAN
तक़दीर की उड़ान
VINOD CHAUHAN
मुकद्दर तेरा मेरा
VINOD CHAUHAN
मुरली मनेहर कान्हा प्यारे
VINOD CHAUHAN
यशोदा का नंदलाल बांसूरी वाला
VINOD CHAUHAN
मेरे देश का तिरंगा
VINOD CHAUHAN
मैं आजाद भारत बोल रहा हूँ
VINOD CHAUHAN
काँटों का दामन हँस के पकड़ लो
VINOD CHAUHAN
जब काँटों में फूल उगा देखा
VINOD CHAUHAN
तोड़ डालो ये परम्परा
VINOD CHAUHAN
मेरे करीब़ हो तुम
VINOD CHAUHAN
गुजरे लम्हे सुनो बहुत सुहाने थे
VINOD CHAUHAN
तन्हाँ महफिल को सजाऊँ कैसे
VINOD CHAUHAN
भीगे अरमाँ भीगी पलकें
VINOD CHAUHAN
ख़्वाहिश है तेरी
VINOD CHAUHAN
गजल क्या लिखूँ कोई तराना नहीं है
VINOD CHAUHAN
डूबता सूरज हूंँ या टूटा हुआ ख्वाब हूंँ मैं
VINOD CHAUHAN
मत पूछो कोई वो क्या थे
VINOD CHAUHAN
हर घड़ी यूँ सांस कम हो रही हैं
VINOD CHAUHAN
कन्यादान लिखना भी कहानी हो गई
VINOD CHAUHAN
ये कैसा धर्मयुद्ध है केशव (युधिष्ठर संताप )
VINOD CHAUHAN
मैं आखिरी सफर पे हूँ
VINOD CHAUHAN
दीवार में दरार
VINOD CHAUHAN
रामलीला
VINOD CHAUHAN