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27 Aug 2022 · 1 min read

महकती फिज़ाएँ लौट आई

तुम भी लौट आओ महकती फिज़ाएँ लौट आई
अब तो लौट आओ महकती फिज़ाएँ लौट आई

सूना आँगन सूनी बस्ती पड़े हैं ये सूने गलियारे
राह तकते हैं तुम्हारे आने की कबसे सूनो सारे
अब तो लौट आओ महकती हवाएँ लौट आई

हवा के झोंको से लहराने लगा है देखो उपवन
बिन तुम्हारे एक पल भी नहीं लगता है ये मन
अब तो लौट आओ महकती घटाएँ लौट आई

भूला है तूँ वायदा याद आती नहीं बातें हमारी
एक पल भी नहीं आती क्या तुम्हे यादें हमारी
अब तो लौट आओ महकती सदाएँ लौट आई

स्वरचित
( विनोद चौहान )

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