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8 Jul 2022 · 1 min read

मत पूछो कोई वो क्या थे

मत पूछो कोई वो क्या थे
कुछ और नहीं वो फूल थे

एक अल्हड़ को वो भाए थे
केशों मे सजाए थे
उसका वो श्रंगार थे
मत पूछो………….

जब रणबाँकुरे घर आए थे
लोगों ने बरसाए थे
उनका वे सम्मान थे
मत पूछो………….

कुछ मैया तोड़कर लाई थी
थाली में सजाए थे
उसके लिए श्रद्धा थे
मत पूछो…………..

दुल्हन जब डोली बैठी थी
कज़रे में पिरोए थे
प्रियतम का प्यार थे
मत पूछो. ………….

नादानों ने उनको तोड़ा था
पैरों के नीचे आए थे
जो कुचले गए धूल थे
मत पूछो……..…….

‘विनोद” ये उनका भाग्य था
डाली पर मुस्काए थे
वे कवि की कल्पना थे
मत पूछो…………….
कुछ और……………

5 Likes · 2 Comments · 392 Views
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