लक्ष्मी सिंह 1025 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 Next लक्ष्मी सिंह 18 Jan 2021 · 1 min read मैं छोटी नन्हीं सी गुड़िया । गीतिका-आधार छंद चौपाई मैं छोटी नन्हीं सी गुड़िया । सब कहते जादू की पुड़िया। तुतला कर करती हूँ बातें, हिन्दी लगती है तब उड़िया। छोटे-छोटे बाल घनेरे, छोटी-छोटी मेरी चुटिया।... Hindi · कविता · चौपाई · बाल कविता 2 541 Share लक्ष्मी सिंह 18 Jan 2021 · 1 min read याद में तुमको बसा कर छंद:रजनी छंद 2122 2122 2122 2 याद में तुमको बसा कर प्यार करती हूँ। जिन्दगी कुछ इस तरह गुलज़ार करती हूँ । ख्वाब में तुम ही बसे हो धड़कनों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · प्रेम · रजनी छंद · विरह 1 2 161 Share लक्ष्मी सिंह 17 Jan 2021 · 1 min read चतुर चित चपला चंचल चतुर,पकड़ न पाऊँ डोर। मैं खींचूँ इस ओर तो, वो भागे उस ओर।। १ खुदगरजी की आड़ में, चतुर हुए हैं लोग। रखते रिश्ते झूठ के, केवल... Hindi · दोहा 1 269 Share लक्ष्मी सिंह 16 Jan 2021 · 1 min read तुम दूर गये हमसे जब से। तोटक छंद प्रदत्त मापनी- 112 112 112 112 तुम दूर गये हमसे जब से। सुख चैन नहीं मिलता तब से। अब अंतर षुष्प नहीं खिलता, हर मंजर बंजर है कब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · तोटक छंद · विरह 1 144 Share लक्ष्मी सिंह 12 Jan 2021 · 1 min read भात पकने वाला है नहीं, इस हांडी में भात । किस्मत ने धोखा दिया, लगी पेट पर लात।। १ हाय गरीबी भूख से,सोच रहा दिन रात। ठंडा हो या हो गरम,मिले... Hindi · दोहा 4 321 Share लक्ष्मी सिंह 11 Jan 2021 · 1 min read उमंग उठो सवेरा हो गया, स्वर्ण किरण के संग । काम शुरू अब कीजिये, लेकर जोश उमंग।। नई सुबह की रोशनी, लाई नई उमंग। कुसुमित पुलकित है धरा, छाया है नव... Hindi · दोहा 1 1 319 Share लक्ष्मी सिंह 10 Jan 2021 · 1 min read ओ! प्राण प्यारे विधान - 30 मात्रा = 16,14 पर यति, अंत में गुरु वाचिक अनिवार्य आधार छंद - लावणी /ताटंक ओ! प्राण प्यारे आज सारे, पीड़ा हृदय की बोल दो। अश्रु से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · लावणी /ताटंक छंद 1 1 226 Share लक्ष्मी सिंह 9 Jan 2021 · 1 min read प्रेम आधार छंद - लावणी /ताटंक विधान - 30 मात्रा = 16,14 पर यति, अंत में गुरु वाचिक अनिवार्य. प्रेम पले उन्मुक्त हृदय में,नहीं स्वार्थ का बंधन है । जिसके माथे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · प्रेम · लावणी /ताटंक छंद 1 330 Share लक्ष्मी सिंह 8 Jan 2021 · 1 min read नियति खेल नियति का कहाँ सरल है। कभी सुधा तो कभी गरल है। मुश्किल पदचिन्हों पर चलना- काल चक्र चलता अविरल है । -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 3 3 155 Share लक्ष्मी सिंह 7 Jan 2021 · 1 min read फूल खिलकर फूल सदा उपवन में,भू की गोद सजाता है। फैला कर सुगंध समीर में, तन मन को महकाता है। सफल अल्प जीवन को करता,देकर यह सबकुछ अपना- टूटे बिखरे डाली... Hindi · मुक्तक 3 2 152 Share लक्ष्मी सिंह 6 Jan 2021 · 1 min read आया मौसम सर्द। दबे पाँव चलता हुआ, आया मौसम सर्द। लदी ओस से डालियाँ, झड़ते पत्ते जर्द।। १ दिन अंधेरा शीत का, काली लगती रात। दुग्ध झाग सा हर तरफ, बरस रहा हिमपात।।... Hindi · दोहा 1 3 162 Share लक्ष्मी सिंह 5 Jan 2021 · 1 min read हुई रात काली फलक पे सितार। आधार छन्द-सगुन 122 122 122 121 हुई रात काली फलक पे सितार। हृदय में बजे तब गमों के गिटार। खुदा जानता है किये क्या गुनाह, दबे पाँव आते चले गम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · विरह · सगुन छंद 1 397 Share लक्ष्मी सिंह 4 Jan 2021 · 1 min read सुन लो बच्चों चौपाई छंद सुन लो बच्चों ध्यान लगाकर, पीलो अमिय ज्ञान का गागर । जल्दी उठना जल्दी सोना , केवल सपनों में मत खोना। नित्य नियम से जीवन जीना, रसना आदर्शों... Hindi · कविता · चौपाई · बाल कविता 1 1 309 Share लक्ष्मी सिंह 3 Jan 2021 · 1 min read समय/काल 2122 2122 21 लौट कर आता नहीं है काल। ये नहीं ठहरा न बदली चाल। वक्त होता है बड़ा बलवान, खींच लेता ये सभी की खाल। घूमता है चक्र करता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 171 Share लक्ष्मी सिंह 3 Jan 2021 · 1 min read मंगल हो दिल में प्रेम भाव प्रतिपल हो| ऋद्धि-सिद्ध सुख शांति अमल हो| कर्म धर्म इतिहास मधुरमय- जग के जन-जन का मंगल हो| लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 3 177 Share लक्ष्मी सिंह 2 Jan 2021 · 1 min read स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा । मुक्तक आओ नवल प्रभात लिये, स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा । सुख की सब सौगात लिए,स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा। व्याधि मुक्त जीवन सुखमय,हो विकास का पथ मंगलमय- खुशियों की... Hindi · मुक्तक 1 1 224 Share लक्ष्मी सिंह 1 Jan 2021 · 1 min read नव वर्ष विधा - वीर छंद आओ स्वागत करें तुम्हारा, हे नवल वर्ष के नवल प्रभात। स्वर्ण किरण की साये में भर,लाना खुशियों की सौगात ।। १ वर्ष दो हजार इक्कीस की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · वीर छंद 1 3 159 Share लक्ष्मी सिंह 1 Jan 2021 · 1 min read नया साल आया गीतिका आधार छन्द-सगुन 122 122 122 121 नया साल आया लिए स्वप्न द्वार। हृदय से लगा लो नजर लो उतार। करो कामना सब मिटे हर मलाल, नयन में सजे अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 3 226 Share लक्ष्मी सिंह 30 Dec 2020 · 1 min read अंग ओ कृष्णा रँग लो मुझे,अब तो अपने रंग। सारे जग को भूल कर,लगी तुम्हारे अंग।। १ रंग लगा दे रे मुझे, और लगा लो अंग। फगुआ मद की है चढ़ी,... Hindi · दोहा 3 413 Share लक्ष्मी सिंह 29 Dec 2020 · 1 min read धूप में छाँव में साथ देना सदा। आधार छंद- वास्रग्विणी (मापनीयुक्त मात्रिक) मापनी- गालगा गालगा गालगा गालगा गीतिका 212 212 212 212 धूप में छाँव में साथ देना सदा। देख भाने लगी प्रेम की ये अदा। है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share लक्ष्मी सिंह 29 Dec 2020 · 1 min read जीभ/जिह्वा जिह्वा पर माँ शारदे, लब पर बसें गणेश । हर-पल शुभ-शुभ बोलिये,मिलता शुभ संदेश ।। १ मृदुल वचन रसना सरस,जीवन का श्रृंगार। जीत जीभ को लीजिए, हो उत्तम व्यवहार।। २... Hindi · दोहा 2 2 955 Share लक्ष्मी सिंह 28 Dec 2020 · 1 min read घने बादलों बीच रोला छंद आधारित गीतिका.,.. घने बादलों बीच, झांकती हूँ मैं अक्सर। हम दोनों के बीच, नहीं कोई है अंतर। पीड़ा हृदय अपार,भरा हैं विस्तृत कोना, क्रंदन करती नित्य, झड़ी पलकों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 173 Share लक्ष्मी सिंह 27 Dec 2020 · 1 min read शीत लहर शीत लहर अपनी डगर, चलती भृकुटी तान। सूरज डर कर छुप गया, चंदा है हैरान।। १ हुई रात्रि स्तब्ध सी, विहग पड़े है मूक। थरथर करते गात सब, तुहिन- कणों... Hindi · दोहा 2 2 138 Share लक्ष्मी सिंह 27 Dec 2020 · 1 min read शिशिर की रात कुण्डलिया यादें मधुरिम ओढ़ कर, गई शिशिर की रात। सपनों की तकिया तले,बिखर गये जज्बात।। बिखर गये जज्बात,जमी हिमकण की परतें। मन के गीले घाव,नहीं जो ऐसे भरतें। बहे अश्रु... Hindi · कुण्डलिया 2 232 Share लक्ष्मी सिंह 25 Dec 2020 · 1 min read आदमी जन्म से आयु का यौवन सदा ही ढ़लता जाता है । सोख कर भावनाओं को मगर वो चलता जाता है। हाड़-मांस का तन निचुड़ा हुआ खाली हो जाता है- हाय... Hindi · मुक्तक 1 1 150 Share लक्ष्मी सिंह 25 Dec 2020 · 1 min read धूप गीतिका आधार छंद : बरवै मात्रिक विधान : १९ मात्राएँ, १२ एवं ७ सुबह सबेरे जब भी, आई धूप। सबके मन को कितना , भाई धूप। जगमग जगमग करती, आती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 375 Share लक्ष्मी सिंह 24 Dec 2020 · 1 min read सर्दी गीतिका आधार छंद : बरवै मात्रिक विधान : १९ मात्राएँ, १२ एवं ७ नित्य दिवस सर्दी का, ऐसा वार। चलती रहती तन पर, ज्यों तलवार। मोजे, स्वेटर, पहने, सारे लोग,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 309 Share लक्ष्मी सिंह 23 Dec 2020 · 1 min read नीति युक्त दोहे चमको सूरज की तरह, लाना नवल प्रभात| रौशन कर सारा जगत, मिटे अँधेरी रात|। १ सारा जग जिसके लिए, होता एक समान। ऊँच नीच को त्याग दे, मानव वहीं महान।।... Hindi · दोहा 2 216 Share लक्ष्मी सिंह 22 Dec 2020 · 1 min read रसना रसना रसमय हो सरस,हो उत्तम व्यवहार । वह सायक संधर्ष बिन, जीत लिया संसार।। जीत लिया संसार,अमृत के जैसी वाणी। हर मुश्किल आसान,आत्म संयम से प्राणी। परहित के अनुरूप, कर्ण... Hindi · कुण्डलिया 2 173 Share लक्ष्मी सिंह 22 Dec 2020 · 1 min read वाणी वाणी वीणा सी मधुर, करें हृदय पर राज। दुश्मन भी अपना बने, पूर्ण सभी हो काज।। पूर्ण सभी हो काज, बने मंगलमय जीवन। होता मुग्ध समाज,रखें जिह्वा को पावन।। वशीकरण... Hindi · कुण्डलिया 1 1 152 Share लक्ष्मी सिंह 21 Dec 2020 · 1 min read धरना धरना देकर राह में, बैठे सभी किसान। फिर बोलो कैसे कहे, भारत देश महान।। भारत देश महान,धरा से उगता सोना। राजनीति की शोर,दबा हलधर का रोना।। रहे शिशिर में काँप,पड़े... Hindi · कुण्डलिया 3 2 155 Share लक्ष्मी सिंह 20 Dec 2020 · 1 min read कोरोना विधा -मुक्तक एवं दोहा सर पर चढ़ कर नाच रहा है, चीन का जादू-टोना। पूरे जग में फैल रहा है,शुरू है रोना ढोना। कुछ सावधानियां अपनाना, धैर्य से नाता रखना-... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 45 74 1k Share लक्ष्मी सिंह 19 Dec 2020 · 1 min read शिशिर चादर ओढ़े बर्फ की, शिशिर खड़ा है द्वार। जल को छूने से लगे, ज्यों बिजली की तार। । ज्यों बिजली की तार, बर्फ गिरती रहती है। ले हाथों में तीर,हवा... Hindi · कुण्डलिया 1 1 188 Share लक्ष्मी सिंह 19 Dec 2020 · 1 min read दिसंबर का ठंड माह दिसम्बर ठंड का, बहुत बुरा है हाल । गरम लबादा ओढ़ना,स्वेटर ,मफलर ,शाॉल।। १ दिवस दिसंबर दैत्य-से, बहुत अधिक है ठंड। जिस के सर पर छत नहीं,उसको लगता दंड।।... Hindi · दोहा 5 2 365 Share लक्ष्मी सिंह 10 Dec 2020 · 1 min read धान आँखों में सैलाब है, सीने में तूफान। कृष्क नित्य ही रोपता , आसमान में धान।। १ सावन की बूँदें पड़ी,खुश हैं सभी किसान। अमृत भरा है बूंद में,अब रोपेगें धान।।... Hindi · दोहा 2 3 373 Share लक्ष्मी सिंह 8 Dec 2020 · 1 min read जाने क्यों? जाने क्यों उनकी बात से, मुझे पहुँचती ठेस। बात बात में वो मुझे, जब देते उपदेश। घर केवल मुझ से चले, मैं लाता हूँ कैश। मैं तेरे जैसा नहीं, घर... Hindi · गीत · दोहा · दोहा गीत 2 326 Share लक्ष्मी सिंह 3 Dec 2020 · 1 min read कभी चाहो मुझे भी तुम विधाता छंद 1222 1222 1222 1222 कभी चाहो मुझे भी तुम, कभी मेरे लिए सोचो । हमारा दिल बड़ा नाजुक ,इसे ऐसे नहीं नोचो। बिखर कर टूट जाती हूँ, सँभल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · प्रेम · विधाता छंद 4 4 249 Share लक्ष्मी सिंह 3 Dec 2020 · 1 min read देव दीपावली दिव्य देव दीपावली,शरद सुधा निधि द्वार। दमके दीपक दीप्ति से,बही ज्योति की धार।। १ लहरों में रौनक नई, मस्ती में पतवार। गंगा दुल्हन सी सजी, कर सोलह श्रृंगार।। २ बरस... Hindi · दोहा 1 270 Share लक्ष्मी सिंह 21 Nov 2020 · 1 min read मधुर मिलन मधुर मिलन की पूर्णता,भरे हृदय में प्रीतl जीवन मधुमय हो गया,गूँज उठा संगीत ll१ कुन्द कुसुम खिलने लगे, जब आये तुम द्वार l फूट -फूट बहने लगी, मादक मधु की... Hindi · दोहा · प्रेम 1 1 214 Share लक्ष्मी सिंह 20 Nov 2020 · 1 min read लेखनी करुण हृदय का वंदना, कमल नयन का नीर। भाव भरी हो लेखनी,बंजर भू दे चीर।।१ जब अंतर व्याकुल हुआ, फूटें भाव हजार । निज छंदों से सींच कर, बहे काव्य... Hindi · दोहा 1 387 Share लक्ष्मी सिंह 8 Nov 2020 · 1 min read बंद पड़ीं है लेखनी बंद पड़ीं है लेखनी, मूक हुए सब भाव। हर पल खलता है मुझे, केवल यही अभाव ।। १ दहक रही है ज़िन्दगी, जैसे जले अलाव। मेरे अंदर घुट रहे, मेरे... Hindi · दोहा 6 5 287 Share लक्ष्मी सिंह 23 Oct 2020 · 1 min read काले रंग मेरे काले रंग पर, तरकस कसते रोज़ । ये लो दर्पण देख लो, तुम में कितना ओज़।। १ काले गोरे रंग में, क्यों करते हो भेद । अंतर मन से... Hindi · दोहा 4 298 Share लक्ष्मी सिंह 2 Jun 2020 · 1 min read भिखारी एक भिखारी जोड़ से, लगा रहा है टेर। बना निकम्मा आलसी, या किस्मत का फेर।। १ गली-गली में घूमता,फैलाता है हाथ। दर-दर ठोकर खा रहा, दो बच्चे भी साथ।। २... Hindi · दोहा 14 5 343 Share लक्ष्मी सिंह 31 May 2020 · 1 min read गीत अधरों पर घुलता रहा, जीवन का संगीत। अपनी परछाई मुझे, क्यों करती भयभीत।। १ है जीवन संगीत-सम,हँसते-गाते झूम। सुर छिड़ जाये कौन- सा,किसको है मालूम।। २ साँस-साँस सुर से सजी,जीवन... Hindi · दोहा 8 3 307 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read कोरोना विद्यमान है वायरस, व्याकुल विश्व विशाल| विपदा व्यापक है विकट, विफल वैद्य बेहाल||१ कण कण को कर्कश किया, कोरोना का काल। कठिन काल करुणा भरा, कहर किया कंकाल||२ भोजन खाना... Hindi · दोहा 13 3 322 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read लेखनी विधा-विधाता छंद उठाकर लेखनी अपनी हृदय का प्यार लिखती हूँ| विरह की वेदना संवेदना श्रंगार लिखती हूँ| नहीं मैं पंत ,दिनकर ,कोकिला की बोल-सी प्यारी, मगर जो भावना उर में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 3 333 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read अतिथि विधा-महाशृंगार छंद अतिथि बनकर आये भगवान, करें हम अभिनंदन, गुणगान| सुमन भावों का करती दान, नहीं इससे बढ़कर अनुदान | पधारे हैं यहाँ मेहमान, बनाईं मीठा-सा पकवान| सभी मिलजुल करिये... Hindi · गीत · महाशृंगार छंद 7 1 408 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read बंशी बजाये मोहना हरिगीतिका छंद बंशी बजाये मोहना नव रस सुरीली गीत रे। है बाँसुरी जादू भरी फैली जगत में प्रीत रे। सुन बावली होने लगी कितना मधुर संगीत रे। रसराज रसिया की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · भजन · स्तुति · हरिगीतिका छंद 6 1 430 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read हँसो ठहाका मार है छोटी-सी ज़िन्दगी,खोना मत बेकार। पल-पल में जीवन भरा, खुशियों की भंडार। चुन-चुन कर मोती पिरो, अधरों पे मुस्कान- हो जाओ बिंदास तुम, हँसो ठहाका मार। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 9 3 280 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read प्रेम पर्वत है ऊँचा मगर, छूँ न सका आकाश। प्रेम हृदय में है नहीं, कैसे करें विकास।।१ पुष्प प्रेम खुश्बू भरा, लुटा रही स्वच्छंद। रस का लोभी ये भ्रमर, छीन लिया... Hindi · दोहा · प्रेम 6 1 302 Share Previous Page 7 Next