उठो, जागो, बढ़े चलो बंधु...( स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके दिए गए उत्प्रेरक मंत्र से प्रेरित होकर लिखा गया मेरा स्वरचित गीत)
उठो-जागो-बढ़े चलो बंधु... उठो-जागो-बढ़े चलो बंधु, न जब तक लक्ष्य तुम पाओ। सपने सतरंगी आगत के, सजें तुम्हारी आँखों में। जज्बा जोश लगन सब मिलकर, भर दें उड़ान पाँखों में।...
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