मनोज कर्ण 312 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 मनोज कर्ण 9 Jun 2021 · 1 min read "व्यथा... रचनाकारों की", "व्यथा... रचनाकारों की, -------------------------- रचनाकार बनने की चाहत और व्यथा, इक पथ पर दोनों संग-संग चलते जीवनभर। हर रचनाकार की होती है कोई मजबूरी, कोई सेवानिवृत्त हो रचना करने की... Hindi · कविता 11 8 1k Share मनोज कर्ण 3 Jun 2021 · 1 min read काव्य गाथा --*काव्य गाथा*-- ---------------------- कवि जब अभिभूत होता , शब्द की अठखेलियों से। पाठकों का मन परखने, तन की भी परवाह न करता। उठती आहें गीत बनकर, छलके आँसू प्रीत बनकर... Hindi · कविता 11 6 1k Share मनोज कर्ण 30 May 2021 · 1 min read काव्य की दुर्गति --" काव्य की दुर्गति "-- भावना के धरातल पर, काव्य की तो दुर्गति हुई है। वैभव विलास की छाया में, रचनात्मकताएं निष्प्राण हुई है। भावनाएँ निष्फल हुई जब, कवि तब... Hindi · कविता 12 10 897 Share मनोज कर्ण 28 May 2021 · 1 min read प्रात का निर्मल पहर है -"प्रात का निर्मल पहर है"- --------------------------- प्रात का निर्मल पहर है... दूर क्षितिज में सूरज निकला, कण-कण विहँस रहा है पुलकित। कैसी सुंदर घटा मनोहर, कोलाहल से दूर जिंदगी। अंधियारे... Hindi · कविता 9 8 2k Share मनोज कर्ण 27 May 2021 · 1 min read बरसात " बरसात" - - - - - - - - - महामारी की गोद में पनपी, सदी की ये कैसी रिमझिम बरसात, आसुओं की मोटी बूंद से, छेद हो गई... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 14 22 2k Share मनोज कर्ण 27 May 2021 · 1 min read देवदूत " देवदूत" --------- ब्रह्मा ने सृष्टि की जग की, भाँति-भाँति के जीव बनाए। दुखियों के दुख-दर्द देखने, देवदूत पृथ्वी पर आए।। धरा पर सोचा, देवदूत ने आकर, कौन दुखी हैं... Hindi · कविता 6 2 954 Share मनोज कर्ण 26 May 2021 · 1 min read *अनमना और छ्द्म जीवन * *अनमना और छ्द्म जीवन * ---------------------------- बाँध पर अवस्थित ये जीवन, सपनों के प्रसून खिलानें। विरह-मिलन के गीत गानें, फूस की इन झोंपड़ियों में, बारिशों से व्यथित है जीवन। अनमना... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 15 16 1k Share मनोज कर्ण 25 May 2021 · 1 min read राजनीति राजनीति राजनीति कोई शतरंज की बिसात नहीं, पर यह है, सबके बस की बात नहीं। कोई चढ़ा यहां, तो कोई लुढ़का, पर सितारा हुआ बुलंद सदा इसमें, जमी जमाई सल्तनत... Hindi · कविता 9 4 1k Share मनोज कर्ण 24 May 2021 · 1 min read पौष्टिक आहार तो हो जीवन में... पौष्टिक आहार तो हो जीवन में... पर सात्विक है जरूरी।। करूण वेदना से व्यथित हैं, मानव हृदय और धरा अब। दे रही बस इक इशारा, सोचना है जरूरी । पौष्टिक... Hindi · कविता 8 4 1k Share मनोज कर्ण 23 May 2021 · 2 min read "वसंत की अंतर्वेदना" "वसंत की अंतर्वेदना" मैं वसंत हूं, मैं चिर वसंत हूं.. . नियत समय हर साल आता हूँ। निष्ठुर शरद की विदाई करके , रोम-रोम पुलकित करता हूँ। अल्हड़ और मदमस्त... Hindi · कविता 8 1k Share मनोज कर्ण 23 May 2021 · 1 min read आत्मनिर्भर *"आत्मनिर्भर"* ======== अब वक़्त नहीं है निर्भरता का, हो जाओ तुम आत्मनिर्भर! यदि जीवन दीप जलाने हैं.. ऊसर में प्रसून खिलाने हैं, कुछ छंद नए नित गाने हैं.. जीवन बगिया... Hindi · कविता 8 2 1k Share मनोज कर्ण 23 May 2021 · 2 min read लौट आओ तो सही लौट आओ तो सही लौट आओ तो सही.. ज़ख्म तो फिर से भर जाएंगे, अब अपने चमन में लौट आओ तो सही।। दुःख भरी दास्तान है ये सदियों पुरानी, रिश्ते-नाते... Hindi · कविता 9 2 2k Share Previous Page 7