सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2758 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 53 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Oct 2019 · 3 min read मयखाना लो मैं ले आया बागों से अंगूर काले काले और हरे हरे अंगूर अनाज और गन्ने रस का माड़ अंगूरों साथ दूँगा भूमि में गाड़ तैयार हो जाएगा जब मसाला... Hindi · कविता 1 263 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Oct 2019 · 2 min read मय मयखाना लो मैं ले आया बागों से अंगूर काले काले और हरे हरे अंगूर अनाज और गन्ने रस का माड़ अंगूरों साथ दूँगा भूमि में गाड़ तैयार हो जाएगा जब मसाला... Hindi · कविता 2 315 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Oct 2019 · 1 min read सांसें हैं बहकी बहकी गुल बाग में महके महके सांसें भी हैं बहकी बहकी जल रहा है यहाँ तनबदन अंग प्रत्यंग दहकी दहकी मचल रहा है मृदुल हृदय धड़कनें हैं अटकी अटकी मच रहा... Hindi · कविता 229 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read फुर्सत कभी कभी मिलती है जिन्दगी में फुर्सत कभी कभी फुर्सत जो मिले तो मिल जाओ कभी कभी जिन्दगी में इस कदर तुम मशरूफ हो गए मशरूफियत में फुर्सत पल ढूँढो कभी कभी... Hindi · कविता 253 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read राधा मीरा का प्यार सुनो एक प्रेम भरी कहानी प्रेम कहानी बहुत थी पुरानी कन्हैया जो एक था दीवाना कन्हैया की दो थी दीवानी एक थी राधा सुन्दर प्यारी दूसरी थी मीरा प्रेमदिवानी दोनों... Hindi · कविता 671 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read चुनावी वायदे आ गए चुनाव हो गए बेमोल अनमोल हो गई फिक्र बेफिक्रों को जो शौहरत,दौलत,पद प्रतिष्ठा और सत्ता के नशे में चूर चूर और मशरूफ थे आ गई अब गरीब,दुखियारों बेरोजगारों... Hindi · कविता 478 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read क्यों शिकवा मैं नींद से करूँ क्यों शिकवा मैं नींद से करूँ जो आती नहीं मुझे रात भर कसूर तेरे सुंदर चेहरे का है जो मुझे जगाता है रात भर यादें तेरी जो भूलने नहीं देती... Hindi · कविता 235 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read पत्नी घर.की रानी है पत्नी जो घर की रानी है जीवन में वह महारनी है प्यार से बोलो तो मचलती मौसम को कहे बेईमानी है देर से आओ तो अकड़ती आँखों में मय की... Hindi · कविता 450 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read नारी उत्थान खूब होती हैं बातें नारी स्थिति सुधार की पर रह जाती हैं सीमित वातानुकूलित कमरों तक नारी उत्थान सम्मान मंच नारु सुधार कार्यक्रम तक नेताओं, समाज सुधारकों के चुटीले ओजस्वी... Hindi · कविता 252 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read असली रावण बीत गया दशहरा दहन हो गया रावण क्या रावण संग जले हैं कलयुगी रावण बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक अधर्म पर धर्म जीत का भी कहें प्रतीक प्रतिवर्ष... Hindi · कविता 523 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read दशहरा अश्विन मास की दशम को आता है त्यौहार नव नवरातें पूर्ण होते दशम दशहरा त्यौहार बुराई पर अच्छाई जीत प्रतीक यह त्यौहार हर्षोल्लास मनाते जन गण दशहरा त्यौहार महाज्ञानी पण्डित... Hindi · कविता 1 231 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Oct 2019 · 1 min read प्रार्थना वंदना दो ऐसा वरदान प्रभु हम अच्छे इंसान बने विद्या का दान प्रदान करो हम विद्वान बने कोई बुराई मन मन्दिर में कभी ना आ पाए अच्छाई का सदा हो वास... Hindi · कविता 477 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Oct 2019 · 1 min read किसान देश का किसान बहुत बदहाल हैं कर्ज में हैं डूबा कर्जदार बेहाल है दिन रात करता बहुत परिश्रम है समृद्ध है किसान मात्र यह भ्रम है खेतों में उगाए धान्य... Hindi · कविता 217 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Oct 2019 · 1 min read अष्टमी पूजा पूजा अर्चना कीजिए अष्टमी पर्व की आठवाँ नवरात्र नाम माँ गौरी पर्व की सकल कष्ट पाप सभी नष्ट हो जाते हैं माँ दर्शन पाकर महामैया गौरी पर्व की श्वेत वर्ण... Hindi · कविता 226 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Oct 2019 · 1 min read एतबार कर राही हूँ प्यार का एतबार कर पंछी हूँ प्यार का एतबार कर तुम सरिता मैं तेरा साहिल हूँ बहने नहीं दूंगा एतबार कर मै पतवार तुम हो तरणी मेरी किश्ती... Hindi · कविता 2 225 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Oct 2019 · 2 min read आखिर छोड़ दिया साथ आखिर छोड़ ही दिया ना! अधर बीच में मेरा साथ याद है ना वो किया वादा रखकर सिर पर हाथ लेकर हाथों में मेरा नर्म हाथ पूर्ण विस्वास होश हवास... Hindi · कविता 1 462 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Oct 2019 · 1 min read आतंक का जोर मच रहा है बाहर बहुत शोर आजकल आतंक का जोर कोई नहीं हैं यहाँ सुरक्षित होने चाहतें हैं सब आरक्षित चोर बनने को हैं सब आतुर कैसे बचेंगे शाह और... Hindi · कविता 1 478 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Oct 2019 · 1 min read प्रियतम प्यारे प्रियतम प्यारे दिलबर हमारे मिलने आ जाओ द्वार हमारे ना कोई चिट्ठी ना आया संदेश प्रतीक्षारत आँखें साजन प्यारे कब तुम पलटोगे निज स्वदेश बाट रहें ताकतें दो नयन बेचारे... Hindi · कविता 241 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Oct 2019 · 1 min read कौन है वो मेरे सामने खड़ी कौन है वो कब से खड़ी है, मौन है वो कहीं वो मेरी परछाई तो नहीं कहीं मेरी वो बेवफाई तो नहीं खो दिया था जिसे अंजाने... Hindi · कविता 168 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Oct 2019 · 1 min read प्रेम हवा है मंद मंद चली प्रेम हवा है मंद मंद चली खिल गई है दिल की कली मन आनंदविभोर हो गया जब से तुम मुझको मिली जिन्दगी बहुत उदास थी अब जीने की आस जगी... Hindi · कविता 195 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Oct 2019 · 1 min read मोहनदास करमचंद गाँधी साबरमती के संत ने था कमाल कर दिया अंग्रेजों के चंगुल से देश आजाद कर दिया महान कानूनी विद थे और ज्ञान के सागर ज्ञानासागर सदुपयोग से अंजाम कर दिया... Hindi · कविता 342 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Oct 2019 · 1 min read पायल सा खनकता रहा पायल सा मै खनकता ही रहा अपनों से सदैव ठगता ही रहा अबतक ठोकरें ही ठोकरें खाई जिन्दगी में आगे बढता ही रहा पूर्वा सुहानी सदा चलती रही पछवाँ में... Hindi · कविता 425 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Oct 2019 · 1 min read विधान सभा चुनाव विधान सभा चुनाव में,टिकट की बंदर बांट हार जीत मुकद्दर की ,पर साँठ गाँठ छाँट चुनावों के माहौल में ,जाति धर्म आधार अनुराग बंधुत्व बिगड़े ,कब होगा ये सुधार भाई... Hindi · कविता 437 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Sep 2019 · 1 min read प्रियतम आंएगे मेरे प्रियतम मुझसे मिलने के लिए बाते दो प्यार की मुझसे हैं करने के लिए हमको नहीं खबर ,उनकी कैसी चाल हैं उन पर मर मिठे हैं,कसम से बुरा... Hindi · कविता 406 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Sep 2019 · 1 min read ले जाएगी जिन्दगी ख्वाहिशें रह गई अधूरी ख्वाब हैं सब बिखर गए खुशियों ने छोड़ दिया है दामन गमसीन हम जहाँ में हाल बेहाल है स्थिति बद से बदत्तर मन है व्यथित चित... Hindi · कविता 502 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Sep 2019 · 1 min read नव प्रभात नव.विकास लो हो गई नव प्रभात कट गई है काली रात मिट गया फैला अंधेरा अब होगा ज्ञान प्रकाश जागेगी नव जन चेतना होंगे अब अथक प्रयास होगा अपकार का अंत... Hindi · कविता 394 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Sep 2019 · 1 min read चाहत नजरों से ओझल हो पर आँखों में छाई रहती है ऐसा लगता है हमारा रिश्ता जन्मों जन्मांतर है नजरें मिलाता हूँ तो नजर झुका लेती हो तुम कुछ कहता चाहता... Hindi · कविता 388 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Sep 2019 · 1 min read मै तुम और तन्हाइयां मै और तुम अब साथ साथ पास पास आस पास भी नहीं हैं अब मेरे पास यदि हैं तो वो हैं हमारी मधुर स्मृतियाँ यादों के झरोखे में कैद वो... Hindi · कविता 318 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Sep 2019 · 1 min read जाग उठे जज्बात सावन का आया महीना हो रही है बहुत बरसात प्रियतम नहीं है मेरे पास मेरे जाग उठे हैं जज्बात मेरे जाग उठे हैं जज्बात हो रही है बहुत बरसात आओ... Hindi · कविता 389 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Sep 2019 · 1 min read जीवनसंगिनी जब पत्नी ने आईने समक्ष निज प्रतिबिंब निहारते हुए नयन मटकाते और इठलाते जुल्फें झटकाते,लहराते हुए अकस्मात ही मुझ से पूछा प्रियवर!प्रीतम जरा सुनिए ईमानदारी से मुझे ये बताएं बिल्कुल... Hindi · कविता 585 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Sep 2019 · 1 min read घर अब मकान बन गए घर घर नहीं रहे अब मकान बन गए घर अब इस जहाँ में दुकान बन गए रहते थे सभी संग मौज मस्ती में देखो,अतीत की मिशाल बन गए छोटे घर... Hindi · कविता 173 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Sep 2019 · 1 min read याद जब भी सोच में सोचता हूँ तुम्हें काँप उठता है मेरा तन बदन बेकाबू हो जाती हैं दिल की धडकनें तीव्र हो जाती हैं मेरी जीवन की सांसें रौंगटे खड़े... Hindi · कविता 531 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Sep 2019 · 1 min read जिन्दगी जिन्दगी प्रेम का रंग है हर हाल में रंगना पड़ेगा जिन्दगी रंज की पीड़ा है हर हाल सहना पड़ेगा प्यार का है एक सागर नहीं दिखता किनारा है गहराई बीच... Hindi · कविता 224 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Sep 2019 · 1 min read चुनाव दौर आ रहा प्रदेश में चुनाव दौर ले कर नया एलान प्रदेश के शान्त माहोल को करने को परेशान चुनाव लड़ रहे नेताओं की बन जाती हैं टोलियाँ विजयी होने हेतु... Hindi · कविता 344 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Sep 2019 · 1 min read सीख आसमान में चहचहाती हुई चिड़िया बोली सुन लो वसुधावासी मानव प्यारे द्वेष,वैर,धुर्तता,कपटता भूल के तुम प्रेम प्यार की डोर में बंध जाओ सारे आन बान और.शान की खातिर जग में... Hindi · कविता 1 473 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Sep 2019 · 1 min read मुलाकात पल दो पल की हो मधुरिम वार्तालाप कभी ना कभी हो सकती है मुलाकात सोच में सोच सोच कर कुछ नहीं होता करने से ही होगी एक अच्छी शुरुआत बाट... Hindi · कविता 1 336 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Sep 2019 · 2 min read थूक का महत्व मुँह में जो लार है थूक उसे हम कहते हैं खूले में जो थूकते तो लोग उसे सहते हैं समय और स्थान का थूक पर प्रभाव है परिस्थितिवश थूक का... Hindi · कविता 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Sep 2019 · 2 min read देहाती सीधे साधे लोग देहाती होते हैं बड़े परिश्रमी भोली भाली सूरत होती नहीं होते हठधर्मी सादा खाना पीना पहरावा मीठी होती बोली सादा रहन सहन है होता करते खूब ठिठोली... Hindi · कविता 1 630 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Sep 2019 · 1 min read चण्डीगढ़ शहर हरियाणा पंजाब दो जिस्म हैं एक जान दोनों प्रदेशों की जान का ही एक स्थान मनमोहक मनोरम है उत्तम सुन्दर स्थान ली कोर्बुज़िए जिसका था श्रेष्ठ योजनाकार नेहरु के श्रेष्ठ... Hindi · कविता 1 216 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Sep 2019 · 1 min read बादल आसमान में हैं छाये बादल काले घने और घनेरे बादल पानी लेने जा रहें हैं बादल पानी लेकर आ रहें बादल काली घटा में घिरे बादल उमड़ उमड़ उमड़ते बादल... Hindi · कविता 2 2 321 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Sep 2019 · 1 min read दास्तान इन्सान की अजीब दास्तान है इन्सान की सृष्टि के महानायक महान की कहता है कुछ, करता है कुछ खाता हैं वो अपनी जुबान की जुबान में मिठास,दिल खट्टास बातें करता है,जीतने जहाँ... Hindi · कविता 1 526 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Sep 2019 · 1 min read अंजुमन में जो वो आए आए है वो अंजुमन में चार चाँद लग गए चिराग जो बुझे हुए थे वो भी हैं जल गए उनके जिंदादिली की क्या मिशाल दें चेहरे जो मायूस थे वो... Hindi · कविता 206 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Sep 2019 · 2 min read परिवार नियोजन परिवार नियोजन योजना का है यह सार दशक अनुसार योजना का बदला आधार उन्नीस सौ सत्तर पूर्व योजना का था ये हाल हम दो और हमारे बच्चे थे भारतीय बाजार... Hindi · कविता 317 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Sep 2019 · 1 min read सावन का महीना सावन का महीना हो रही है काली रैन सजन अब चले आओ जिया है बैचैन जहाँ भी हो चले आओ छोड़ सब काम जल रहा है तन बदन तरस रहें... Hindi · कविता 443 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Sep 2019 · 2 min read नर.मानव.जीवन मानुष जीवन का अजब है खेल खेल में पुरुष की बनती है रेल मानव रिश्तें हैं सब पैसेंजर रेल रेल को ईंजन बन सदा खीचें मेल हर रिश्ते का होता... Hindi · कविता 439 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Sep 2019 · 1 min read प्रेम गीत गीत प्रेम का हम गुनगनाने लगे हैं जब से देखा तुमको चाहने लगे है अब से पहले जिंदगी में बेफिक्र थे तुम्हें पाने के फिक्र सताने लगे है घोड़े बेचकर... Hindi · कविता 429 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Sep 2019 · 1 min read शबनम की बूँदें शशिप्रभा सी चमकती सफेद तुषार सी शीतल सर्द समीर की आद्रता जो निश्चला के तल पर महीन जलकण या फिर तुहिन से कणों स्वरूप सुन्दर पावक पारदर्शी शबनम की शुद्ध... Hindi · कविता 404 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Sep 2019 · 2 min read नवोदियन दिन कोई हाल मस्त कोई चाल मस्त कोई खा कर है रोटी दाल मस्त नवोदियन तो यारों वहांँ होता है होता है वहांँ पर हर हाल मस्त वहांँ रंग बिरंगी अजब... Hindi · कविता 621 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Sep 2019 · 1 min read जमाने का दस्तूर जमाने का यारों बहुत दस्तूर निराला कहीं पर अंधेरा कहीं पर है उजाला जो जिसको चाहे वो मिलता नहीं हैं जिसको मिलता है वो चाहता नहीं हैं प्रीत की रीत... Hindi · कविता 296 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Sep 2019 · 1 min read माशूका पुरानी शराब सी मेरी माशूका पुरानी शराब सी जो बस चढती है उतरती नहीं नशा है उसका बस अफीम सा जो होश में आने देती ही नहीं ख्वाब वो है महीन हसीन सा... Hindi · कविता 599 Share Previous Page 53 Next