Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2019 · 1 min read

शबनम की बूँदें

शशिप्रभा सी चमकती
सफेद तुषार सी शीतल
सर्द समीर की आद्रता
जो निश्चला के तल पर
महीन जलकण या फिर
तुहिन से कणों स्वरूप
सुन्दर पावक पारदर्शी
शबनम की शुद्ध साफ
पुनित और निर्मल बूँदें
जब पौधों की कोमल
पत्तियों पर जम जाती हैं
कर है देती उन पर्णों को
पाप और दोष रहित
पाक साफ तरोताजा
सुन्दर और आकर्षक
बिल्कुल वैसी ही परिपाटी
और रीति के अनुसार
ईश्वरीय आराधना से
और ध्यानाकर्षण से
प्राप्त ज्ञानासागर की
ध्यान,ज्ञान की बूँदें जब
मानव मष्तिष्क के अन्दर
प्रवेश करती हैं और फिर
बना देती हैं मनुज के
विचलित और व्यथित
मन को स्थिर और शान्त
और मानव शरीर को
दोष और पापरहित
पाक साफ हल्का और
एक सीधा सच्चा ईन्सान

सुखविंद्र सिहं मनसीरत

Language: Hindi
367 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
डॉ० रोहित कौशिक
ज्ञान~
ज्ञान~
दिनेश एल० "जैहिंद"
Let your thoughts
Let your thoughts
Dhriti Mishra
ज़िद..
ज़िद..
हिमांशु Kulshrestha
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
gurudeenverma198
प्यासा पानी जानता,.
प्यासा पानी जानता,.
Vijay kumar Pandey
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
Rj Anand Prajapati
जीवन दिव्य बन जाता
जीवन दिव्य बन जाता
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
2122 :1222 : 122: 12 :: एक बार जो पहना …..
2122 :1222 : 122: 12 :: एक बार जो पहना …..
sushil yadav
इश्क़ में जूतियों का भी रहता है डर
इश्क़ में जूतियों का भी रहता है डर
आकाश महेशपुरी
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
किभी भी, किसी भी रूप में, किसी भी वजह से,
किभी भी, किसी भी रूप में, किसी भी वजह से,
शोभा कुमारी
23/209. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/209. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
कवि रमेशराज
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
Dr MusafiR BaithA
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
Mahender Singh
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
संपूर्ण राममय हुआ देश मन हर्षित भाव विभोर हुआ।
संपूर्ण राममय हुआ देश मन हर्षित भाव विभोर हुआ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
काजल
काजल
Neeraj Agarwal
मेरी चाहत
मेरी चाहत
Namrata Sona
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
Dr fauzia Naseem shad
क्षितिज के पार है मंजिल
क्षितिज के पार है मंजिल
Atul "Krishn"
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"जब"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुछ बातें ईश्वर पर छोड़ दें
कुछ बातें ईश्वर पर छोड़ दें
Sushil chauhan
*
*"अक्षय तृतीया"*
Shashi kala vyas
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
स्मृतियों की चिन्दियाँ
स्मृतियों की चिन्दियाँ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Akshay patel
Loading...