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क्यों दिल पे बोझ उठाकर चलते हो
VINOD CHAUHAN
दिन गुजर जाता है ये रात ठहर जाती है
VINOD CHAUHAN
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
VINOD CHAUHAN
तेरी यादों के सहारे वक़्त गुजर जाता है
VINOD CHAUHAN
रिश्तों में बेबुनियाद दरार न आने दो कभी
VINOD CHAUHAN
मायूसियों से निकलकर यूँ चलना होगा
VINOD CHAUHAN
मैं अंधियारों से क्यों डरूँ, उम्मीद का तारा जो मुस्कुराता है
VINOD CHAUHAN
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
VINOD CHAUHAN
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
VINOD CHAUHAN
हमें पता है कि तुम बुलाओगे नहीं
VINOD CHAUHAN
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
VINOD CHAUHAN
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
VINOD CHAUHAN
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
VINOD CHAUHAN
सफर वो जिसमें कोई हमसफ़र हो
VINOD CHAUHAN
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
VINOD CHAUHAN
जिंदगी के तूफानों में हर पल चिराग लिए फिरता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
वो तेरा है ना तेरा था (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
आई होली आई होली
VINOD CHAUHAN
बीज अंकुरित अवश्य होगा (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
अटल सत्य मौत ही है (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
रोशन है अगर जिंदगी सब पास होते हैं
VINOD CHAUHAN
रिश्ते नातों के बोझ को उठाए फिरता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
VINOD CHAUHAN
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
VINOD CHAUHAN
ख्वाबों से निकल कर कहां जाओगे
VINOD CHAUHAN
अरे सुन तो तेरे हर सवाल का जवाब हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
मैं सोचता हूँ आखिर कौन हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
तेरी इबादत करूँ, कि शिकायत करूँ
VINOD CHAUHAN
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
अब मेरी मजबूरी देखो
VINOD CHAUHAN
पति मेरा मेरी जिंदगी का हमसफ़र है
VINOD CHAUHAN
अरे ! पिछे मुडकर मत देख
VINOD CHAUHAN
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
मुफ्त राशन के नाम पर गरीबी छिपा रहे
VINOD CHAUHAN
क्यों खफा है वो मुझसे क्यों भला नाराज़ हैं
VINOD CHAUHAN
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
VINOD CHAUHAN
हमें तो देखो उस अंधेरी रात का भी इंतजार होता है
VINOD CHAUHAN
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
VINOD CHAUHAN
दिल ने गुस्ताखियाॅ॑ बहुत की हैं जाने-अंजाने
VINOD CHAUHAN
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
VINOD CHAUHAN
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
अंधेरी रात में भी एक तारा टिमटिमाया है
VINOD CHAUHAN
बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
VINOD CHAUHAN
उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
सारी फिज़ाएं छुप सी गई हैं
VINOD CHAUHAN
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
जब दादा जी घर आते थे
VINOD CHAUHAN