Vindhya Prakash Mishra 390 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next Vindhya Prakash Mishra 4 Dec 2017 · 1 min read कोई कैसे कवि बनता है तब कोई कवि बन पाता है । आंखो का आशू लुढ़क लुढ़क जब हृदय तक बढ़ आता है अमूर्त बात जब लिपि पाकर कागज पर आ जाता है तब कोई... Hindi · कविता 1 517 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Dec 2017 · 1 min read ईश्वर दे दो वरदान ईश्वर दे दो यह वरदान । कम मे संतोष सदा ही असहायो को दे सकूँ योगदान ईश्वर दे दो यह वरदान । कुछ बनना मैं बाद में सोचू बन जाऊँ... Hindi · कविता 1 633 Share Vindhya Prakash Mishra 1 Dec 2017 · 1 min read सिख रहा हूँ मैं लिख नहीं सिख रहा हूँ वैसा हूँ नहीं जैसा दिख रहा हूँ । क्या करूँ कमी है फिर भी मानो कुछ बात है जो बिक रहा हूँ । मुझे बड़ा... Hindi · कविता 1 1k Share Vindhya Prakash Mishra 1 Dec 2017 · 1 min read माँ की ममता कैसे कैसे मेरे बेटे पाला है तुझे खुद का भी दिया निवाला है तुझे आज मैं वृद्ध बीमारी की मारी हुई ऐसी हालात में घर से निकाला है मुझे ।... Hindi · कविता 1 395 Share Vindhya Prakash Mishra 1 Dec 2017 · 1 min read मिट्टी है मेरी पहचान मिट्टी का बना खिलौना मिट्टी मे हंसना रोना मिट्टी ही चांदी सोना मिट्टी ही रहा बिछौना मिट्टी खाकर बचपन मे बन रहा धूसर से सलोना मिट्टी मेरी रग रग मे... Hindi · कविता 1 266 Share Vindhya Prakash Mishra 30 Nov 2017 · 1 min read जागो हे सामर्थ्यवान जागो हे सामर्थ्यवान! जगा रहा पक्षी का कलरव हो रहा दिशाओं में भान जागो हे सामर्थ्यवान! सुबह की लालिमा दिखी है कली कली हर डाल खिली है कर रहे मधुप... Hindi · कविता 1 268 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Nov 2017 · 1 min read सुबह की बेला मंगलमय हो पक्षी का कलरव प्राची में सुखद वायु का साथ मंगल मय जीवन में हो खुशियों की बरसात नव पल्लव सा खिल उठे भाग्य का पुष्प अनूप सुखकारी मंगलमय हो ठंडी... Hindi · कविता 1 437 Share Vindhya Prakash Mishra 27 Nov 2017 · 2 min read जागरूक मतदाता भारत का भाग्यविधाता- --राजनीति का गिरता स्तर- - अब राजनीति केवल शब्दों के फेर में फंसकर रह गई । कोई बुआ बबुआ पप्पू शहजादा शहंशाह साम्प्रदायिक आदि जुमलो से गुमराह किया जाता है!... Hindi · लेख 1 531 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Nov 2017 · 1 min read बन जाऊँ अच्छा इंसान मन से तन से शुचि पावन हो मांग रहा माँ यह वरदान बनना नहीं बडा मुझको बस केवल मुझमे हो कुछ ज्ञान सही गलत का भेद भी जानू ऐसी मेधा... Hindi · लेख 1 535 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Nov 2017 · 1 min read बन जाऊँ अच्छा इंसान मन से तन से शुचि पावन हो मांग रहा माँ यह वरदान बनना नहीं बडा मुझको बस केवल मुझमे हो कुछ ज्ञान सही गलत का भेद भी जानू ऐसी मेधा... Hindi · कविता 1 432 Share Vindhya Prakash Mishra 19 Nov 2017 · 1 min read कर्मक्षेत्र विचार मेरा कर्म क्षेत्र है शिक्षा है आधार लेखन मेरी शक्ति और अभिव्यक्ति मेरा व्यवहार रचना करना बात की शैली साहित्य मेरा आचार कर्मकरे निज स्वार्थ त्यागकर मिलता सबका प्यार Hindi · मुक्तक 1 416 Share Vindhya Prakash Mishra 19 Nov 2017 · 1 min read अनवरत कोशिशे जारी रहेगी हम अनवरत चल रहे है कोई ठोकर कोई बाधा आ नही सकती रुकावट दीप बनकर जल रहे है हम अनवरत चल रहे हैं । कौन कहता है... Hindi · कविता 1 559 Share Vindhya Prakash Mishra 14 Nov 2017 · 1 min read बाल दिवस पर बचपन के दिन की यादे प्यारी सी तोतली बाते नही चाह नही परवाह खुशी भरी थी दिन व रातें आगे की परवाह न थी न पछतातें बीती बातें मस्त मगन... Hindi · कविता 1 308 Share Vindhya Prakash Mishra 12 Nov 2017 · 1 min read शीत लहर का कहर शीत लहर का असर दिख रहा सूरज कुहरे की जंग हो रही। सूरज की देख आंख मिचौली प्रकृति भी सारी दंग हो रही शीतलता अब कहर बन रहा दूर आज... Hindi · कविता 1 260 Share Vindhya Prakash Mishra 10 Nov 2017 · 1 min read बादल कारे कारे है । बादल कारे कारे है रंग बिरंगे सारे है पल पल अपना रूप बदलते कितने रंग निराले है हम बच्चों की खुशियाँ आयी पानी में नाव उतारे है । टप टप... Hindi · कविता 1 276 Share Vindhya Prakash Mishra 9 Nov 2017 · 1 min read हम अनवरत चल रहे है कोशिशे जारी रहेगी हम अनवरत चल रहे है कोई ठोकर कोई बाधा आ नही सकती रुकावट दीप बनकर जल रहे है हम अनवरत चल रहे हैं । कौन कहता है... Hindi · कविता 1 251 Share Vindhya Prakash Mishra 7 Nov 2017 · 1 min read धुंधला शहर धूल धुंध से धुधला शहर हो गया मानव की गंदगी से हवा मे जहर हो गया पता ही नही चला कब सुबह हुई रात सा अंधेरे है जाने कब दोपहर... Hindi · कविता 1 534 Share Vindhya Prakash Mishra 4 Nov 2017 · 1 min read नकली असली भेद नकली का जब हुआ प्रसार असली अपना अस्तित्व खो गया बिकता रहा हाट मे हरपल सही दूर दुर्लभ हो गया कोई नही गलत को कहता मिलावट का पूरा व्यापार हो... Hindi · कविता 1 659 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Nov 2017 · 1 min read प्रदूषण से हानी है बदला मौसम वायु है दूषित मानव की मनमानी है । बना बनावट का बाजार दूषित भोजन पानी है । बना दिया खुद जो चाहा प्रदूषण अब आनी है । आमंत्रण... Hindi · कविता 1 547 Share Vindhya Prakash Mishra 1 Nov 2017 · 1 min read चलो कुछ यूँ लिखे नवगीत बन जाए चलो कुछ यूं लिखे नवगीत बनजाए दुश्मनी मानते है जो हमसे नवप्रीत बनजाए साथ चलने की एक रीत बनजाए चलो कोशिश करे कुछ तो सुधरेगे हालात। नही बनेगा महल तो... Hindi · कविता 1 544 Share Vindhya Prakash Mishra 31 Oct 2017 · 1 min read अरुणोदय अरूणोदय की बेला आयी कली कली डाली मुस्काई ओस विन्दु मिट गए धरा के प्रातःकाल सुखद सुहाई काली रात दूर है दुख सी फिर सुख सी बेला आई प्राची में... Hindi · कविता 2 575 Share Vindhya Prakash Mishra 31 Oct 2017 · 1 min read दीप की प्रतिज्ञा अपनो का सहारा पाकर नया रूप ले रहा हूं हो जाय जगमग जहां मेरा खुशी से बन रहा हूं बलिदान मुझे होना है आग मे तप रहा हूं जलूंगा पहले... Hindi · कविता 1 497 Share Vindhya Prakash Mishra 30 Oct 2017 · 1 min read उनका कौन दर्द समझेगा सूखी रोटी न मिलती कभी रोज पतीली खाली है भूख नहीं छोडती मुझको हर बेरंग दिवाली है। घर कर गई गरीबी मुझमें मेरी झोली खाली है । हाल बेहाल बच्चों... Hindi · कविता 1 298 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Oct 2017 · 1 min read बेटी खुशियों का कारण है मेरी बिटिया दुख का निवारण है बिटिया घर की किलकारी बिटिया हम सबकी प्यारी है बिटिया । मा की दुलारी बिटिया सबसे ही न्यारी है बिटिया... Hindi · कविता 2 599 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Oct 2017 · 1 min read दीप खुशी से जगमग हो जीवन दीप पंक्तियां दमके चमके स्निग्ध तेल हो मन मे सबके दयाभाव हो हममे सब मे जगमग करदे नगर डगर मे दिल तक कालिमा मिटा दे... Hindi · कविता 628 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Oct 2017 · 1 min read मुझको सच ही कहना है स्वरचित (अनुभूति) हमको तो सच ही कहना है पराभव का भाव हृदय से कोसो दूर करना है हमको तो सच ही कहना है नही जानता चाटुकारी नही किया कभी बेगारी... Hindi · कविता 202 Share Vindhya Prakash Mishra 27 Oct 2017 · 1 min read दीपक दीपक है अंधकार विनाशक दीपक प्रकाश विस्तारक दीपक शिक्षक का प्रतीक है पतंगे की गहन प्रीति है दीपक प्रेम की वर्तिका प्रतीक दीपक से है ईश वंदना रीति दीपक स्वयंतप... Hindi · कविता 481 Share Vindhya Prakash Mishra 26 Oct 2017 · 1 min read सच बोला तो बवाल हो गया आज तो कुछ कमाल हो गया सच बोला तो बवाल हो गया सभी के सामने एक सवाल हो गया सब काम की मैने वाह दूसरो को मिला कुछ मन मारकर... Hindi · कविता 267 Share Vindhya Prakash Mishra 24 Oct 2017 · 1 min read दर्द दर्द दिया तो दवा क्यो दी है जलती आग को हवा क्यो दी है बात छिपाने को कहकर सबसे बता क्यो दी है किसी को चाहते मन से सही है... Hindi · कविता 572 Share Vindhya Prakash Mishra 22 Oct 2017 · 1 min read कागज की कीमत कागज की कीमत बदली है क्या लिखा है इसी बात से किसके साथ रही है संगति कीमत होती इसी बात से जीवन का महत्व बना है मित्रो की संगति साथ... Hindi · कविता 552 Share Vindhya Prakash Mishra 20 Oct 2017 · 1 min read सुखद सबेरा सुखद सबेरा हो जीवन मे ज्ञान प्रकाश विस्तार गगन मे वासित हो परिवेश हमारा मलयज सुगंध हो पवन मे कटे अंधेरा ऩभ का सारा चमक आ रही आज चमन मे... Hindi · कविता 298 Share Vindhya Prakash Mishra 17 Oct 2017 · 1 min read दिवाली शुभ होवे घर मे हो लक्ष्मी का वास खुशियां हो सबके पास अंधेरे का हो जाए नाश दिवाली शुभ होवे। जगमग हो दीप प्रकाश मिल जाए कुछ खास महके कोने तक वास... Hindi · कविता 464 Share Vindhya Prakash Mishra 16 Oct 2017 · 1 min read एक एकता आइये एक होकर चले राह पर नफरतो को दिलो से मिटा दीजिए हम हिन्दू नही हम मुस्लिम नही एकता क्या है दुनिया को दिखा दीजिए बिष न घोलो सभी एक... Hindi · कविता 282 Share Vindhya Prakash Mishra 15 Oct 2017 · 1 min read फिर आया चुनावी त्योहार आया फिर चुनावी त्योहार, जनता को दिखाते लाली पाप, फिर वही पुरानी राग, बदल देगे सब हालात, बनाते पल पल नयी बात, दौडते है अब दिन रात, आया फिर चुनावी... Hindi · कविता 184 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Oct 2017 · 1 min read छोटा जीवन हमने छोटे जीवन मे बडे कर्म करके देखे हमने अपने आप से भी गलती पर लडकर देखे सही गलत का भेद बताया जो सबने वही बात अपना आगे पथपर चलकर... Hindi · कविता 297 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Oct 2017 · 1 min read सुख ले लेता है ब्याज हौसला हिम्मत को ताकत देता है घनी रात से गगन सुबह को देता है दर्द के बीतने का इंतजार है मुझको पता ईश्वर दुख के बाद सुख भी देता है... Hindi · कविता 336 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Oct 2017 · 1 min read बडे राज बडे ही राज रक्खे है दिलों मे दबा करके कभी कह दो बहाने से मौका पा करके कभी तो खोलिये कुछ राज की गठरी बहुत कुछ कह रही आंखे जरा... Hindi · कविता 247 Share Vindhya Prakash Mishra 11 Oct 2017 · 1 min read ठोकरे खाकर सम्भलता नही ठोकरे खाता रहा पर सम्भलता नहीं लोग कुछ भी कहे मुझको खलता नहीं । पाव ठहरे मेरे ठहरे ही रहे लाख कोशिश किया पर चलता नहीं । अभावों से पीड़ित... Hindi · कविता 523 Share Vindhya Prakash Mishra 11 Oct 2017 · 1 min read भूलना भी अच्छी बात है स्वरचित भूलने की आदत से परेशान हूं क्या करू मै भी एक इंसान हूं रख देता हू कही रखकर भूल जाता हूं फिर भी मै भुलक्कड नही कहलाता हू्ं भूलता... Hindi · कविता 288 Share Vindhya Prakash Mishra 11 Oct 2017 · 1 min read (@ करवा चौथ@) पति से खूब प्रीति बढै निशदिन इस हेतु ही व्रत ये धारति हैं । (@ करवा चौथ@) पति से खूब प्रीति बढै निशदिन इस हेतु ही व्रत ये धारति हैं । दीर्घ जीवी बनें नित सुहाग रहे ये प्रेम की दीपक बारति है। पति... Hindi · कविता 341 Share Vindhya Prakash Mishra 10 Oct 2017 · 1 min read पूनम का चाँद पूनम का चांद चांदनी विखराता मोती सदृश छिटक कर नभ भाता तारे छिपा छिपी कर टिमटिम करते शून्य गगन मे अपनी आभा से रंग भरते कौन प्रकाश देता है चंदा... Hindi · कविता 900 Share Vindhya Prakash Mishra 10 Oct 2017 · 1 min read मेरी लेखनी कुछ तो बोल मेरी लेखनी कभी क़िसी दिन चुपके से सबसे बचकरके मेरे मन की गांठे खोल मन की बातें खुलकर बोल मानव होकर जन्म लिया है अपने मन का कर्म किया है... Hindi · कविता 297 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Oct 2017 · 1 min read चलने का संकल्प मन में है ठाना चलने का संकल्प मन में है ठाना नही फर्क पड़ता किधर है जमाना । झोली मे कुछ तो लेकर के आना कई व्यंग्य शर है चले आ रहे पर उनसे... Hindi · कविता 1 1 252 Share Vindhya Prakash Mishra 1 Oct 2017 · 1 min read जूझकर हारने मे संतोष है । अपनी नाकामी छिपाने का बहाना है नही होगा मुझसे ये बुरा जमाना है । साध लो लडकर मरेगे डरकर नही बुजदिलो को नही वीरो को पूजता जमाना है। जूझकर हारने... Hindi · कविता 500 Share Vindhya Prakash Mishra 30 Sep 2017 · 1 min read दशहरा कितना ज्ञान भरा हो अंदर कितनी होवे शक्ति अपार कितनी सेना पीछे चलती कितना होवे स्वर्ण भंडार । कितनी जीत मिली हो जग मे कितना फैला हो साम्राज्य एक बात... Hindi · कविता 537 Share Vindhya Prakash Mishra 28 Sep 2017 · 1 min read नव किसलय नव किसलय स्फुटित हो चटक रही है कली कली गुंजित है हर फूल खिला है हर डाली पर अलि अलि भाष्कर आभा फैलाए खिले हुए है पुष्प डालपर महक रही... Hindi · कविता 1k Share Vindhya Prakash Mishra 28 Sep 2017 · 1 min read किसी का सदा बोलबाला कहाँ है तंगी मे काटे है जीवन सदा ही गरीबों को मिलता निवाला कहाँ है । करते क्यो अभिमान धन पर अपने किसी का सदा बोलबाला कहाँ है । बदलते गए सच... Hindi · कविता 345 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Sep 2017 · 1 min read अब तो हमें वार करना है दुश्मन ने ललकारा है । अब तो हमें वार करना है दुश्मन ने ललकारा है । कई जवान शहीद हो गए यह आदत कायराना है । हमतो शांति के अग्र पहरुए पर अब सहन नहीं... Hindi · कविता 400 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Sep 2017 · 1 min read अमर रहे गणतंत्र हमारा तीन लोक तक फहराये तिरंगा; मान रहा जग सारा अमर रहे गणतंत्र हमारा| सदा सजग है इसके प्रहरी; उन्नत गगन तक ध्वजा है फहरी; गणतंत्र का रखवारा अमर रहे गणतंत्र... Hindi · कविता 1 1k Share Vindhya Prakash Mishra 23 Sep 2017 · 1 min read पाक तेरा क्या होगा अंजाम क्या होगा अंजाम पाक तेरा क्या होगा अंजाम कोई तेरी औकात नही है कोई सच्ची बात नही है दंभ मे मे भरा दिन रात हो चुका आतंकी बदनाम पाक तेरा... Hindi · कविता 500 Share Previous Page 6 Next