सुखविंद्र सिंह मनसीरत Language: Hindi 2395 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 45 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Oct 2019 · 1 min read विधायिका ढांडा गौत्र में ब्याही मलिक की सुपुत्री पूर्व मन्त्री श्री नर सिंह ढांडा की पत्नी खेड़ी सिम्बल की बहू बन डोली चढी विज्ञान संकाय स्नातक तक पढाई पढी कंधे से... Hindi · कविता 228 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Oct 2019 · 1 min read भैया दूज बहन भाई रिश्ते में होता प्रेम प्यार भैया दूज त्यौहार पर दिखे आपार भाई बिन बहना बहना बिन भाई एक दूसरे बिन रहती सूनी कलाई संग साथ पले बढे झगडे... Hindi · कविता 257 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Oct 2019 · 1 min read बीत गई दीवाली बीत गई दीपावली देकर एक पैगाम खर्च,प्रदूषण बढाकर करते हो बदनाम दीवाली का नाम लेकर करते हो काम नहीं हैं सामाजिक बदनाम हो सरेआम ढेर पटाखे चलाकर बढाएं कूड़ा कबाड़... Hindi · कविता 1 659 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Oct 2019 · 1 min read विश्वकर्मा देवता जय जय जय विश्वकर्मा देव निर्माणकारी सृजनहारी देव महासृष्टि का महा वास्तुकार जय विश्व रचनाकार महादेव सूई हो या हो कोई कलपूर्जा नहीं बिन संभव शिल्पी देव कारज तुम बिन... Hindi · कविता 512 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Oct 2019 · 1 min read जो चला गया विदेश जो चला गया विदेश छोड़ कर अपना देश धार कर वहाँ का भेष भूला बैठा निज स्वदेश विदेशी भाषा को बोले देसी लफ्जों को हैं भूले बोली है चढ गई... Hindi · कविता 459 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Oct 2019 · 1 min read अब की बार दीवाली में अब की बार आई दीवाली में तुम मिट्टी के दिये जला जाना विदेशी वस्तु का तज कर के तुम देसी वस्तुएं अपना जाना जो सोते फुटपाथ पटरियों पर तनिक ध्यान... Hindi · कविता 1 223 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Oct 2019 · 1 min read हर दिन दीवाली साथ हो गर उसी का हर दिन दीवाली बिन प्रियतमा हमारी सूखी है दीवाली संग संग चले अगर दीप जीवन जलता संग छूट जाए तो है दीप जीवन बुझता कदमों... Hindi · कविता 180 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Oct 2019 · 1 min read मंगलमय हो दीवाली मंगलमय हो जन गण को दीवाली जगमग जगमग दीपशिखा दीवाली कार्तिक मास रात है अमावस वाली जलते दीयों से उजाला करे दीवाली लक्ष्मी धन देवी धन वर्षा रहे करती धनवंतरी... Hindi · कविता 237 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Oct 2019 · 1 min read दीपावली पर्व दीप शिखाओं का उत्सव हैं प्रकाशपुंज का दीपोत्सव है जन खुशियों का यह प्रतीक दीवाली का पावन है त्योहार कार्तिक मास अमावस्या में आता सर्दी की शुरुआत में उपहारों का... Hindi · कविता 204 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Oct 2019 · 1 min read मौन थी वो कौन थी वो सब कुछ जान कर भी मौन थी वो प्यार जताना भी नहीं चाहती थीं वो चाह कर भी प्रेम छिपाना नहीं जानती थी वो कसूर कातिल मयकशी... Hindi · कविता 263 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Oct 2019 · 1 min read मौन थी वो कौन थी वो सब कुछ जान कर भी मौन थी वो प्यार जताना भी नहीं चाहती थीं वो चाह कर भी प्रेम छिपाना नहीं जानती थी वो कसूर कातिल मयकशी... Hindi · कविता 190 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Oct 2019 · 1 min read चुनावी बुखार मलेरिया बुखार और चुनावी खुमार दोनों का चढे समान तीव्र ताप ज्वर पर ढले है ज्वरताप मंद मंद मद्धिम अस्त होता हो भानु मंद मंद मद्धिम मय का नशा उतरता... Hindi · कविता 223 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Oct 2019 · 1 min read चुनावी नतीजे आ गया रे भाई आ गया रे नतीजा चुनावी आ गया रे सियासी दंगल जीत गया रे कोई सियासी खेल हारा रे कोई जीता भारी बहुमत से कोई हार गया... Hindi · कविता 416 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Oct 2019 · 1 min read दोस्त दोस्ती दोस्ताना सुन लो यार हो गई शाम प्रतीक्षा में हैं मय के जाम पूरे हो गए होंगें सब काम मिलते हैं कहीं बीच मुकाम मिल कर पूरे करें अरमान सारे दिन... Hindi · कविता 1 481 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Oct 2019 · 1 min read डल गए चुनावी वोट डल गए हैं चुनावी वोट किसको मिली है सपोर्ट डंके की लगी है जो चोट किसमें कितना है खोट किसकी किस्मत बुलंद ईवीएम में हो गई है बंद जनता किस... Hindi · कविता 483 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Oct 2019 · 1 min read तेरी मेरी मेरी तेरी यादें लो फिर आ गई तेरी दर्द भरी याद जब हाथ लग गई वो प्रेमभरी चिट्ठियां हमारी चिट्ठियाँ जो समेटे हुए थी तेरा मेरा वाद-विवाद ओर मधुर-संवाद इजहार,इनकार इकरार, तकरार और... Hindi · कविता 207 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Oct 2019 · 1 min read ईश की माया अजब ईश की माया है अजब बड़ी लीला अपरंपार है परिवेश बहुत खुशनुमा कहीं हालात गमसीन है लगी है सावन की झडी़ तो कहीं सूखा अपार है मौसम है बेमौसम सा... Hindi · कविता 1 457 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Oct 2019 · 1 min read तुम बिन कैसे जिऊँ तुम बिन कैसे जिऊँ ना कुछ खाऊँ पिऊँ दूर रह सकता नहीं पास कैसे तेरे आऊँ जब से है देखा तुझे दिल चैन नहीं पाऊँ आसपास ही रहूँ तेरे तेरे... Hindi · कविता 577 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Oct 2019 · 1 min read प्रेम पीड़ा ईश्क की आँधी तुफान संग अंबर में प्रेम मेघ मंडराते हैं अनुरागी बूंदों में जब बरसेंगे चातक कब से आस लगाए हैं यह झुकी झुकी निगाहें हैं जो कुछ कहती... Hindi · कविता 1 225 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Oct 2019 · 1 min read मै तुम और हम तुम बिन मैं नहीं मैं बिन तुम नहीं मैं तुम से हम हैं हम से मैं तुम हैं जब मैं तुम हम फिर क्यों है गम हम सी से है... Hindi · कविता 338 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Oct 2019 · 1 min read करवाचौथ करवाचौथ का दिन होता हैबहुत खास भार्यां चाँद से करे भर्या दीर्घायु अरदास तारों की छाँव में खा पीकर करे तैयारी नहा धोकर सजती संवरती उस प्रभात नई पहन पोशाक... Hindi · कविता 409 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Oct 2019 · 1 min read दिल में बसा लेते हम तुम्हे दिल में ही बसा लेते अगर तुम रमणीय ख्याल होते हम कभी पीते मय को नहीं हैं नशीले नयनों में नशियाये होते तुम्हें आँखों से गुट गुट पी... Hindi · कविता 1 251 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read जीवनयापन उगता सूरज बहता पानी उड़ता पक्षी चलती पवन बढ़ता राही खिले सुमन टिमटिमाते तारे लहराती फसलें जल लाते मेघ जलता दीपक सभी कहते हैं यह बात आगे बढो रुको मत... Hindi · कविता 1 400 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read पत्नी की कल्पना प्त्नी प्रकृति की श्रेष्ठ सुंदर रचना क्या मैं ही हूँ पत्नी की कल्पना जिसको सोचा उसने ख्वाबों में सजाया होगा अपने अरमानों में रखा होगा व्रत जिसके नाम का अपने... Hindi · कविता 1 278 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read मोबाइल दैत्य मोबाइल खा गया है जीवन प्यार रिश्तों का टूट गया है पूर्ण आधार मोबाइल दैत्य जब से है आया रिश्तों का निगल गया प्रेमप्यार जो थे पार समुद्र हो गए... Hindi · कविता 2 312 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read सती प्रथा भारतीयता की है पहचान भारतीय संस्कृति संस्कार होता परस्पर आदान प्रदान पीढी को पीढी से संस्कार भारतीय संस्कृति है समृद्ध विभिन्न प्रथाएं भिन्न प्रभार कुछ थी ऐसी हमारी प्रथाएँ जिन... Hindi · कविता 326 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Oct 2019 · 1 min read करवा चौथ करवा चौथ पर्व उड़ाता हैं नोट पति बेचारे के उड़ाता यह होश साल में आए यदि यह बार बार पति की नही ना बच पाए पगार भरतार दीर्घायु का होता... Hindi · कविता 418 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Oct 2019 · 1 min read जी आप पहले.जैसे नहीं रहे पत्नी ने पति से कहा जी जरा सुनिए पति सहमा हुआ बोला हाँजी!फरमाइए जी !आप पहले जैसे नहीं रहे पति ने प्रतिउत्तर में कहा जी बदला भी आपने ही है... Hindi · कविता 217 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Oct 2019 · 1 min read सती प्रथा भारतीयता की है पहचान भारतीय संस्कृति संस्कार होता परस्पर आदान प्रदान पीढी को पीढी से संस्कार भारतीय संस्कृति है समृद्ध विभिन्न प्रथाएं भिन्न प्रभार कुछ थी ऐसी हमारी प्रथाएँ जिन... Hindi · कविता 809 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Oct 2019 · 1 min read जीवन रंग ये जीवन रंग बहुत रंग दिखाता हैं कभी हँसाता तो कभी रूलाता हैं प्यार रंग तो बहुत ही जज्बाती है जज्बातों का दरिया सा बहाता है संयोग रंग बहुत आनंदविभोर... Hindi · कविता 201 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Oct 2019 · 1 min read माता की भेंट सब तो उच्चा सिहांसन मैया शेरावाली दा सब तो सोहणा दरबार मैया शेरावाली दा माँ बिना बच्चयाँ दा जग ते रखवाली ना भगतां दा तेरे बिना जग ते कोतवाली ना... Hindi · कविता 211 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Oct 2019 · 1 min read वक्त स्वतंत्र परिंदा वक्त है स्वतंत्र परिंदा गुलाम मोहताज नहीं जो जाए वक्त निकल आता कभी हाथ नहीं तीव्रता से गुजर जाता कभी ठहरता ही नहीं जो नहीं समझे कीमत हो कभी आबाद... Hindi · कविता 241 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read दो चार यार.पुराने मिलते जब दो चार यार पुराने याद करें पुरानी बातें अफसाने करते हैं वो याद बीती घटनाएं जो घटित हुई थी जाने अंजाने आ जाती सब स्मृति पटल पर बातें... Hindi · कविता 315 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 2 min read वो पुराने दिन याद करो वो दिन जब घर थे हमारे कच्चे दिल थे हमारे पक्के मन थे पावन सच्चे बेशक एक थी छत उसी छत के नीचे ही फलता फूलता था संयुक्त... Hindi · कविता 242 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read दास्तानें दर्द जिन्दगी मिले गम हम को हँस के सह लेते हैं दर्द जब हद से बढता है तो रो लेते हैं जिन्दगी सुख दुख का घना सागर है दिल हो जब रुखा... Hindi · कविता 1 165 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read भारतीय स्वच्छता सम्मान उखड़ गई जिन्दगी की सांसें ठहर गया रुधिरवाहिनियों में लाल लहू का बहाव हुआ कोमल हृदय प्रस्पंदन तीव्रता से धडकी हत्कंपन लकवाग्रस्त हुई जिह्वा तमतमाहट से तमतमा उठा मुख देखकर... Hindi · कविता 376 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read मुबारक हो तुमको मोहब्बत तुम्हारी मुबारक हो तुमको मोहब्बत तुम्हारी मुबारक हो तुमको खुशियाँ तुम्हारी कट जाएगी जिन्दगी यादों के सहारे विरासत हैं मेरी यादें हमारी तुम्हारी किस्सा है बन गई तेरी मेरी मोहब्बत तुम... Hindi · कविता 1 268 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Oct 2019 · 3 min read मयखाना लो मैं ले आया बागों से अंगूर काले काले और हरे हरे अंगूर अनाज और गन्ने रस का माड़ अंगूरों साथ दूँगा भूमि में गाड़ तैयार हो जाएगा जब मसाला... Hindi · कविता 1 263 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Oct 2019 · 2 min read मय मयखाना लो मैं ले आया बागों से अंगूर काले काले और हरे हरे अंगूर अनाज और गन्ने रस का माड़ अंगूरों साथ दूँगा भूमि में गाड़ तैयार हो जाएगा जब मसाला... Hindi · कविता 2 316 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Oct 2019 · 1 min read सांसें हैं बहकी बहकी गुल बाग में महके महके सांसें भी हैं बहकी बहकी जल रहा है यहाँ तनबदन अंग प्रत्यंग दहकी दहकी मचल रहा है मृदुल हृदय धड़कनें हैं अटकी अटकी मच रहा... Hindi · कविता 229 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read फुर्सत कभी कभी मिलती है जिन्दगी में फुर्सत कभी कभी फुर्सत जो मिले तो मिल जाओ कभी कभी जिन्दगी में इस कदर तुम मशरूफ हो गए मशरूफियत में फुर्सत पल ढूँढो कभी कभी... Hindi · कविता 253 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read राधा मीरा का प्यार सुनो एक प्रेम भरी कहानी प्रेम कहानी बहुत थी पुरानी कन्हैया जो एक था दीवाना कन्हैया की दो थी दीवानी एक थी राधा सुन्दर प्यारी दूसरी थी मीरा प्रेमदिवानी दोनों... Hindi · कविता 671 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read चुनावी वायदे आ गए चुनाव हो गए बेमोल अनमोल हो गई फिक्र बेफिक्रों को जो शौहरत,दौलत,पद प्रतिष्ठा और सत्ता के नशे में चूर चूर और मशरूफ थे आ गई अब गरीब,दुखियारों बेरोजगारों... Hindi · कविता 478 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read क्यों शिकवा मैं नींद से करूँ क्यों शिकवा मैं नींद से करूँ जो आती नहीं मुझे रात भर कसूर तेरे सुंदर चेहरे का है जो मुझे जगाता है रात भर यादें तेरी जो भूलने नहीं देती... Hindi · कविता 235 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read पत्नी घर.की रानी है पत्नी जो घर की रानी है जीवन में वह महारनी है प्यार से बोलो तो मचलती मौसम को कहे बेईमानी है देर से आओ तो अकड़ती आँखों में मय की... Hindi · कविता 450 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read नारी उत्थान खूब होती हैं बातें नारी स्थिति सुधार की पर रह जाती हैं सीमित वातानुकूलित कमरों तक नारी उत्थान सम्मान मंच नारु सुधार कार्यक्रम तक नेताओं, समाज सुधारकों के चुटीले ओजस्वी... Hindi · कविता 252 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read असली रावण बीत गया दशहरा दहन हो गया रावण क्या रावण संग जले हैं कलयुगी रावण बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक अधर्म पर धर्म जीत का भी कहें प्रतीक प्रतिवर्ष... Hindi · कविता 523 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Oct 2019 · 1 min read दशहरा अश्विन मास की दशम को आता है त्यौहार नव नवरातें पूर्ण होते दशम दशहरा त्यौहार बुराई पर अच्छाई जीत प्रतीक यह त्यौहार हर्षोल्लास मनाते जन गण दशहरा त्यौहार महाज्ञानी पण्डित... Hindi · कविता 1 231 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Oct 2019 · 1 min read प्रार्थना वंदना दो ऐसा वरदान प्रभु हम अच्छे इंसान बने विद्या का दान प्रदान करो हम विद्वान बने कोई बुराई मन मन्दिर में कभी ना आ पाए अच्छाई का सदा हो वास... Hindi · कविता 478 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Oct 2019 · 1 min read किसान देश का किसान बहुत बदहाल हैं कर्ज में हैं डूबा कर्जदार बेहाल है दिन रात करता बहुत परिश्रम है समृद्ध है किसान मात्र यह भ्रम है खेतों में उगाए धान्य... Hindi · कविता 217 Share Previous Page 45 Next