सुखविंद्र सिंह मनसीरत Language: Hindi 2395 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 44 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Nov 2019 · 1 min read हे भगवान दे यह वरदान हे! भगवान यह दे वरदान व्यर्थ नहीं जाए बलिदान जनता में हो जाऊँ मशहूर जन जन का बनूँ कोहिनूर ना कोई बनूँ मैं अधिकारी ना कर्मचारी नहीं व्यापारी ना साहूकार... Hindi · कविता 2 521 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Nov 2019 · 1 min read आओ अजनबी बध जाएं.हम तुम आओ अजनबी बन जाए हम - तुम फिर से एक दूसरे को जाने हम तुम जिंदगी तारीकियों में है अशान्त सी फिर से मुन्तजिर बन जाएं हम तुम भटकें दिशा-दशा... Hindi · कविता 199 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Nov 2019 · 1 min read यार.पुराने दिलदार यार पुराने दिलदार नहीं मिलते हैं बार बार चाहे कर लो तुम यारों प्रयत्न लाख हजार अनमोल हीरे हैं वो जीवन रुपी खजाने के मनके हैं खुदा के निधि अमूल्य... Hindi · दोहा 2 366 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Nov 2019 · 1 min read गम ए जिंदगी जुदाई है गम ए जिंदगी जुदाई है दर्द बहुत देती तन्हाई है गम सागर होता है गहरा ना मिलता तट,गहराई है अंजाम मोहब्बत जुदाई मिलती केवल तन्हाई है फूल तो होते हैं... Hindi · कविता 1 247 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Nov 2019 · 1 min read कितना बदल गया राजनीतिक आचार कितना बदल गया राजनीतिक आचार नेताओं ,सरकारों का आचार व्यवहार लोकतंत्र तंत्र का मूल रुप पूर्ण परतंत्र स्वतंत्र देश में नहीं रह पाए कोई स्वतंत्र यहाँ होने लगा अब राजनीतिक... Hindi · कविता 1 223 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Nov 2019 · 2 min read पिता पुत्री मार्मिक रिश्ता पिता-सुता संबंध बहुत है नाजुक जब बिछुडें,लगे चोट सम चाबुक खून का खून से होता यह रिश्ता कभी नहीं बाजारों में यह मिलता दिल से जुड़े होते हैं मर्म मनोभाव... Hindi · कविता 348 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Nov 2019 · 1 min read बरसती बरसात की बूँदें श्वैत मोतियों सी होती हैं बरसती बरसात की बूँदें जब सटीक वक्तानुसार नभ से धरती के वक्ष पर रिमझिम रिमझि टिप टिप प्यासे पपीहे की तिषा को शांत और बुझाती... Hindi · कविता 327 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Nov 2019 · 1 min read नभ से बरसता बादल नभ से बरसता बादल दिल को करता पागल बरसात बरसी हर बूँद आँखें हो जाती हैं मूँद दिल में होती सिरहन मन में होती है विरहन मचल उठता तन बदन... Hindi · कविता 246 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Nov 2019 · 1 min read गम-ए-बरसात फिर से होने वाली है वो काली रात फिर से आने वाली हैं गम-ए-बरसात फिर से होने वाली है बमुश्किल से सहा था उन लम्हों को खुदा द्वारा दिए उन जीवन रंगों को बदरंग हो... Hindi · कविता 308 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Nov 2019 · 1 min read हम अजनबी हुए तेरे शहर में हम अजनबी हुए तेरे शहर में तुम्हें ढूँढते रहते हैं हर प्रहर में कभी खिलते थे फूल प्यार के उजड़ी सी बगिया तेरे शहर में तुमने दामन छोड़ा मंझदार में... Hindi · कविता 2 359 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Nov 2019 · 1 min read गुरु तेगबहादुर जी हिन्द दी चादर बनया सी गुरु नवमेश गुरु तेगबहादुर दिलां विच रहन हमेश नौवें गुरु सिख धर्म दे सी बहुत ज्ञानी ज्ञानसागर नाल तारया जग बन ध्यानी चार पोते एक... Hindi · कविता 1 366 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Nov 2019 · 1 min read घर संसार घर होता है मंदिर प्यार का नीड़ है सपनों के संसार का सजा फूलों की फुलवारी सा महके फूल फूल क्यारी का प्रेम बंधन मे सबको बांधता रिश्तों को सूत्र... Hindi · कविता 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Nov 2019 · 1 min read मदिरा गुणगान जग में कैसा भी हो काम अच्छा हो या बुरा काम छोटा सा हो या बड़ा काम मदिरा करे काम बिन दाम जब कभी काम उलझ जाए मदिरा झट कारज... Hindi · कविता 380 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Nov 2019 · 1 min read आज मयखाने में रौनक आई है आज मयखाने में रौनक आई हैं शहर में बजी कहीं शहनाई है आँखों में मय नशा छाया है जैसे मय ही गम भूलाने की दवाई है कसमें,वादे ,ईरादे सब हुए... Hindi · कविता 222 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Nov 2019 · 1 min read अनुराग प्रेम प्यार मानवीय सरहदों पर जम गई है घनी बर्फ क्रोध, वैर-विरोध की लोभ और अमोह की प्यार में व्यापार की रिश्तों में टकराव की बेईमानी के प्रसार की झूठ-मूठ के प्रचार... Hindi · कविता 241 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Nov 2019 · 1 min read गमगीन हूँ मैं सजन बगैर जिया बेकरार सजन बगैर गमगीन हूँ मैं सजन बगैर जब से गए हैं वो कहीं दूर हाल बेहाल हम उन बगैर रूठा हैं वो किसी बात पर बात कौन बताए... Hindi · कविता 235 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Nov 2019 · 1 min read अंजान हूँ मैं अभी तक उसके ख्याल में सोचता हूँ मैं जिसको अक्सर ख्याल में अंजान हूँ मैं अभी तक उसके ख्याल में लाख कोशिशें की बयां हाल ए दिल का अब तक नाकाम,सोच जवाब मलाल में छाई... Hindi · कविता 509 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Nov 2019 · 1 min read तब से तुम्ही नूर ए नजर है तुमसे मिल गई जो नजर है तब से तुम्ही नूर ए नजर है आने लगे हो तुम ख्यालों में देखूँ मैं अब तुम्हें ख्वाबों में मेरे जीवन की तू ही... Hindi · कविता 602 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Nov 2019 · 1 min read नर्म लाल लहू से अधर भानु सी अंगीठी में तप रहे हैं अंगार सी गर्म सांसें उगल रहें हैं उसके नर्म लाल लहू से अधर व्याकुल हैं मिलने को मेरे अधर जो हैं अशांत,अतृप्त, झुलसे... Hindi · कविता 1 262 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Nov 2019 · 1 min read अब तो जाग उठो इंसान अब तो जाग उठो इंसान क्यों बन बैठे हो शैतान कहाँ फुर हुई इंसानियत तुम में घर है हैवानियत तुम्हारे अंदर हैं छिपे चोर मोह,लोभ,क्रोथ,चितचोर विकारों से तुम हो ग्रस्त... Hindi · कविता 1 254 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Nov 2019 · 1 min read सतगुरु नानक जग ते आया सतगुरु नानक जग ते आया सतगुरु जी बेड़ा पार लगाया बेड़ा पार लगाया सतगुरु जी सतगुरु जी बेड़ा पार लगाया दीन दुखिया लोकां दा वाली करदा सतगुरु जग रखवाली सतगुरु... Hindi · कविता 1 256 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Nov 2019 · 1 min read क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा दिती देश उतो वार ,अनमोल जिंद जान आजादी लई कर दिती जिन्दगानी कुर्बान माता साहिब कौर दा सी अखियाँ दा तारा पिता मंगल सिंह दा सी इकलौता सितारा जिला लुधियाने... Hindi · कविता 311 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Nov 2019 · 1 min read दिल जीते तन हार गए देखके मुझे वो झट से बोली तुम्हारी यहाँ की नहीं बोली बोलो कहाँ से तुम आए हो किसके यहाँ ,क्यों आए हो क्यों देख रहे हो यूँ ऐसे तुम जैसे... Hindi · कविता 1 243 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Nov 2019 · 1 min read माता सुन्दरी दे लाल दिते कौम उते सी वार, माता सुन्दरी ने लाल निकी जिन्द वडे साके किता लालां ने कमाल सरसा नदी किनारे,जुदा गुरू गोविंद दे दुलारे दोनों वडे साहिबजादे हो गए गुरूजी... Hindi · कविता 455 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Nov 2019 · 1 min read चाचा नेहरू बच्चों के नेहरु प्यारे चाचा लाड़ लड़ाते दुलारे चाचा बाल भाव में बह जाते थे बच्चों में बच्चे बन जाते थे जहाँ पर कहीं वो जाते थे देखकर रुक वहीं... Hindi · कविता 1 250 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Nov 2019 · 1 min read चिड़िया रानी चिड़िया रानी चिड़िया रानी लगती हो तुम बहुत सियानी रंग बिरंगे जो हैं पँख तुम्हारे दिल को भाते हैं खूब हमारे हर रोज सुबह तुम आती हो प्रेमभरा पैगाम तुम... Hindi · कविता 1 237 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Nov 2019 · 1 min read आँसुओं की जो बदली बनी आँसुओं की जो बदली बनी कुछ पल में ही बरसेगी घनी रोक रखें हैं दिल के जज्बात अब नैनों से बरसने की ठनी कब तक सहेंगे जुल्मोसितम सहने की हद... Hindi · कविता 412 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Nov 2019 · 1 min read धन धन बाबा गुरूनानक देव जी भैण नानकी दा वीर लाडला सारे जग दा है हरमन प्यारा सिक्ख पंथ दा स्तंभ बनया सिक्खी जग सरताज बनाया माता तृप्ता दी सी कुखों जमया पिता मेहता कालू लाड... Hindi · कविता 342 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Nov 2019 · 1 min read बसा तुम्ही में.हमारा जहान है जब से दिल हुआ ये जवान है बसा तुम्हीं में हमारा जहान है दिल बगिया जो थी सूनी सूनी अरमानों भरा अब गुलिस्तां है खालीपन महसूस जो थे करते खुशियों... Hindi · कविता 244 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Nov 2019 · 1 min read हारा अपने आप से हारा वह अपने आप से करता जीत का आडंबर रिश्ते नाते तोड़कर सब करता सभी का निरादर अहम अंहकार सब व्यर्थ सभी बुराइयों का है मूल दिल में चुभे तीखे... Hindi · कविता 208 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Nov 2019 · 1 min read चंद्रमा से सीख सितारों भरी घनी श्यामल एकांत रात को ऊंचे गगन में सुंदर,शालीन, शांति दूत सा मखमली चाँदी सी चाँदनी बखेरती प्रकृति की दुर्लभ अनमोल संरचना पूर्णिमा का पूर्ण गोल गोल बेजोड़... Hindi · कविता 286 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Nov 2019 · 1 min read अंग्रेजी व्याकरण A B C D E F G H There are Letters Letters are combined Give meaning,sense Knowns as a Word Words use in sequence With meaningful sense Make a Sentence... Hindi · कविता 627 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Nov 2019 · 1 min read मैं और मेरा दिल मैं और मेरा दिल हम हैं बहुत नाजुक संभल,कदम रखते हैं कहीं कभी ना जाएं तिड़क नाजुक शीशे समान गिर कर बीखर जाएंगे टुकड़ों में नहीं होंगें समेकित पुनः विस्थापित... Hindi · कविता 198 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Nov 2019 · 1 min read दिल के हो पार चली प्रेम जब बयार चली दिल के हो पार चली देखता ही रह गया मैं सीना कर चीर चली नजर से नजर मिली नजर ना टिक सकी नेस्तनाबूद कर दिया कायनात... Hindi · कविता 861 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Nov 2019 · 1 min read मेरे देश का विकास देखो.घोड़ी है चढ रहा मेरे देश का विकास देखो घोड़ी है चढ रहा आरक्षी सुरक्षा,अधिवक्ता है न्याय मांग रहा हाल बेहाल क्या होगा देश का बद बदत्तर अन्नदाता जिस देश का है भूखा मर... Hindi · कविता 234 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Nov 2019 · 1 min read सुलगे कहीं धुँआ तो जलती है आग सुलगे कहीं धुँआ तो जलती हैं आग समुद्र के खारे पानी मे बनती है झाग कौन सुरक्षित है आज नवयुग दौर में अपने ही डंक मारते बन विशैले नाग मिलते... Hindi · दोहा 265 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Nov 2019 · 1 min read रिमझिम रिमझिम है बारिश रिमझिम रिमझिम है बारिश टपक रहा बादलों से है पानी तन बदन में रहे अग्न लगाए पास नहीं दूर है दिलबर जानी छोटी छोटी ठंडी गिरती बूंदें दिल अंदर चुभन... Hindi · कविता 677 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2019 · 1 min read छाया यहाँ तम का कहर छाया यहाँ तम का कहर उजियारे है की आस नहीं आज बहुत गमगीन हूँ खुशी का आभास नहीं बहे आँखों से अश्रुधारा मुस्कराहट का वास नहीं यह दुनिया है बैगानों... Hindi · कविता 225 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2019 · 1 min read बढ रही है दूरियाँ नजदीकियाँँ बन गई दूरियाँँ बढ रहीं हैं यहाँ वहाँ दूरियाँ चेहरे दिखते नहीं रंगीन हैं भाव रत नहीं भावहीन हैं नित बढ रहीं हैं परेशानियाँ बढ रहीं हैं यहाँ वहाँ... Hindi · कविता 223 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2019 · 1 min read चल अकेला चल अकेला चल अकेला तू चल अकेला जीवन पथ पर तू बढ अकेला नहीं कोई तुम्हारे संग साथ है ईश का तुम्हारे सिर पर हाथ है आएंगी असंख्य बाधाएं पथ पर पर... Hindi · कविता 459 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Nov 2019 · 1 min read प्रदूषण और.स्मोग प्रदूषण और स्मोग का छाया कहर प्रदूषित है आज देश का गाँव शहर लोगों ने दीवाली पर चलाए पटाखे प्रदूषित पर्यावरण प्रदूषक थे पटाखे धान की जलती पराली, उठता धूँआ... Hindi · कविता 524 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Nov 2019 · 1 min read मधुरिम पल.बीत गए पंछी सभी हैं छूट गए नीड़ सभी हैं टूट गए कलरव था जो सुर में मधुरिम पल बीत गए घर अब मकान हो गए रिश्ते सब फ़ना हो गए मिलते... Hindi · कविता 218 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Nov 2019 · 1 min read हँसता तू क्यों है बंदे हँसता तू क्यों है बन्दे करके तू कारज मन्दे पछताना पड़ेगा बन्दे होगा तू अकेला बन्दे करता क्यों मेरा मेरा यहाँ कुछ नहीं है तेरा जगत एक रैन बसेरा दिल... Hindi · कविता 356 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Nov 2019 · 1 min read कलयुगी प्यार देखो कलयुगी प्रेम प्यार बन गया है प्रेम व्यापार प्रतीति तनिक रही नहीं जग में प्रीत हुई लाचार धोखा तो पग पग पर है कपटी छाया जग पर हैं नजरों... Hindi · कविता 341 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Nov 2019 · 1 min read बहकते कदम अंगुलियां थम गई जब देखी एक प्रोफाइल हो गई धुँधली याद फिर ताजा देख उसका सालों बाद छायाचित्र में सुंदर मनोरम हसीन मुखड़ा जो था कायनात पर चाँद का टुकड़ा... Hindi · कविता 584 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Nov 2019 · 1 min read हरियाणा हरियाणे की सरजमीं तुझको सलाम है विश्व पटल परिदृश्य में चमकता नाम है पंजाब जन्म भूमि जननी से जन्मा था 1 नवंबर 1966 को पूर्ण राज्य बना था हिंदधरा में... Hindi · कविता 202 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Nov 2019 · 1 min read हरियाणा हरियाणे की सरजमीं तुझको सलाम है विश्व पटल परिदृश्य में चमकता नाम है पंजाब जन्म भूमि जननी से जन्मा था 1 नवंबर 1966 को पूर्ण राज्य बना था हिंदधरा में... Hindi · कविता 561 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Oct 2019 · 1 min read दर्पण सब जानता है यह जो दर्पण है ये सब जानता है असली नकली को पहचानता है हद बेहद जो निखरता संवरता है दर्पण पूर्णता असलियत जानता है अपनों के चेहरे धूँधले हो जाते... Hindi · दोहा 262 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Oct 2019 · 1 min read हिंदी व्याकरण वर्णों से ही बनते हैं शब्द शब्द बिन जग हैं निशब्द शब्दों से बनते है वाक्य वाद संवाद कराते वाक्य व्यक्ति, वस्तु और स्थान संज्ञा का करवाते हैं ज्ञान संज्ञा... Hindi · कविता 1 325 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Oct 2019 · 1 min read काल Tenseजनक के होते हैं तीन बेटे समय भाग का बोध कराते हैं बेटे Past,Present,Future वो बेटे काल को तीन भागों में बाँटते बेटे समय बीता हाथ कभी नहीं आए अंग्रेजी... Hindi · कविता 233 Share Previous Page 44 Next