Bhupendra Rawat 352 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read बस्ती जलाने तुम ही आगे आए थे बस्ती जलाने तुम ही आगे आए थे इंसानियत को मिटाने तुम ही आगे आए थे तुमने ही लूट लिया सब बस्ती को शहर बसाने तुम ही आगे आए थे भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 1 177 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read हिंसा और परिणाम हिंसा शब्द देखने में जितना छोटा सा लगता है,उसका परिणाम देखने में उतना ही बड़ा और घातक शायद कल तक जो लोग हिंसा को ही सब कुछ व सर्वप्रथम समझते... Hindi · लेख 2 322 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read तुम्हें अपने ऊपर गुमाँ बहोत है तुम्हारे जैसे इंसा बहोत है तुम्हें अपने ऊपर गुमाँ बहोत है तुम्हारे जैसे इंसा बहोत है कल तक जिसे इंसा होने का फक्र था आज उस बस्ती में शैतान बहोत है गैरों की बस्ती में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 311 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read ज़िन्दगी की दौड़ में जिम्मेदारियों के बोझ तले चलता हूँ रोज छोटी सी आस लिए निकल पड़ता हूँ ज़िन्दगी की दौड़ में कुछ अपने हैं और कुछ पराए इस भीड़ भरी दुनिया में खुद... Hindi · कविता 1 1 574 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read हम तो ठहरे मुसाफिर हम तो चले अब भैया हम तो ठहरे मुसाफिर बहती जीवन की धारा के हम है,छोटे से नाविक यहीं जीवन की रंगमंच स्थली हर भय से पहले से परिचित अनंत... Hindi · कविता 1 233 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read लिबास ओढ़कर नया साल आ गया लिबास ओढ़कर नया साल आ गया पुराना बिता नही,ज़ेहन में सवाल आ गया मुकर गए किए वादों से अपने फिर नए वादों का ज़ेहन में ख्याल आ गया। भूपेंद्र रावत... Hindi · मुक्तक 1 279 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read कोई झूठे वादें नही करता कोई झूठे वादें नही करता चाँद तारे तोड़ लाने की बात नही करता आसमाँ की सुंदरता बढाते है जुगनु मैं तुम बिन ज़ीने की बात नही करता फ़रियाद जब भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 180 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read मैं जुगनुओं को पनाह देता हूँ तुम्हारी गुफ्तगू में मेरा कोई जिक्र नही है तब जाना कि कोई फिक्र नही है ये मौसम ही खुदाई का तुमसें कोई रुसवाई नही है यही सोचकर मैंने वक़्त गुज़ारा... Hindi · कविता 1 292 Share Bhupendra Rawat 30 May 2019 · 1 min read तुझे पाकर खुद को भूल गया हूँ मैं देख अब तुझ सा हो गया हूँ मैं तुझे पाकर खुद को भूल गया हूँ मैं देख अब तुझ सा हो गया हूँ मैं कल तक बहता पानी था नदी का तुझमे समाकर समुंद्र हो गया हूँ मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 379 Share Bhupendra Rawat 21 May 2018 · 1 min read मशरूफ है वो अब उन्हें मशरूफ रहने दो मशरूफ है वो अब उन्हें मशरूफ रहने दो चकाचौंध के इस जहाँ में उनको चंद वक़्त रहने दो आएंगे पंछी घर अपने ही सूरज को जरा ढल लेने दो ज़दा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 297 Share Bhupendra Rawat 21 May 2018 · 1 min read वो अब सताने लगें है सपनो में भी आने लगे है वो अब सताने लगें है सपनो में भी आने लगे है वादें तो आसमाँ से चाँद तारे तोड़ लाने के थे झूठा अब वो हमें बताने लगे है जब से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 186 Share Bhupendra Rawat 21 May 2018 · 1 min read दर्द था जख्म का पता भी नहीं दर्द था जख्म का पता भी नहीं अपनों के जख्म का निशाँ ही नहीं करहातेे रहे रात भर दर्द में मरहम किसी ने दिया ही नही हम तो अपनों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 477 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read तुझे देखने को चाह में तुझे देखने को चाह में हां आज भी मैं कभी खुद की राह नही बदलता बदलता हूँ मैं खुद को तेरे आने जाने की आस लिए मैं अपनी राह नही... Hindi · कविता 1 232 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read जब देश के रक्षक खुद भक्षक बन जाते है जब देश के रक्षक खुद भक्षक बन जाते है कुर्सी में बैठे लोग मूक दर्शक बन जाते है देखो संसद भी गूंज जाती है अपने स्वार्थ के नारों से आरोप... Hindi · कविता 1 350 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read ना ही था वो ना ही कोई मैं था ना ही था वो ना ही कोई मैं था सुबह उठा तो यहाँ की फ़िज़ाओं में ज़हर था राजनीती हिंदू, मुस्लिम,सिख,ईसाई में व्यस्त थी राह के चार मुसाफ़िर की मंज़िल... Hindi · कविता 1 199 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read एक सुंदर उपहार होती है बेटियां एक सुंदर उपहार होती है बेटियां पूरा संसार होती है बेटियां अँधेरी रात में जगमगाती रोशनी का साथ होती है बेटियां स्वयं की नही संसार की लाज़ होती है बेटियां... Hindi · कविता 1 320 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त सम्मान मुझे भी दिया जाता मुझ अबला नारी,लड़की की इज़्ज़त का यूं मूर्त के आगे ना तार तार किया जाता मैं भी होती... Hindi · कविता 1 242 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read क्यों तुम दूर चली गई देकर दर्द ज़माने का क्यों तुम दूर चली गई अपना कहने वाली थी तुम क्यों फिर रूठ के तुम चली गई अपने यादों की बन्दिश में मुझे क्यों छोड़ के... Hindi · कविता 1 230 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read सदा तुम यूं ही मुस्कुराते रहना सदा तुम यूं ही मुस्कुराते रहना काम है दुनिया का हर पल जलाते रहना आए पल कैसा भी ज़िन्दगी में हर मुश्किल क्षण को हँसी से ठुकराते रहना दोस्त से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 495 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read हां भारत देश बदल रहा है नेताओं के वादों में लोगों की बातों में भारत बदल रहा है सच झूठ में बदल रहा है हर तरफ झूठ ही झूठ चल रहा है डिग्री पाकर भी अनपढ़... Hindi · कविता 1 340 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read कविता बनाई नहीं जाती कविता बनाई नहीं जाती स्वयं ही बन जाती है अंदरूनी भावों को कलम कोरे कागज में उकेरे जाती है जब भाव मुख से बयाँ नही होते लेखनी के द्वारा अपना... Hindi · कविता 1 370 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read गुमसुम रहने की आदत हो गयी है गुमसुम रहने की आदत हो गयी है हर दर्द को सहने की आदत हो गयी है दर्द देना ही अब दुनिया का दस्तूर है अब दर्द में ही जीने की... Hindi · कविता 1 299 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read रहने दे तू मेरे पास तो है रहने दे तू मेरे पास तो है हक़ीक़त में नही बीते हुए पल की यादों में मेरे साथ तो है तुझसे जुड़े आज भी ज़िंदा मेरे ज़हन में दबे हुए... Hindi · कविता 1 290 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read आओ एक दूजे से कुछ सलाह मशविरा कर लेते है आओ एक दूजे से कुछ सलाह मशविरा कर लेते है तुम हमारे, हम तुम्हारे गुनाहों को ढक लेते है एक को दो और दो को चार पढ़ लेते है आवाम... Hindi · कविता 1 277 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read माँ मेरे साथ मेरा साया बना फिरती है मेरी माँ मेरे साथ मेरा साया बना फिरती है, दूर होता हूँ माँ से फिर भी अपना हाथ आशीर्वाद सदा मेरे पर बनाए रखती है आँखों से ओझल जो हो... Hindi · कविता 1 436 Share Bhupendra Rawat 4 Jan 2018 · 1 min read तेरी यादे मुझे तेरे से रिहा होने नहीं देती तेरी यादे मुझे तेरे से रिहा होने नहीं देती लिपटी रहती है तू मुझसे दूर होने नहीं देती मेरे दिल के पिंजरे में कैद तेरा अक्स है मेरी रूह भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 425 Share Bhupendra Rawat 30 Dec 2017 · 1 min read मिलन तो दो रूह का होता है क्यों लोग जिस्म का खेल समझते है मिलन तो दो रूह का होता है क्यों लोग जिस्म का खेल समझते है अपनी जिस्म की प्यास बुझाने के लिए क्यों नदी का बहता आब समझते है चाँद तारे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 283 Share Bhupendra Rawat 30 Dec 2017 · 1 min read कितनी अजीब कहानी है प्यार उनका अब मेरे लिए निशानी है कितनी अजीब कहानी है प्यार उनका अब मेरे लिए निशानी है बिक रही है निशानी सरे बाज़ार में आज कौन यहाँ मीरा जैसी दीवानी है लूट लिया अपनों ने ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 325 Share Bhupendra Rawat 30 Dec 2017 · 1 min read अब उस बेवफ़ा से दिल क्या लगाना अब उस बेवफ़ा से दिल क्या लगाना जो ना हो अपना उसे अपना क्या बताना अब वफाएं तो बीते जमाने की बात है आज अपनों को भी अपना क्या बताना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 441 Share Bhupendra Rawat 28 Dec 2017 · 1 min read बस माँ समझ पाती है बस माँ समझ पाती है मेरे भीतर दबे अरमानों को बस माँ समझ पाती है होता हूँ माँ से दूर मुझे हिचकी बहुत आती है अपने बच्चों को परेशान देख... Hindi · कविता 1 1 466 Share Bhupendra Rawat 19 Dec 2017 · 1 min read अब वो पुरानी किताब मांगता है अब वो पुरानी किताब मांगता है हर बात का वो हिसाब मांगता है दफ़न है किस्से सारे किताब में वो कोरे पन्ने बेहिसाब मांगता है नहीं रुकती कलम जज़बातों को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 240 Share Bhupendra Rawat 19 Dec 2017 · 1 min read तन रही है बंदूके नेताओ की बोली पर चढ़ रही है चादर होली की रंगोली पर तन रही है बंदूके नेताओ की बोली पर दफ़न है किस्से सारे अमर जवानों के भारत माता रो रही है देखकर कटे... Hindi · कविता 1 299 Share Bhupendra Rawat 19 Dec 2017 · 1 min read अब दवाओं में भी वो बात नही अब दवाओं में भी वो बात नही अब जख़्म का कोई इलाज़ नही खुली किताब थी ज़िन्दगी कल तक बन्द किताब में अब कोई राज़ नहीं बेरंग है ज़िन्दगी तेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 482 Share Bhupendra Rawat 19 Dec 2017 · 1 min read आईने ने भी सच दिखाना छोड़ दिया मुक्तक.......... आईने ने भी सच दिखाना छोड़ दिया सूरत को मेरी मेरा बताना छोड़ दिया अब करे विश्वास किस पर इस दुनिया में ज़ालिम दुनिया ने अपना बताना छोड़ दिया... Hindi · मुक्तक 1 354 Share Bhupendra Rawat 30 Nov 2017 · 1 min read लब मेरे अब मुस्कुराने लगे है नाम अब तेरा गुनगुनाने लगे है लब मेरे अब मुस्कुराने लगे है नाम अब तेरा गुनगुनाने लगे है तू ही वज़ह है अब जीने की सपने भी मुझे तेरे आने लगे है रूह में बसकर अपना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 327 Share Bhupendra Rawat 30 Nov 2017 · 1 min read कांटो ने जीने का सलीखा नही सीखा मुक्तक.......... कांटो ने जीने का सलीखा नही सीखा आँचल में फूलों के रहकर महकना नही सीखा फितरत ही है जख़्म देना कांटो की फूलों की तरह फितरत से परे रहना... Hindi · मुक्तक 1 269 Share Bhupendra Rawat 28 Nov 2017 · 1 min read गम की आंधियो से बाहार निकल आया हूँ गम की आंधियो से बाहार निकल आया हूँ तभी तो साहिल के थपेड़ों का हो पाया हूँ ज़िन्दगी तलाशता रहा मैं तुझे आज उस तलाश का हीरा बन पाया हूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 403 Share Bhupendra Rawat 28 Nov 2017 · 1 min read बिन माँ इस सृष्टि का वजूद नही नौ माह कोख में रख पाला था माँ ने गिर कर राह में मुझे सम्भाला था माँ ने नही थी आरज़ू कुछ भी माँ की आँखों का तारा मुझे अपनी... Hindi · कविता 1 323 Share Bhupendra Rawat 28 Nov 2017 · 1 min read पढ़ते सब शौक से है ग़ालिब को मर कर भी जिंदा दास्तान बन बैठे है शब्द भी गुलाम बन बैठे है जैसे तेरे मेहमान बन बैठे है दिल में दफ़न कितने अरमान है अब हम शमशान बन बैठे है दुनिया के बाजारों में खुला समान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 212 Share Bhupendra Rawat 24 Nov 2017 · 1 min read खामोशी एक ही सवाल पूछती है खामोशी एक ही सवाल पूछती है तन्हाई में क्यों तन्हा छोडती है बसी है जब ख़्वाबों में मेरे दूर होकर क्यों हाल पूछती है जिंदा लाश है अब ये जिस्त... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 458 Share Bhupendra Rawat 24 Nov 2017 · 1 min read मत कुचलो दबे अरमानो को मत कुचलो दबे अरमानो को उड़ जाने दो आसमा में परवानो को दूर नहीं है मंजिल कदमों से दिखा लेने दो हुनर उन दिवानो को मंजिल आज नही तो,कल मिल... Hindi · कविता 1 268 Share Bhupendra Rawat 23 Nov 2017 · 1 min read ये अपना ज़माना ना था दर्द उसे दिखाना नहीं था ये अपना ज़माना ना था दर्द उसे दिखाना नहीं था चल दिए साहिल की मस्ती में उनको साथ निभाना नही था घुट घुट कर जी रहे है उनकी यादों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 494 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read तेरे इश्क़ में गुमनाम हो गया मुक्तक ..... तेरे इश्क़ में गुमनाम हो गया मैं तो अब बदनाम हो गया तूने ही नही चाहा दिल से मैं तो अब तेरे नाम हो गया Hindi · मुक्तक 1 298 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read तुम मेरी जान लेकर क्यों ऐसा करती हो मुक्तक.......... तुम मेरी जान लेकर क्यों ऐसा करती हो मेरी हर बात पर तुम क्यों अकड़ती हो तुम आदत बन गयी ,तुमको ये मालूम है भला आदत बन तुम क्यों... Hindi · मुक्तक 1 628 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read कभी रोना तो कभी मुस्कुराना भी पड़ता है मुक्तक.............. कभी रोना तो कभी मुस्कुराना भी पड़ता है ज़िन्दगी में कोई पल ऐसे बिताना भी पड़ता है कट जाते है ये पल भी समय के साथ कभी दूसरों की... Hindi · मुक्तक 1 402 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read खुश रहे वो हर पल ज़िन्दगी में खुश रहे वो हर पल ज़िन्दगी में लब मेरे आज भी उसे दुआ देते है गम हो उसको जिंदगी में कोई भी मोती मेरी आँखों में सजा देते है दर्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 228 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read नहीं चाहिए वो दिन वो राते जिसमे तेरा एहसास ना हो नहीं चाहिए वो दिन वो राते जिसमे तेरा एहसास ना हो नहीं चाहिए वो दिन और राते जिसमे तेरी बात ना हो नहीं चाहिए ज़िंदगी ऐसी जिसमे तेरा साथ ना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 376 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read अब खुद से अनजान बन बैठा हूँ मुक्तक........... अब खुद से अनजान बन बैठा हूँ अब उसकी पहचान बन बैठा हूँ नहीं है दिल मेरा, मेरा मेरे वश में अब उसका मेहमान बन बैठा हूँ भूपेंद्र रावत... Hindi · मुक्तक 1 232 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read तुम अब जलाते बहुत हो तुम अब जलाते बहुत हो पास आकर सताते बहुत हो दिल तो जोड़ा नही तुमने कभी लेकिन दिल तोड़ जाते बहुत हो दिल है नदां मेरा बेचारा इस पर सितम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 471 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read बस इतना की अब मन नही है बस इतना की अब मन नही है अब पहले जैसा जीवन नही है बह रही है कश्ती मंज़िल पाने को अब मंज़िल का कोई जिक्र नही है भटक गयी कश्ती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 472 Share Previous Page 4 Next