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8 Jan 2020 · 1 min read

ज़िन्दगी की दौड़ में

जिम्मेदारियों के बोझ
तले चलता हूँ
रोज छोटी सी आस लिए
निकल पड़ता हूँ
ज़िन्दगी की दौड़ में
कुछ अपने हैं और कुछ पराए
इस भीड़ भरी दुनिया में
खुद को शामिल किए चलता हूँ ।
हर रोज एक छोटी सी
आस लिए आगे बढ़ता हूँ
कशमकश भरी ज़िन्दगी में
गिरता हूँ,गिरकर सम्भलता हूँ
हाँ स्वयं को बदलता हूँ
समय के अनुसार ढलता हूँ
जीवन की बहती धारा का नाविक
तूफानों से लड़ मंज़िल तक पहुंचता हूँ
रोज छोटी सी आस लिए निकल पड़ता हूँ ।

भूपेंद्र रावत
1।01।2020

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 572 Views
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