Mamta Singh Devaa Tag: कविता 276 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read केरल की कुदरती आपदा पर अपने जाँबाज़ सैनिकों को समर्पित कुदरत जितना उत्पात दिखाओ अपनी आदत से बाज़ ना आओ , उपर अगर भगवान खड़े हैं नीचे इंसानी अवतार अड़े हैं , मात नही खायेगें हम हार नही जायेगें हम... Hindi · कविता 1 2 441 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read अनलॉक - 1 , " अज्ञानता " प्रभु के द्वार खुलेंगे अब इस आसरे बैठे है सब , कैसी ये अज्ञानता है इंसान प्रभु को ही नही जानता है , जो सर्वत्र विद्धमान है उसी से हम... Hindi · कविता 2 4 233 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read कल्पनाओं का रूप मैं जब अपनी इच्छाओं - कल्पनाओं को साकार करती हूँ तब उन्हें मिट्टी में सान कर चक्के पर डाल कर अलग - अलग रूपों में आकार देती हूँ , मेरा... Hindi · कविता 2 167 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read तिरंगा ?? ये जो तिरंगा है बड़ा ये सतरंगा है , दिखता है ये तीन रंग में लेकिन है ये हर रंग में , प्यार के रंग से देखो तो रंग जाता... Hindi · कविता 2 219 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read कान्हा कान्हा तुम हर साल पुराने रूप में जन्म लेते हो अपना दसवाँ अवतार लेना हर बार भूल जाते हो ? यहाँ इतनी त्रासदी और पीड़ा है सबके अंदर नफरत का... Hindi · कविता 2 218 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read भगवान ये सब हमें जिसने सिखाया है उन सब पर भगवान की ही माया है , उनके अस्तित्व को अस्वीकारना बड़ा कठिन है मनुष्य योनी का जन्म ही बड़ा जटिल है... Hindi · कविता 2 228 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read डर कई दिनों से अपनी शकल नही देखी है आईने में , डर लगता है फिर कोई ना बोल दे अपनी शकल देखी है आईने में ? स्वरचित एवं मौलिक ममता... Hindi · कविता 2 208 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read " धागा मन्नतों का " बचपन से देखते बड़े हुये इन मन्नतों के धागों को इन पेड़ों पर गहरी आस्थाओं के साथ बंधे हुये , एक - एक धागा बड़े जतन से बांधा है सबने... Hindi · कविता 1 2 335 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read विश्व पृथ्वी दिवस " आज की धरा " आज धरा शांत है ह्रदय उद्वेलित अशांत है , इतनी ज्यादा खामोशी ज़रा नही सरगोशी , ये शांत निशब्द भोर गुंजायमान नही अब शोर ,... Hindi · कविता 2 2 275 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 2 min read एक दिन का महिला दिवस रोज़ मनने वाला महिला दिवस एक दिन ख़ास में क्या ख़ास कर जाता है अंतर समझिये...... रोज़ पाने वाला प्यार - सम्मान एक दिन में समेट कर उपहार में दिया... Hindi · कविता 2 5 394 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read इंतज़ार होली का मन मेरा भी करता है की मैं भी पहले की तरह होली खेलूँ रंगों से तर - ब - तर हो अपने सारे दुख भूलूँ , होली वैसी जैसी माँ... Hindi · कविता 1 2 430 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read " वो तो सूरज है " भूलो मत की वो तो सूरज है तुम कितना भी ढक लो लाख कोशिशें कर लो उसकी चमक फीकी करने की उसके तेज को रोकने की सारी कोशिशें नाक़ाम हो... Hindi · कविता 2 2 370 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read मेरी बेटी का सोलहवाँ बसंत अभी देखे हैं तुमने सोलह बसंत आगे आँसमा है अनंत ना हिचक पंख पूरे फैला तेरी उड़ान का ना हो कोई अंत , सारा जहाँ है तुम्हारा कदम बढ़ा ठीक... Hindi · कविता 1 2 172 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read क्या करूँ मैं ? दूसरों ने कहा खूबसूरत हूँ अपनों ने कहा बदसूरत हूँ किसकी सूनु मैं ? दूसरों ने आत्मसम्मान बढ़ाया अपनों ने आत्मविश्वास गिराया क्या करूँ मैं ? दुसरे सराहते रहे अपने... Hindi · कविता 1 4 217 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read अवसाद एक पीड़ा सुना है.... अवसाद एक रोग है कभी खुद का कभी दूसरों का भोग है , मुझे लगता है.... ये रोग नही पीड़ा है एक अनजाना सा अजीब सा कीड़ा है... Hindi · कविता 1 4 298 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read " बेर* " त्रेता युग में शबरी ने चुन - चुन कर एक - एक " बेर* " चख कर प्रभु के चरणों में रख कर प्यार से सराबोर हो निश्छल हो कर... Hindi · कविता 1 188 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read अंत से प्रारंभ की ओर " अटल जी " को सशरीर आखिरी प्रणाम ये पंचतत्व में मिश्रित पंचामृत है सबको चखना है ये जो अमृत है , इस शाश्वत को तुम अस्वीकार नही सकते इस सत्य से तुम भाग नही सकते , सबको... Hindi · कविता 1 2 163 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read मेरी बेटी “ बेटी “शब्द सुनते ही कानों में मधुर घंटियाँ बजती , सारे जहाँ की खुशियाँ नस – नस में उतरती , मेरी बेटी जब मेरे आंसूओं को अपने नन्हे –... Hindi · कविता 2 317 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read कृष्ण तुम अंनत हो कृष्ण तुम खरे हो सबके हृदय में अंदर तक भरे हो , सारे अवतारों में अनूठे अवतार हो सारी लीलाओं का तुम सार हो , सारी विधियों का विधान हो... Hindi · कविता 2 347 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read मेरी नज़र में कृष्ण हर तरफ से टेढ़े कृष्ण सर टेढ़ा मुकुट टेढ़ा बाँसुरी टेढ़ी कमर टेढ़ी पाँव टेढ़ा माखन के लिए गगरी टेढ़ी पनघट की डगरी टेढ़ी राधा के लिए नजरें टेढ़ी पांडवों... Hindi · कविता 2 375 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read कलियुग में शान्ति स्थापना कितने बुद्ध जायेंगे परिवारों को छोड़ कर ? कितने राम लेंगे बनवास रावणों के संहार को ? कितनी महाभारत लड़ी जायेगी दुर्योधन के अहंकार पे ? कितने कृष्ण जनम लेगें... Hindi · कविता 1 2 225 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read "प्रदूषण सोच का" नही...नही...नही... तुम खिड़कियाँ मत खोलना बन्द ही रखना नई खिड़कियाँ खोलना इतना आसान नही है पुरखो ने बड़े जतन से बंद की हैं तुम्हारी हिफाज़त के लिए अगर तुमने बिना... Hindi · कविता 1 2 376 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read जीवन के अनुभव 1 - एकदम नही होने से थोड़ा होना ज्यादा अच्छा है पूरा खोने से तो थोड़ा मिलना ज्यादा सच्चा है , 2 - एक जज़्बात काफी है एहसास दिलाने के... Hindi · कविता 247 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read जज़्बा विरोधियों का झुंड लगातार दबोचने की ताक में आस लगाये बैठा , फिर भी मैं आराम से हँसती हुई गुज़र जाती हूँ , तब सब चौकते हैं और एक दूसरे... Hindi · कविता 1 2 224 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read भारतीय सेना को सलाम ग़ुरूर हो तुम.... हमारी निंदों के बेखौफ होने का, हमारे मान को सम्मान के साथ बढ़ाने का, हमारे सरों को शान से उठाने का, हमारी खुशियों को चार चाँद लगाने... Hindi · कविता 2 4 593 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read " देश की तरफ से रानी लक्ष्मी बाई को मेरी कलम से गर्वान्वित श्रधांजलि " आज के ही दिन ( 18 जून 1858 ) शहीद विरांगना रानी लक्ष्मी बाई वीरगति को प्राप्त हुई थीं ऐसे महान व्यक्तित्व को मेरा कोटि कोटि नमन ?? तूने जो... Hindi · कविता 2 443 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " बाबू ( पिता ) " " पिता "...... जिसके दम पर हमने जी भर के मनमानी की बेहिसाब शैतानी की जिसने हमें सर पर चढ़ाया और हमने सर पर चढ़ कर ये दिखाया कि देखो... Hindi · कविता 5 4 513 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " श्रधेय अटल जी " मेरी लेखनी से " श्रधेय अटल जी " के लिए...??? " सूरज को दीया दिखा सकूँ ऐसे नही हम हैं , आपको अपनी लेखनी में ढालूँ मेरी लेखनी में कहाँ... Hindi · कविता 3 4 431 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read इंतज़ार... वृद्धा आश्रम की माँओं का हमने बड़े जतन से प्रेम और ममत्व से तुम्हारी नज़रें उतार कर अपनी पलकों पर बिठा कर रखा तुम्हें संभाल कर , तुम्हारे गिरने से पहले खुद ही चीख उठते... Hindi · कविता 4 4 415 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read युग का अंतर कृष्ण अगर कलियुग के मित्र होते तो कमी सुदामा में भी निकालते , कहते सुदामा का पुत्र उससे बेहतर है सुदामा उससे कमतर है , पुत्र तो जो है सब... Hindi · कविता 4 2 241 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " पति सीता के " हे श्री राम ! आप जन - जन के लिए ईश्वर का अवतार बने परन्तु सीता के लिए ईश्वर से सिर्फ पति बने , कहते हैं पति परमेश्वर होता है... Hindi · कविता 3 4 561 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read दिल्ली दंगा आओ सब मिल कर एक दूसरे को चिरते हैं देखते हैं कौन कितना दरिंदा हो सकता है कौन किसको कितना नोच सकता है , जो ज़्यादा वहशी होगा वो विजयी... Hindi · कविता 1 2 442 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read थोड़ा अंदर का सच गृहिणियों का ये गृहिणियाँ थोड़ी नही पूरी पागल सी होती हैं ये रोज़ अपनों को रच - रच कर प्यार से खिलाती हैं घर का सारा हिसाब- किताब संभालती हैं पर सामने... Hindi · कविता 4 2 635 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read पलायन करते मजदूर का दर्द और जज़्बा...... " हमारा बड़प्पन " हमने.... बहुत मेहनत कर - कर के अपनी कमर तोड़ कर कुछ कपड़े थोड़े से बर्तन ज़रा सी रसद रखी थी जोड़ कर , कुछ ही पल में.... सब छोड़... Hindi · कविता 1 2 194 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read न्यूज चैनल कहीं अखाड़ा खुदता है तो कहीं दंगल लड़ी जाती है रात नौ बजे सारे प्राईम टाईम के कुरूक्षेत्र पर यही ललकार लगाई जाती है , कि मुद्दा गरम है और... Hindi · कविता 2 4 184 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read लॉकडाउन कोरोना के विरूद्ध लड़ाई है इलाज दूरी और सफ़ाई है , झूठा अहम मत रखो थोड़ा काम करने का दम रखो , बस कामवाली आ जाये भले कोरोना फैला जाये... Hindi · कविता 1 2 359 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read अधूरेपन की संतुष्टि ज़रूरी है प्रेम में वियोग के क्षण ? क्या इसके बिना प्रेम पूर्ण नही ? ऐसा है तो नही चाहिए सम्पूर्णता इस पूर्णता से रूष्ट हैं हम संयोग भरे अधूरेपन... Hindi · कविता 1 2 301 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " दोस्त " तुम्हारी दोस्ती मुझमे दम भारती उम्मीदों की कमी कभी नहीं करती विषम परिस्थितियों में जब युद्ध के लिए टूटे रथ को हाँक लेती हूँ इस विश्वास से कि मेरे रथ... Hindi · कविता 1 4 221 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " भरोसा " दोनों में इतना विश्वास तो विश्वास ज़रूरी कि बिना बोले बिना देखे सब दे सुनाई और दिखाई , जिससे अंधेरे में चीखे़ बिना और बिना बजाए ताली डर से बढ़ा... Hindi · कविता 1 2 212 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read “ मै " अपनों के लिये मरती – करती – सहती लेकिन कुछ नहीं “ मैं “ कहीं नहीं “ मैं “ मरती हुई अच्छी “ मैं “ करती हुई अच्छी “ मैं... Hindi · कविता 2 6 396 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " राजनीतिक परिवर्तन " लोग घड़ी - दर - घड़ी शब्दों का घृणित वमन करते , इसी वातावरण में पलते जी रहे हैं दिन - प्रतिदिन काटते , समयानुसार अपना आत्म - सम्मान ताक... Hindi · कविता 1 4 331 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read ज़िन्दगी का सार सिर्फ चलती हुई साँस में छिपा है हर अर्थ अन्यथा सब बे - अर्थ । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 14/07/92 ) Hindi · कविता 1 2 230 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read " वाह बनारस...वाह वाह बनारस " साधुओं के " ऊँ " से रमता है बनारस दशांगों के धुएं से महकता है बनारस मंदिरों की घंटियों से गूँजता है बनारस हर हर महादेव से उठता है बनारस... Hindi · कविता 2 4 492 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " ऐ वतन " वो जुनून की हद का इश्क हो वो सुकून की हद का इश्क हो अगर ये ना हो सके तो फिर माफ कर किसी और से इस कदर इश्क ना... Hindi · कविता 1 2 431 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " हिसाब " आधा वक्त भूत को याद करके वर्तमान से भाग के भविष्य में सब पाने की कल्पना में बर्बाद करते , और बचे हुए थोड़े से वक्त में ज्यादा खोने कम... Hindi · कविता 1 6 330 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " समझ " इच्छा क्या है ? जो मैं चाहूँ वो पाऊँ ये ? या जो सब चाहें वो पाएँ ये ? दोनो का अन्तर जो जाने वही जान गया ज़िन्दगी के माने... Hindi · कविता 1 2 192 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " शरद पूर्णिमा " विश्वास है आज कृष्ण आयेगें ना गोपाला ना कान्हा ना माखनचोर , सब बांधाओं को तोड़ सबसे बाँध ह्रदय की डोर , वृन्दावन के वन में गोपियों के मन में... Hindi · कविता 1 2 197 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " ये मैं हूँ " निश्चल बहती नदी को अपनी मजबूरियों , लाचारियों और कुंठाओं के बाँध से बाँधना निर्दयता की पराकाष्ठा , बेचारी नदी चित्कार कर लाचार थमी सी अपने में ताकत बटोरती ,... Hindi · कविता 1 4 257 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " बच्चे अचानक से बड़े हो जाते हैं " ना जाने कब चुपके से हाथ छुड़ा कर दूर खड़े हो होने लगे हैं बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं , जो बिना ऊँगली पकड़े चल नही पाते थे... Hindi · कविता 1 2 369 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " काश " हे श्रष्टि रचयिता ! कृष्ण बन कर कर्म तुमने नारायण सा किया , फिर क्यों तुमने मनुष्य की तरह मृत्यु को वर लिया ? काश.... ऐसा हो जाता कि बहेलिये... Hindi · कविता 1 2 197 Share Previous Page 5 Next