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बिकाऊ हो गया हर सामान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सतगुरु नानक जग ते आया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रब्ब अग्गे करदां हाँ मैं गल किसानां दी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किसान परेशान देश का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बुझा रक्त खोलता नहीं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दुनियावाले हरामी है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दुनियादारी तुम्हारे क्या कहने
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अजनबी तेरे शहल में
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रेम है लुभावना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
छाया है घना अंधेरा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गरीब जैसे कूड़े के ढेरों
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
स्वप्न एक रेत का टीला
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रेत की दीवार सी जिन्दगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
घाटियों में गम समा गये
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मयखाने में आई रौनक़
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वक्त के थपेड़ों ने धकेला हूँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तब पार लगाना सीखेंगे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खो गया बचपन
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सोचता हूँ जिसे अक्सर ख्यालों मे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लक्ष्मीबाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लक्ष्मीबाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बेशर्मी में मशगूल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पुरुष दिवस की शुभकामनाएँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अवनि अंबर से मिल जाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भैया दूज
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गोवर्धन उपासना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पड़ गई कलेजे ठंड
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आसमान मे चमकते तारे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दीपौं का दीवाली त्योहार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पटाखों सी खोखली जिंदगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दीपावली मनाएं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
धनतेरस
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तराना प्यार का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
काम नहीं आती उपासना
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बाते करना तो बहाना हैं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लबों पर नाम है तुम्हारा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
राधा.और मीरा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रेम भाव.स्वतंत्र
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
काली घनी घनेरी रात
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गाँँव की खूली चौपाल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गाँव की खुली चौपाल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रेम पत्र
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रहोगे दिल के मेहमान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रेम घुलनशीलता
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जहाँ जहाँ प्रियतम विराजमान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कौन कहाँ से आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
करवाचैथ अनशन
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नजदीकियां और दूरियाँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
करवाचौथ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तुम संग प्रीत है लगाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत