सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2758 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 36 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Nov 2020 · 1 min read बिकाऊ हो गया हर सामान *बिकाऊ हो गया हर सामान* *********************** बिकाऊ हो गया हर सामान दिखाई दे चौतरफा नुकसान महंगे हुए हैं संस्कृति संस्कार बिकने लग गये हैं अब इंसान नाकाम हो गई बनाई... Hindi · कविता 1 1 554 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Nov 2020 · 1 min read सतगुरु नानक जग ते आया सतगुरु नानक जग ते आया *********************** सतगुरु नानक जग ते आया सारे संसार नूँ सी तारन आया नानकशाह दी है लीला न्यारी लगदी है सोहणी सूरत प्यारी चानण कर हनेरा... Hindi · कविता 1 243 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Nov 2020 · 1 min read रब्ब अग्गे करदां हाँ मैं गल किसानां दी *रब्ब अग्गे करदां हाँ गल किसानां दी* ****************************** रब्ब अग्गे करदा हाँ मैं गल किसानां दी जिन्दगी हो जावे खुशहाल किसानां दी भूखा,प्यासा रह देश लई अन्न उगांदां है कर्जे... Hindi · कविता 1 1 208 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Nov 2020 · 1 min read किसान परेशान देश का अन्नदाता बहुत है परेशान देश का राजा बन गया है हैवान देश का किसानी में किसान लूटा जा रहा खामोशी में खामोश इंसान देश का हक हेतु हलधर आया है... Hindi · कविता 2 255 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Nov 2020 · 1 min read बुझा रक्त खोलता नहीं *** बुझा रक्त खोलता नहीं *** ************************* कब से सोया है जागता नहीं अपनों को ही पहचानता नहीं माया जाल में फंस हुआ अंधा मोह,लोभ बिन कुछ जानता नहीं नफरत... Hindi · कविता 375 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Nov 2020 · 1 min read दुनियावाले हरामी है ***दुनिया वाले हरामी*** ******************** दुनिया वाले बहुत हरामी है पल में हो जाती नीलामी है ज़र,जोरू,जमीनें हुई भारी दंगे,झगड़ों भरी सुनामी हैं पल पल हो जाता भारी है परिणाम हो... Hindi · कविता 421 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Nov 2020 · 1 min read दुनियादारी तुम्हारे क्या कहने *दुनियादारी तुम्हारे क्या कहने* ************************* दुनियादारी तुम्हारा क्या कहना तन को चुभने लगा पाया गहना देखो कितना बदल गया जमाना मुमकिन नहीं परस्पर साथ रहना हर बार देखते निज का... Hindi · कविता 1 350 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Nov 2020 · 1 min read अजनबी तेरे शहल में ***अजनबी तेरे शहर में*** ********************** हम अजनबी हुए तेरे शहर में तुम्हें ढूँढते रहते हैं हर पहर में कभी खिलते थे फूल प्यार के उजड़ी सी बगिया तेरे शहर में... Hindi · कविता 485 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Nov 2020 · 1 min read प्रेम है लुभावना ***** प्रेम है लुभावना ****** ************************ प्रेम जितना होता है लुभावना असहनीय दर्द देती प्रेमभावना संयोग वियोग रंगों का समावेश मिलन और जुदाई भरा फसाना प्रेम का बीज हो जाए... Hindi · कविता 229 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Nov 2020 · 1 min read छाया है घना अंधेरा **** छाया है घना अंधेरा **** ************************ छाया चारों तरफ घना अंधेरा कुछ नजर नहीं आए तेरा मेरा अपनी ही धुन खोये खोये रहते डफली पर राग बजाएं बहुतेरा आँखों... Hindi · कविता 316 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Nov 2020 · 1 min read गरीब जैसे कूड़े के ढेरों गरीब जैसे कूड़े के ढ़ेर ****************** कुड़े के ढेर सा होता है, गरीबों का जनजीवन, जैसे अवांछित सामग्री, और शेष अवशेष गंदगी, जमा होती रहती है सदैव, और बढ़ता ही... Hindi · कविता 546 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Nov 2020 · 1 min read स्वप्न एक रेत का टीला स्वप्न एक रेत का टीला ******************** स्वप्न की आयु रेत के टीले सी होती है दूर से जितना सुंदर दिखते हैं जरा सा भी पास आने पर तनिक सा हाथ... Hindi · कविता 1 384 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Nov 2020 · 1 min read रेत की दीवार सी जिन्दगी *****रेत की दीवार सी जिन्दगी***** ****************************** रेत की दीवार सी होती है यह जिन्दगी पलभर में ढ़ेर में बदल जाती है जिन्दगी तेज चलती हवाओं से सदा डरती रहती बयार... Hindi · कविता 1 362 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Nov 2020 · 1 min read घाटियों में गम समा गये **घाटियों में गम समा गये** ********************** पहाड़ों सी ऊँची मुसीबतें घाटियों में गम है समा गये सरिता के बहाव सी जिंदगी बहते जल में लम्हे बह गये गम की बदली... Hindi · कविता 1 381 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Nov 2020 · 1 min read मयखाने में आई रौनक़ **मयखाने मे रौनक है आई*** ************************ आज मयखाने में रौनक आई हैं शहर में बजी कहीं शहनाई है आँखों में मय नशा छाया है जैसे मय ही गम भूलाने की... Hindi · कविता 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Nov 2020 · 1 min read वक्त के थपेड़ों ने धकेला हूँ **वक्त के थपेड़ों ने धकेला हूँ** ************************* चाहे दुनिया में मैं अकेला हूँ वक्त के थपेड़ों ने धकेला हूँ आदमी तो हूँ मै बड़े काम का खैर लोगों के लिए... Hindi · कविता 419 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Nov 2020 · 1 min read तब पार लगाना सीखेंगे ******* तब पार लगाना सीखेंगे ******** ********************************** फंसे गर मंझदारों में तब पार लगाना सीखेंगे टकराये अगर अंगारों से आर लगाना सीखेंगे पानी जितना भी दरिया अंदर चाहे गहरा हो... Hindi · कविता 216 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Nov 2020 · 1 min read खो गया बचपन *****खो गया बचपन****** *********************** कहीं पर खो गया है बचपन कहीं से भी ढ़ूंढ लाओ बचपन खेल खिलौने कहीं हैं छूट गए मोबाइल निगल गया बचपन नानी दादी सुनाती कहानियाँ... Hindi · कविता 522 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Nov 2020 · 1 min read सोचता हूँ जिसे अक्सर ख्यालों मे ***सोचता हूँ जिसे अक्सर ख्यालों में*** ******************************** सोचता हूँ मैं जिसे अक्सर मेरे ख्यालों में अन्जान हूँ मैं अभी तक उसके ख्यालों में लाख कोशिशें करीं बयां हाल ए दिल... Hindi · कविता 302 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Nov 2020 · 1 min read लक्ष्मीबाई ********लक्ष्मीबाई******* *********************** मर्दों सी मर्दानी लक्ष्मीबाई थी झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई थी स्त्री सी मृदुता नजर नहीं आई पुरुष सी कठोर लक्ष्मीबाई थी परतंत्रता कभी रास नहीं आई आजाद दीवानी... Hindi · कविता 377 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Nov 2020 · 1 min read लक्ष्मीबाई ********लक्ष्मीबाई******* *********************** मर्दों सी मर्दानी लक्ष्मीबाई थी झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई थी स्त्री सी मृदुता नजर नहीं आई पुरुष सी कठोर लक्ष्मीबाई थी परतंत्रता कभी रास नहीं आई आजाद दीवानी... Hindi · कविता 1 433 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Nov 2020 · 1 min read बेशर्मी में मशगूल ****** बेशर्मी में मशगूल***** ************************* शादियों के ब बदल रहें हैं असूल शर्म हया छोड़ बेशर्मी में मशगूल अय्याशी का आलम तो देखिए सरेआम आशिकी हो रही कबूल माँ बाप... Hindi · कविता 1 221 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Nov 2020 · 1 min read पुरुष दिवस की शुभकामनाएँ **पुरुष दिवस की शुभकामनाएँ** **************************** जिम्मेदारियों का बोझ रहता ढोहता पुरुष कभी अपना आपा नहीं खोता पुरुष प्रधान समाज का है वो नायक परिवार छत्रछाया में आराम से सोता निज... Hindi · कविता 1 337 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Nov 2020 · 1 min read अवनि अंबर से मिल जाए अवनि अंबर से मिल जाए ********************* अवनि अंबर से मिल जाए रोम रोम भू का खिल जाए नभ में जो हैं चमकते तारे रजनी भी रोशन हो जाए मेघों की... Hindi · कविता 1 1 261 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Nov 2020 · 1 min read भैया दूज *********** भैया दूज *********** ****************************** कार्तिक शुक्ल पक्ष की जब बेला आई भाई बहन पावन पर्व भैया दूज है लाई भाइयों की खुशहाली दीर्घायु के लिए बहने मस्तक पर तिलक... Hindi · कविता 1 800 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Nov 2020 · 1 min read गोवर्धन उपासना ******* गोवर्धन उपासना ******* **************************** कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा है आया गोवर्धन पूजा में गाय प्रतीक बनाया गोवर्धन उपासना दिवस शुभ आया जन जन घर में हर्षोल्लास से मनाया अहंकारी... Hindi · कविता 353 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Nov 2020 · 1 min read पड़ गई कलेजे ठंड ****** पड़ गई कलेजे ठंड ******* **************************** पटाखों पर खर्च हो गया है सारा फंड बीत गई दीवाली पड़ गई कलेजे ठंड उजालों से अंधेरों का हो गया खात्मा द्वार... Hindi · कविता 1 2 436 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Nov 2020 · 1 min read आसमान मे चमकते तारे आसमान में चमकते तारे ******************* आसमान में चमकते तारे निशा रोशन है करते तारे कितनी भी काली रात हो उजाले से तम हैं हरते तारे शांत,शीत ,सुन्दर,मनोरम अवनि अंबर मिलाते... Hindi · कविता 404 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Nov 2020 · 1 min read दीपौं का दीवाली त्योहार दीपों का दीवाली त्योहार ******************** कोना कौना है गुलजार दीपों का दीवाली त्योहार गली मोहल्ले रौनक आई खिला खिला सा है बाजार शशि सी आभा हो चमके शीत शालीन हो... Hindi · कविता 1 212 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Nov 2020 · 1 min read पटाखों सी खोखली जिंदगी **** पटाखों सी खोखली जिन्दगी *** ****************************** पटाखों सी खोखली हो गई है जिन्दगी फुलझड़ियों सी बुझती जलती है जिंदगी पटाखे बजते ही गर्जन कर देते हैं भारी पर पल... Hindi · कविता 1 218 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Nov 2020 · 1 min read दीपावली मनाएं **** दीपावली मनाएं **** ********************* जगमग जगमग दीप जलाएं दीपावली को दिल से मनाएं मन के तम को हम दूर करें अंधेरों को उजाले से भगाएं रिश्ते अधर में जो... Hindi · कविता 377 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Nov 2020 · 1 min read धनतेरस ********** धनतेरस ************ ***************************** भगवान धनवंतरी का धनतेरस त्योहार दीपावली से पूर्व आ जाता यह त्योहार धन और आरोग्य को हैं सर्वजन मांगते कुबेर,धनवंतरी की पूजा अर्चन त्यौहार बर्तन खरीदारी... Hindi · कविता 554 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Nov 2020 · 1 min read तराना प्यार का ******* तराना प्यार का ******* *************************** लेकर आया हूँ , मैं तराना प्यार का नहीं चल पाएगा बहाना इन्कार का तराने में लेकर आया हूँ गीत नेह के गुनगुनाता रहता... Hindi · कविता 240 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Nov 2020 · 1 min read काम नहीं आती उपासना *** काम नहीं आती उपासना *** ************************** कभी काम नहीं आती उपासना मन में जब जन्म लेती है वासना विश्वामित्र जैसे सन्यासी चूक गए सुंदरी मेनका ने तोड़ डाली साधना... Hindi · तेवरी 486 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Nov 2020 · 1 min read बाते करना तो बहाना हैं **बातें करना तो बहाना है** ********************** बातें करना तो बस बहाना है दिल से दिल को बहलाना है हसरतें जो रह गई अधूरी सी अगले जन्म में तुम्हें पाना है... Hindi · कविता 189 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Nov 2020 · 1 min read लबों पर नाम है तुम्हारा लबों पर नाम है तुम्हारा ****************** लबों पर नाम है तुम्हारा बना है जीने का सहारा तेरे साथ साथ में रहना जीवन का हसीं नजारा दिन रात तुम्हें ही सोचूं... Hindi · कविता 277 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Nov 2020 · 1 min read राधा.और मीरा **** राधा और मीरा ******** ************************ सुनो सुनाऊं मैं एक प्रेम कहानी प्रेम कहानी है यह बहुत पुरानी कन्हैया तो था ग्वाला दीवाना कन्हैया की थी हजारों दीवानी एक थी... Hindi · कविता 226 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Nov 2020 · 1 min read प्रेम भाव.स्वतंत्र ** प्रेम भाव स्वतंत्र ** ***************** प्रेम भावना है स्वतंत्र इंसां बना जाए परतंत्र प्रेमी ढ़ूंढता रहता कंधा फंसता बीच है षडयंत्र प्रेम को कहते हैं अंधा बंद हो मस्तिष्क... Hindi · कविता 360 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Nov 2020 · 1 min read काली घनी घनेरी रात ***** काली घनी घनेरी रात ***** *************************** सितारों भरी घनी घनेरी काली रात, एकांतवास में ऊंचे नीले व्योम तले, सुंदर,शालीन शांत,शांति दूत सी, मखमली चाँदी सी चाँदनी बखेरती, प्रकृति की... Hindi · कविता 1 261 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Nov 2020 · 1 min read गाँँव की खूली चौपाल **गाँव की खुली चौपाल* ******************* दंगा, पंगा या बिगड़े हाल गाँव में खुलती है चौपाल रामू,श्यामू , चाचा , काका एक बोल पर ठोंकता ताल गाय गर चारा चर जाती... Hindi · कविता 1 343 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Nov 2020 · 1 min read गाँव की खुली चौपाल **गाँव की खुली चौपाल* ******************* दंगा, पंगा या बिगड़े हाल गाँव में खुलती है चौपाल रामू,श्यामू , चाचा , काका एक बोल पर ठोंकता ताल गाय गर चारा चर जाती... Hindi · कविता 1 398 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Nov 2020 · 1 min read प्रेम पत्र ********* प्रेम पत्र ********** ************************** लड़की साईकिल से आती जाती घर से स्कूल, स्कूल से घर जाती पढाई लिखाई सखा संग मशगूल ऐरों गैरों को की झांकी नहीं पाती सरू... Hindi · कविता 283 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Nov 2020 · 1 min read रहोगे दिल के मेहमान **रहोगे दिल के मेहमान** ********************* जब .तक रहेगी तन में जान तुम रहोगे दिल के मेहमान अरसे से तुम हो आस पास बेशक अलग अलग पहचान अलग अलग तन के... Hindi · कविता 208 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Nov 2020 · 1 min read प्रेम घुलनशीलता ***** प्रेम घुलनशील **** ********************* प्रेम भाव है घुलनशील घुल मिल बनाए मिलनशील लोभ, मोह नहीं हितकारी क्रोध भाव में बनाए न शील जल भुन कर राख बन जाए ईर्ष्या... Hindi · कविता 201 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Nov 2020 · 1 min read जहाँ जहाँ प्रियतम विराजमान **जहाँ जहाँ प्रियतम विराजमान* ************************** मंदिर,मस्जिद बन जाते वो स्थान जहाँ जहाँ हो प्रियतम विराजमान प्रीत की डोरी में बंधी हैं भावनाएँ खुदा का प्रेम परिन्दों पर एहसान रिश्तों की... Hindi · कविता 184 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Nov 2020 · 1 min read कौन कहाँ से आई ** कौन कहाँ से आई ** ******************* तुम कौन , कहाँ से आई रातों की नींद उड़ाई शान्त बह रहा था सागर प्रवाह की गति घटाई कलरव से गूँजता गगन... Hindi · कविता 262 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2020 · 1 min read करवाचैथ अनशन ******* करवाचौथ अनशन *********** **************कुंडलियां************* ********************************** साल बाद है आ गया, करवाचौथ अनशन सुहागिने मिल मना रही,बिन ग्रहण जल अन्न सज कर तैयार हैं ,सुन्दर वस्त्र तन धारे कर जोड़... Hindi · कुण्डलिया 478 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2020 · 1 min read नजदीकियां और दूरियाँ **नजदीकियाँ और दूरियाँ** ********************** नजदीकियाँ बन गई हैं दूरियाँ बढ रहीं हैं यहाँ वहाँ दूरियाँ ये चेहरे दिखते नहीं रंगीन हैं ये.भावरत नहीं भावहीन हैं नित्य बढ रहीं हैं परेशानियाँ... Hindi · कविता 215 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Nov 2020 · 1 min read करवाचौथ ******* करवाचौथ ******** ************************ कार्तिक मास कृष्ण चतुर्थी आए करवाचौथ व्रत रखती है नारी भूखी प्यासी रह कर मन्नतें मांगे पतिदेव पर दुख आए नहीं भारी सुख, समृद्धि घर खुशियाँ... Hindi · कविता 195 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Nov 2020 · 1 min read तुम संग प्रीत है लगाई ** तुम संग प्रीत हैं लगाई ** ********************** तुम संग प्रीत हमने है लगाई जान खुद से हो गई है पराई चाहे दिल में बजे नेह शहनाई चाहे मिले हमें... Hindi · कविता 2 372 Share Previous Page 36 Next