विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 109 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read अश्रु अश्रु ढ़रक आते हैं अनायास ही नेत्रों से अंजन को क्षालन के लिए या उर के कुंज में छिपी दारूण वेदना को मुख़्तसर करने के लिए। विनोद की अतिशयता भी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 141 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read सर्दी क्षितिज के छोर से रजत चुनर ओढ़ नव वधु-सी आहिस्ते-आहिस्ते पग बढ़ाती आ ही गई सर्दी। शीत-बयार शस्त्र लिए, सप्त अश्वों पर आरूढ होकर, वीरांगना-सी समर भूमि में कूद पड़ी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 55 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read इंद्रधनुष सात रंग का हार सजा कर नभ के वक्ष पर मुदित भाव से उदित होता इंद्रधनुष। सुख-शांति, वैभव, उमंग, उत्साह विश्वास, शौर्य और जागरूकता का संदेश देता इंद्रधनुष। गिरगिट की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 145 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read जीवन का सार गृहस्थी का दायित्व, कब अवसान देता है, गाड़ी-सा जीवन जिम्मेदारियों की सड़क पर, सरपट दौड़ता है, अहर्निश अविराम। स्व मनोरथ श्रम-भट्ठी में झोंकता है, स्वजनों के काम्यदान के लिए। तब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 60 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read गुनगुनी धूप छितराई शबनम छिपा लेती है, दिवाकर मरीचि, और महरूम रखती है गुनगुनी धूप से हर जन को। कंपकंपाती काया, शिथिल अंबक एकटक निहारते हैं खुले द्यौ को आशान्वित होकर। यकीनन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 87 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read खुशी मुट्ठी भर खु़शी उधार देकर देखिए, असीम सुकून मिलेगा। पल-पल विषण्णता समुपस्थित है। ऊहापोह सनी आबोहवा, कब, किसे, रास आती है, घुटन और सिहरन बढ़ाती है। आनंद के चंद पल,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 138 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read विश्वास नभ में उन्मुक्त, उड़ता पंछी, अपने परों के बूते, मीलों का सफर, तय करता है, अनवरत आगे बढ़ता है। कमरख, तप्त लोहे पर, वार पर वार, करता है, अंततः अपने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read हरि द्वार अस्सी बरस की बुधिया, चारपाई पर रजाई से झांकती, रह-रह कर खांसती, आज जमकर पाला पड़ा है, जाड़ा मुंह बाए खड़ा है। सफेद हो गई खड़ी कोंपलें टपक रहे खगों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 83 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read मेरे हिस्से की धूप सर्द-सर्द रातें हुई, सर्द-सर्द हुए दिन। मिहिका भरमा रही, अब तो हर एक छिन। दिनकर भी ओझल हुए, दिखते अपराह्न बाद। शीत पवन करती फिरे, सबसे वाद-प्रतिवाद। शीतलता कंपा रही,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 104 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 30 Oct 2023 · 1 min read अंतर्द्वंद्व जीवन की अकांक्षाएं, आसमान में उड़ते पतंग-सी, डोर रहित, खींच ले जाती हैं, उस अनंत अनहद की ओर, जहां से लौट पाना, दुस्साध्य-सा लगता है। कंटीली डगर, लहुलुहान करने को... Hindi 1 144 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 18 May 2023 · 1 min read अनोखी दोस्ती अनोखी दोस्ती सुबह से शाम हो गई थी लेकिन चंचल गौरैया का अभी तक कुछ भी अता पता नहीं था। चीकू खरगोश और चंचल गौरैया रोजाना रोज गार्डन में सुबह... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 283 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2022 · 2 min read पिता पिता बन कर हम साया, मुझे चलना सिखाया, ईश सम पिता मेरे, वंदन स्वीकारिए। पढ़ लिख पाऊँ ज्ञान, बनूँ नेक बढ़े शान, बन कर मंदाकिनी, औगुण पखारिए। मार कर स्व... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · घनाक्षरी 3 9 440 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 27 Dec 2021 · 1 min read शेर फलसफा इस जिंदगी का देख ले, हादसे ही हादसे हैं दरमियां। Hindi · शेर 230 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 27 Dec 2021 · 3 min read जया त्रिपाठी मिश्रा ने किया साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई की मासिक ई-पत्रिका हरिहरहार के विशेषांक 'बाल गीतावली' का भव्य विमोचन जया त्रिपाठी मिश्रा ने किया साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई की मासिक ई-पत्रिका हरिहरहार के विशेषांक 'बाल गीतावली' का भव्य विमोचन साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई की मासिक ई-पत्रिका हरिहरहार... Hindi · लेख 654 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 27 Dec 2021 · 1 min read नेकी की दीवार नेकी की दीवार से, नाता कर लो यार। संतोषी बनकर रहो, छोड़ो पापाचार। भला करे आशीष मिले, उपजे मन आमोद। संतों की वाणी यही, गीता का है गोद। Hindi · मुक्तक 393 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 27 Dec 2021 · 1 min read कुण्डलिया नाउम्मीदी शेष है, बचा सके ना कोय, हर कोई नाकाम हैं, साल इक्कीस खोय। साल इक्कीस खोय, बचे दिन बस गिनती के, नव वर्ष हर्षाए, मिले फल जन विनती के।... Hindi · कुण्डलिया 245 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 19 Oct 2021 · 2 min read अनोखा उत्सव रेड लाइट जोन से निकलते ही रवि हाइवे पर बहुत बड़े जाम में फंस गया था। पों-पों, पीं-पीं के शोरगुल ने कान फोड़ दिए थे। रवि को घर पहुँचने की... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 4 530 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 27 Nov 2018 · 1 min read मां मां मां ममता की मूरत है हम सबकी एक जरूरत है। बिन मां के घर सूना होता मां एक शुभ मुहुर्त है। जन्म दिया, खुद दर्द सहा ममता का आंचल... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 30 904 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 8 May 2018 · 5 min read विरासत में मिले संस्कार का विस्तार बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ विषय पर एक विशेष लघु फिल्म ‘ताई की तकरार’ में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले और हरियाणवीं एलबम ‘काच्चा टमाटर’ का निर्देशन करने के साथ-साथ इस... Hindi · लेख 518 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 3 Mar 2018 · 1 min read आम का पेड़ मेरे घर के आंगन में लगे आम के पेड़ ने मुझसे कहा देखो, फाल्गुन के मस्त महीने में मुझ पर बोर लगने लगे हैं। मतवाली कोयल कूकने लगी है पंछी... Hindi · कविता 504 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 1 Mar 2018 · 1 min read रंगों से रंगना सीखो रंग तो आखिर रंग होते हैं बदला नहीं इनका स्वरूप। दौलत की खातिर लोगों ने धारे हैं भांति-भांति के रूप। स्वार्थ की स्याह से मलिन हुए नित मुखौटे पहने नव... Hindi · कविता 703 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 28 Feb 2018 · 1 min read आई होली भीगी चुनरिया भीगी चोली आई होली, आई होली। रंग, गुलाल, अबीर, पिचकारी भर-भर लाई मस्तों की टोली गिले-शिकवे सब वैर पुराने आज मिटाने आई होली। प्रियतम की बाट जोह रही... Hindi · कविता 378 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 26 Feb 2018 · 1 min read कतरे-कतरे का होगा हिसाब इक दूजे की होड़ में भाग रहे हैं सब। मंजिल नजर आती नहीं लक्ष्य सधेगा कब। आपाधापी का है मंजर पैसा बन गया है रब। रिश्तों का कत्लेआम हो रहा... Hindi · कविता 500 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 26 Feb 2018 · 1 min read घर-घर मोदी का उद्घोष दामोदर के लाडले, हीराबेन के लाल नरेंद्र मोदी भारत में, बने हैं एक मिसाल। बुलगारी का चश्मा, रखते मॉ ब्लां का पैन मोवाडो की बांधें घड़ी, आधी बांह का कुर्ता... Hindi · कविता 348 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Feb 2018 · 1 min read गुरू बिन गुरू कै ज्ञान नहीं, गुरू बिना नहीं मान गुरू ए सबनै पार लगावै, बणकै एक पतवार। संस्कारां का मींह बरसावै, सच्चाई की राह दिखावै गुरू ए ज्ञान की लौ... Hindi · गीत 337 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 23 Feb 2018 · 5 min read फाकाकशी की जिंदगी वर्मा जी टकटकी लगाए टी.वी. पर समाचार सुन रहे थे। उनकी धड़कनें तेज थी। कहीं इस बार भी जज महोदय ने पीजीटी शिक्षकों के परीक्षा परिणाम जारी करने के फैसले... Hindi · कहानी 266 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 21 Feb 2018 · 1 min read रिश्तों का मोल बंधन रिश्तों के इस जग में क्यों कच्चे पड़ने लगे हैं यारो। टूट रहे हैं परिवार यहां पर क्यों सांझे चूल्हे घटने लगे हैं यारो। बिन पैसों के कद्र नहीं... Hindi · कविता 418 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 17 Feb 2018 · 1 min read बुढ़ापे के दिन राम कथा में श्री राम चंद्र जी का जो चरित्र मुखरित हुआ है, यदि आज का इंसान उससे प्रेरणा लेता, तो शायद ! वृद्ध-आश्रम का नामोंनिशान न होता, बूढ़ा पिता... Hindi · कविता 368 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 17 Feb 2018 · 1 min read जीवन जीवन दो धारी तलवार। नहीं जाता खाली इसका वार। - विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ Hindi · शेर 261 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 16 Feb 2018 · 1 min read दरकार भला किसे कब होती है, दोजख की दरकार तमोगुणी भी करता है, सुरग का इंतजार। Hindi · शेर 247 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 16 Feb 2018 · 1 min read पतवार अपने-अपने हिस्से में है, सुख और दुख की पतवार मांझी जिसको जैसा मिला, लगा दिया भव पार। Hindi · शेर 452 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 10 Feb 2018 · 3 min read भिवानी के साहित्यकार आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट की कहानी ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ को मिला तीसरा स्थान अभी हाल ही में घोषित हुए हरियाणा साहित्य अकादमी पुचकूला द्वारा आयोजित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता वर्ष 2016 के परिणाम में भिवानी के साहित्यकार आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट को तीसरा स्थान मिलने... Hindi · लेख 1 569 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 4 Feb 2018 · 3 min read बाल-विवाह सरीखी कुप्रथा पर कड़ा प्रहार करता उपन्यास: ‘कच्ची उम्र’ -विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ पुस्तक समीक्षा: पुस्तक: कच्ची उम्र लेखक: धर्मबीर बडसरा प्रकाशक: शब्द-शब्द संघर्ष, मयूर विहार, गोहाना रोड़, सोनीपत पृष्ठ संख्याः120 मूल्यः 150 रू. आनंद कला मंच एवं शोध संस्थान भिवानी की पुस्तक... Hindi · लेख 907 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 30 Jan 2018 · 5 min read साक्षात्कार: फोन पर एक वार्तालाप: डाॅ. लालचंद गुप्त ‘मंगल’ के साथ साक्षात्कार: फोन पर एक वार्तालाप: डाॅ. लालचंद गुप्त ‘मंगल’ के साथ - विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ एक लेखक जब अपना लेखकीय धर्म निभा कर उसके प्रतिफल की प्रतीक्षा में रत रहता... Hindi · लेख 547 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 29 Jan 2018 · 3 min read आर्टिस्ट महाबीर वर्मा कला किसी की मोहताज नहीं होती। कलाकार कला का पुजारी एवं पारखी होता है। कला उसकी नेमत और इबादत हेाती है। जब कला किसी की नस-नस में समा कर उसका... Hindi · लेख 265 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 29 Jan 2018 · 25 min read एक दिन कलाकार कुणबे के साथ एक दिन कलाकार कुणबे के साथ - विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ मेरे प्रस्तुत यात्रा वृतांत के शीर्षक में ‘कुनबा’ कहें या ‘कुणबा’ बात एक ही है। शाब्दिक अर्थ की दृष्टि से... Hindi · लेख 439 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 19 Jan 2018 · 1 min read आज इंसान कम दानव ज्यादा आज सच बेबस, ईमान छला-सा और नेकी ठगी-सी महसूस कर रही हैं। भ्रष्टाचार की जड़ें शनैः-शनैः बढ़ रही हैं समग्र जग को पल-प्रतिपल लील रही हैं। झूठ का चतुर्दिक बोलबाला... Hindi · कविता 378 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 17 Jan 2018 · 1 min read कैसा यह हुआ सवेरा है इंसान नहीं है एक यहां जन-जन हुआ लुटेरा है। ढ़ोंगी और फरेबी देखो घर-घर डाले डेरा हैं। कदम-कदम पर हैं नाग यहां कदम-कदम पर सपेरा हैं। मां-बहनें सरेआम लुट रहीं... Hindi · कविता 290 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 17 Jan 2018 · 1 min read मेरी तरह प्यार में ........ उसकी पायल की मधुर आवाज आज कर्कश-सी और कुछ अधूरापन-सा बया कर रही है, उसकी रूनझुन ध्वनि मेरे कान के पर्दों को चीर रही है। अपनापन, सादगी और प्यार मानों... Hindi · कविता 279 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 17 Jan 2018 · 1 min read जितनी चादर हो उतने ही पांव पसारें गगनचुंबी महल, नोटो भरी तिजोरियां किसे सुकुन देते हैं, कब चैन की नींद सोने देते हैं। पैसा सिर्फ तृष्णा बढ़ाता है, बेचैनी बढ़ाता है। संतोष का एक अंश मात्र ही... Hindi · कविता 248 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 17 Jan 2018 · 1 min read सच्चा प्यार मुझे मिला नहीं वो मगरूर है, इस बात का गिला नहीं गिला है इतना, सच्चा प्यार मुझे मिला नहीं। बेवफाई उसकी फितरत ही सही वफा का कतरा भी उसमें मिला नहीं। ज़र को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 293 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 17 Jan 2018 · 1 min read हंसी नहीं आई हंसना तो चाहा मगर हंसी नहीं आई मेरे लबों पर जाने क्यूं चुप्पी छाई। दूर-दूर तक जहां मेरी नजर गई हर शै में मुझे वो ही नजर आई। अब, घर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 14 Jan 2018 · 1 min read आज का अभिमन्यु आज फिर अभिमन्यु चक्रव्यूह में घिर गया, परंतु यह चक्रव्यूह कौरवों द्वारा नहीं रचा गया वरन् नैतिक मूल्यों के ह्रास ने खुद ब खुद उसे अपने मोहपाश में उलझा लिया।... Hindi · मुक्तक 511 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 14 Jan 2018 · 1 min read बिछड़ कर जीने की तरकीब बना ली हमने बिछड़ कर जीने की तरकीब बना ली हमने पीकर अश्क, लबों पर हंसी सजा ली हमने। शिकवा न गिला हम तेरी बेवफाई का करेंगे यह कसम आज तेरे सर की... Hindi · शेर 294 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 14 Jan 2018 · 1 min read मेरी कविताएं मेरी कविताएं दिशाहीन, किंतु भावपरक हैं, इनमें न तो गेयता है, और न ही कवि-सी पैनी दृष्टि, सिर्फ शब्दों का लबादा ओढ़े मेरी कविताएं दिग्भ्रमित और संप्रेषण के अभाव में... Hindi · कविता 635 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 14 Jan 2018 · 1 min read फिर रीत पुरानी याद आई फिर रीत पुरानी याद आई झूठे रिश्ते-नातों पर कायम अधुनातन जग का आलम, छल-कपट और राग-द्वेष में संलिप्त कलियुग का मानव। मानवता दम तोड़ रही है देख मनुज की चाल... Hindi · कविता 444 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 11 Jan 2018 · 3 min read शोधपरक दृष्टि का परिचय देती एक कृति ‘मेरे शोध-पत्र’ पुस्तक समीक्षा: पुस्तक: मेरे शोध-पत्र लेखक: आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’ प्रकाशक: सूर्य भारती प्रकाशन, नई सड़क, दिल्ली पृष्ठ संख्याः118 मूल्यः 300 रू. शोधपरक दृष्टि का परिचय देती एक कृति ‘मेरे शोध-पत्र’... Hindi · लेख 556 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 11 Jan 2018 · 3 min read परिवेश और आदर्शवादिता का परिचय देता कहानी संग्रह ‘कितने पास कितने दूर’ पुस्तक समीक्षा: पुस्तक: कितने पास कितने दूर लेखक: आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’ प्रकाशक: सूर्य भारती प्रकाशन, नई सड़क, दिल्ली पृष्ठ संख्याः96 मूल्यः 150 रू. परिवेश और आदर्शवादिता का परिचय देता कहानी... Hindi · लेख 725 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 9 Jan 2018 · 1 min read शीतलहर की हुई विदाई दिनकर ने ली अंगड़ाई शीतलहर की हुई विदाई। खुल गई हैं फिर से शाला पैक हो गए स्वेटर और दुशाला। धुंध-कोहरा अब न कंपकपाएं रफ्तार फिर से बढती जाए। गली-कूचे... Hindi · मुक्तक 487 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 8 Jan 2018 · 1 min read भारत माता तुम्हें बुलाती वीरों की शहादत के बदले हमने आजादी पाई थी। बरसों अंग्रेजों का जुल्म सहा तब हमने आजादी पाई थी। त्राहि-त्राहि चहुं ओर मची थी कितने मासूमों ने जान गंवाई थी।... Hindi · कविता 301 Share Previous Page 2 Next