Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2018 · 1 min read

शीतलहर की हुई विदाई

दिनकर ने ली अंगड़ाई
शीतलहर की हुई विदाई।

खुल गई हैं फिर से शाला
पैक हो गए स्वेटर और दुशाला।

धुंध-कोहरा अब न कंपकपाएं
रफ्तार फिर से बढती जाए।

गली-कूचे गूंजे बच्चों की किलकारी
मस्ती की शुरू हो गई तैयारी।

मूमफली, रेवड़ी और गज्जक का स्वाद
जमकर उड़ा रहे छोटे मियां उस्ताद।

आओ हम भी जरा लुत्फ उठाएं
बच्चों संग बच्चे बन जाएं।

Language: Hindi
400 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक किताब खोलो
एक किताब खोलो
Dheerja Sharma
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
Shashi kala vyas
सच
सच
Neeraj Agarwal
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
नेताम आर सी
एक कविता उनके लिए
एक कविता उनके लिए
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
ruby kumari
पिता
पिता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
Shweta Soni
समय
समय
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कौन सोचता....
कौन सोचता....
डॉ.सीमा अग्रवाल
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
पूर्वार्थ
तेरा-मेरा साथ, जीवन भर का...
तेरा-मेरा साथ, जीवन भर का...
Sunil Suman
2482.पूर्णिका
2482.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
राम आए हैं भाई रे
राम आए हैं भाई रे
Harinarayan Tanha
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
दोहा
दोहा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दाता
दाता
Sanjay ' शून्य'
■ समझ का अकाल
■ समझ का अकाल
*Author प्रणय प्रभात*
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
Rj Anand Prajapati
भारत माँ के वीर सपूत
भारत माँ के वीर सपूत
Kanchan Khanna
मुकद्दर से ज्यादा
मुकद्दर से ज्यादा
rajesh Purohit
कर्मठ राष्ट्रवादी श्री राजेंद्र कुमार आर्य
कर्मठ राष्ट्रवादी श्री राजेंद्र कुमार आर्य
Ravi Prakash
*फूलों मे रह;कर क्या करना*
*फूलों मे रह;कर क्या करना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
1🌹सतत - सृजन🌹
1🌹सतत - सृजन🌹
Dr Shweta sood
कैसे यकीन करेगा कोई,
कैसे यकीन करेगा कोई,
Dr. Man Mohan Krishna
इंसान भी तेरा है
इंसान भी तेरा है
Dr fauzia Naseem shad
सुबह को सुबह
सुबह को सुबह
rajeev ranjan
जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी...
जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी...
Harminder Kaur
प्रेम निभाना
प्रेम निभाना
लक्ष्मी सिंह
Loading...