सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' Language: Hindi 143 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 5 Oct 2021 · 1 min read सियासत में लपकने को नया सामान आया है सभी चिल्ला रहे लगता, कहीं पर श्वान आया है। न जाने आज मुर्दों में, कहाँ से जान आया है। नजर गिद्धों की रहती लास पर, दावत उड़ाने को, सियासत में... Hindi · मुक्तक 274 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 3 Oct 2021 · 1 min read ठीक है क्या? रोज यह मिलना मिलाना, ठीक है क्या। बेवजह आँसू बहाना, ठीक है क्या। साँस जबतक चल रही खुलकर जिओ जी, मौत से बचना बचाना, ठीक है क्या। मतलबी दुनिया फरेबी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 460 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 30 Sep 2021 · 1 min read अजी चमचे हैं कुत्तों से भी ज्यादा दुम हिलाते हैं कभी अध्धा कभी पौवा कभी बोतल पिलाते हैं। अजी चमचे हैं कुत्तों से भी ज्यादा दूम हिलाते हैं। गलत है कौन यह मुश्किल हुआ पहचानना अब तो- सही को झूठ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 704 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 29 Sep 2021 · 1 min read हर सरकारी योजना, हो जाती बेकार। हर सरकारी योजना, हो जाती बेकार। भ्रष्टाचारी तंत्र हैं, इसके जिम्मेदार।। अंधों की सरकार है, बहरों का दरबार। लूट खसोट मचा रहे, सारे लम्बरदार।। जाने क्यों ख़ामोश है, दिल्ली का... Hindi · दोहा 254 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 29 Sep 2021 · 1 min read दोहे अपनों के दुख दर्द में, गिरता है जो नीर। जादू सम करता असर, हर लेता हर पीर।। मँहगी हैं अब रोटियाँ, मँहगाई का दौर। रोजगार दुर्लभ हुआ, मँहगा है हर... Hindi · दोहा 314 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Sep 2021 · 1 min read दिवाना कर गई बेटी चहककर घर गली आँगन, सुहाना कर गई बेटी। जहाँ रख दी कदम मिट्टी, खजाना कर गई बेटा। कभी हँसना कभी रोना, कभी यूंँ खिलखिला देना, तुम्हारी हर अदा मुझको, दिवाना... Hindi · मुक्तक 1 233 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 25 Sep 2021 · 1 min read कर रहे देखो बगावत सांस भी- 'सूर्य' मुझसे दूर क्या रहने लगे। नीर नैनों से सदा बहने लगे। कर रहे देखो बगावत दिल जिगर- गैर मुझको आजकल कहने लगे। Hindi · मुक्तक 2 241 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 23 Sep 2021 · 1 min read सरकारी परियोजना, बन गई झंडुबाम। सब मशीन से हो रहा, मनरेगा का काम। सरकारी परियोजना, बन गई झंडुबाम।। अध्धा पौवा में लुभा, मनरेगा मजदूर। लाभ लिये इस बात का, मुखिया जी भरपूर।। #सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य Hindi · दोहा 3 331 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 22 Sep 2021 · 1 min read समय और संयोग बदल नहीं सकता कभी, समय और संयोग। 'सूर्य' न जाने क्यों लगा, हाय-हाय! का रोग।। ज्यादा कुछ भी भाग्य से, मिले कभी ना यार। सब जीवन के अंश हैं, जीत,... Hindi · दोहा 4 4 509 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 21 Sep 2021 · 1 min read जिंदगी रेत जैसे फिसलती गयी प्यास जीने की ज्यों-ज्यों मचलती गयी। जिंदगी रेत जैसे फिसलती गयी। ख्वाब पूरे नहीं हो सके उम्र भर- देह बचपन जवानी में ढ़लती गयी। #सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य Hindi · मुक्तक 3 452 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read जिलेबी का दिवाना है कभी मधुमेह ना देखे मुहब्बत उम्र ना देखे, मुहब्बत देह ना देखे। मिले महबूब की बाहें, खुदा का नेह ना देखे। बुढ़ापे में हसीनों पर नजर, ताज्जुब नहीं होता- जिलेबी का दिवाना है, कभी... Hindi · मुक्तक 3 369 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read लोभ मोह की ओढ़ चुनरिया, मैं मूरख अझुराया। 28 मात्रिक गीत संकट में है नाव हमारी, प्रभुजी पार लगाओ। मैं अबोध बालक अज्ञानी, सत्य राह दिखलाओ। शुष्क मरुस्थल वृक्ष रिक्त यह, पथरीली हैं राहें। भवसागर तुम पार करा... Hindi · गीत 2 1 418 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read दोहा अंधे होकर स्वार्थ में, करते हैं जो काम। हो जाते हैं एक दिन, दुनिया में बदनाम।। सुबह-शाम आठो पहर, जो लेता हरिनाम। जीवन भर रुकता नहीं, उसका कोई काम।। शिक्षा... Hindi · दोहा 1 238 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read दोहे भरी जवानी में लगा, शुगर वाला रोग। रहना है यदि स्वस्थ्य तो, करते रहिए योग।। निंदक से नजदीकियांँ, चापलूस से दूर। जीवन का यह मंत्र लो, सुखी रहो भरपूर।3। निंदक... Hindi · दोहा 1 288 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read दोहे 'सूर्य' तिरंगा हाथ में, रहे तुम्हारे मीत। अधरों पर सजते रहें, देशप्रेम के गीत।१। देशप्रेम की भावना, जहाँ नहीं है मीत। 'सूर्य' सदा उस मुल्क को, दुश्मन जाते जीत।२। 'सूर्य'... Hindi · दोहा 1 836 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read दोहा दरिया, सागर, नैन के, गहरे होते राज। बहता है जब नीर तो, कब होती आवाज।। जिसे सुलाने में गई, जाने कितनी रात। बेटा वह माँ-बाप से, करे न कोई बात।।... Hindi · दोहा 1 585 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read दोहे योग रोग का शत्रु है, समझ गए हैं लोग। चिंता खुद की है जिसे, करता है वह योग।। योग बना संजीवनी, जीवन का है अंग। सुबह-शाम करते रहो, रोग न... Hindi · दोहा 443 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read दोहे गुरुवर के अहसान को, कभी न जाना भूल। माथे तिलक लगाइए, गुरु चरणन के धूल।। दोहा लिखा न जा रहा, करें छंद निर्माण। मुखपोथी पर देखिए, मिलता खूब प्रमाण।। जिनको... Hindi · दोहा 580 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Sep 2021 · 1 min read जुदाई है, जुदाई है जहर यदि जिंदगी है तो, मुहब्बत ही दवाई है। जहाँ से दिल नहीं मिलता, बिछड़ने में भलाई है। बहाना लाख कर लो तुम, सफाई दो भले जितना- छलकते नैन कह... Hindi · मुक्तक 2 744 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 17 Sep 2021 · 1 min read कमरा किराए का है खाली तो करना होगा इस राह से एक दिन सबको, गुजरना होगा। कमरा किराए का है, खाली तो करना होगा। तू बादशाह होगा बेशक, अपने शहर का- जहाँ का मालिक है वह, उससे तो... Hindi · मुक्तक 204 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 17 Sep 2021 · 1 min read अश्क पीकर आइए अब खिलखिलाएँ रहें आंँसू भरी आंँखें, निकलता हो तुम्हारा दम। नहीं मतलब सियासत को, तुम्हे क्या दर्द है क्या गम। सड़क पर चिप्पियाँ तुम देखकर, हैरान मत होना, चुनावी साल है भाई,... Hindi · मुक्तक 251 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 17 Sep 2021 · 1 min read तीन शेर लुटा दी जान मजहब पर, मुहम्मद के नवासों ने। शहादत आज है उनकी, मुहर्रम लोग कहते हैं। मिला बोसा जबीं पर आज तेरी माँ की ममता में, मुहब्बत है, मुहब्बत... Hindi · शेर 239 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 16 Sep 2021 · 1 min read कुछ दोहे और आरक्षण उसको मिले, जो निर्बल धनहीन। जाति नहीं बस देखिए, भूख, गरीबी, दीन। मीठी वाणी बोलकर, घाव करें गंभीर। बड़े सयाने लोग हैं, देते दुख सह नीर।। जादूगर दृग आपके,... Hindi · दोहा 293 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 16 Sep 2021 · 1 min read कुछ दोहे शर्मिंदा जिसको करे, निज भाषा का ज्ञान। ऐसा मूरख आदमी , होता पशु इंसान।। हिंदी मेरा ओढ़ना, हिंदी है परिधान। हिंदी लगती है मुझे, भाषा रस की खान।। निज भाषा... Hindi · दोहा 214 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 15 Sep 2021 · 1 min read धड़कन पहरेदार उर के भीतर आ गया, जबसे तू दिलदार। नैन किवाड़ी बंद हैं, धड़कन पहरेदार।। सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य Hindi · दोहा 282 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 15 Sep 2021 · 1 min read भाषा शर्मिंदा जिसको करे, निज भाषा का ज्ञान। ऐसा मूरख आदमी , होता कब इंसान।। सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य Hindi · दोहा 408 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Sep 2021 · 1 min read सूर्य तुम को खुद लजाना चाहिए- गजल (२१ मात्रिक ) २१२२ २१२२ २१२ आदमी को मुस्कुराना चाहिए। दर्द गम अपना छिपाना चाहिए।1 हर हकीकत दूर से दिखती नहीं, और ठोडा पास आना चाहिए।2 टूट कर यह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 285 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Sep 2021 · 1 min read कौन सी अपनी कमाई जा रही है कौन सी अपनी कमाई जा रही है। बाप की दौलत लुटाई जा रही है। जो बुजुर्गों ने बनाई थी यहाँ पर, खाक में इज्जत मिलाई जा रही है। सभ्यता की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 428 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Sep 2021 · 1 min read नैन द्वार अधखुले छोड़कर कैसे कोई जा सकता है, अपनों से यूँ मुंह मोड़कर। सँगदिल बनकर पत्थर बनकर,नाज़ुक सा यह हृदय तोड़कर। अब भी क्या उम्मीद बची है, लौट पुनः तुम आओगी क्या- क्या... Hindi · मुक्तक 314 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Sep 2021 · 1 min read मुक्तक बड़ा मासूम है चेहरा है, निगाहें हैं बड़ी कातिल। छलकते होंठ के प्याले, किए जीना बड़ी मुश्किल। तुम्हारी गेसुओं की छांव में, रहने की हसरत थी- मगर किस्तम में कोई... Hindi · मुक्तक 1 215 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Sep 2021 · 1 min read मुक्तक दोराहे पर तड़प रही है, हिंदी अपनी प्यारी। कोर्ट कचहरी से संसद तक, फिरती मारी-मारी। बोल विदेशी सबको प्यारे, हिंदी से शरमाते- गैरों की मत बात करो जी, अपनों से... Hindi · मुक्तक 422 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Sep 2021 · 1 min read मुक्तक आधार छन्द -मोटनक(मापनी युक्त, वार्णिक, 12,मात्रा) मापनी-गागा,ललगा,ललगा,ललगा। 'मुक्तक ' मेरे सपने सब टूट रहे। साथी अपने सब छूट रहे। है हाल बुरा अब क्या कहना- जो रक्षक थे वह लूट... Hindi · मुक्तक 352 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Sep 2021 · 1 min read हिंदी दिवस विधा:- मुक्तक अंग्रेजी मोहित करे, घर आंगन बाजार। हिंदी दिवस मना लिए, कर आए उपकार। हिंदी से जिसको नहीं, हुआ अभी तक प्रेम- हिंदुस्तानी है नहीं, लगता है गद्दार। हुई... Hindi · मुक्तक 210 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 13 Sep 2021 · 2 min read मुक्तक 28 मात्रिक ( मुक्तक 28 मात्रिक) प्रदत्त शब्द- शिक्षा, जीवन, अनुदान तुहीं सांसें, तुहीं धड़कन, तुहीं हर अंग है भगवन। तुम्हारे बिन कहाँ जीवन, में' कोई रंग है भगवन। न कोई गम... Hindi · मुक्तक 236 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 13 Sep 2021 · 1 min read हिंदी के हत्यारे गीत। *************************************** हम सब हिंदी भाषी ही तो, हिंदी के हत्यारे हैं। निज भाषा शर्मिंदा करती, बोल विदेशी प्यारे हैं। उस थाली में छेद करें हम, खाते हैं जिस थाली... Hindi · गीत 3 2 568 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 9 Sep 2021 · 1 min read मुक्तक मानवता का दुश्मन है यह, नशा न करना भाई। नशा किया है जिसने उसका, जीवन है दुखदाई। घर परिवार बिखर जाता है, दुख मिलता जीवन भर- इज्ज़त और प्रतिष्ठा खोती,... Hindi · मुक्तक 302 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 9 Sep 2021 · 1 min read मुक्तक अश्क हरपल बहाना नहीं जिंदगी। हर घड़ी सर झुकाना नहीं जिंदगी। सांस जबतक रहे आस मत छोड़ना हार कर बैठे जाना नहीं जिंदगी। जख्म अपना सभी से छुपाया गया। अश्क... Hindi · मुक्तक 246 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 9 Sep 2021 · 1 min read कुछ मुक्तक बेवजह सर खपाने से क्या फायदा। उम्र अपनी छुपाने से क्या फायदा। चेहरे पर बुढ़ापा नजर आ रहा- केश डाई कराने से क्या फायदा। हर घड़ी आप गैरों के' होते... Hindi · मुक्तक 1 490 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 9 Sep 2021 · 1 min read कुछ दोहे दोहा लिखा न जा रहा, करें छंद निर्माण। मुखपोथी पर देखिए, मिलता खूब प्रमाण।। जिनको समझ न आ रहा, दोहा छंद विधान। निर्माता हैं छंद के, ऐसे लोग महान।। समझ... Hindi · दोहा 198 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 7 Sep 2021 · 1 min read तोटक छंद आधारित मुक्तक आधार छंद- "तोटक" (मापनीयुक्त वर्णिक, 12 वर्ण) वर्णिक मापनी- ललगा ललगा ललगा ललगा ध्रुव शब्द- "विष" ॐ शिव वंदन तो भगवान किये। सुत अंजन के हनुमान किये। विष वारिधि मंथन... Hindi · मुक्तक 217 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 6 Sep 2021 · 1 min read मुझे भी याद कर लेना हृदय से आज अपनी याद, को आजाद कर लेना। मिले जितनी खुशी उतना, मुझे बर्बाद कर लेना। तुम्हारे बिन सुनो अब तो, बड़ा मुश्किल हुआ जीवन। मिले फुर्सत कभी तुमको,... Hindi · मुक्तक 478 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 1 Sep 2021 · 1 min read भाई बहन रिक्त उदर निज हो भले, कैसा यह अनुराग। भाई के हित में सदा, बहन करे परित्याग। बहन करे परित्याग, खिलाती मुख में भोजन। अद्भुत है यह दृश्य, सुपावन प्रेम प्रयोजन।... Hindi · कुण्डलिया 424 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 1 Sep 2021 · 1 min read मुक्तक -----: मुक्तक :----- वादे करना स्वप्न दिखाना, हाय चुनावी रोग। नेताओं की चिकनी चुपड़ी, समझ गये हैं लोग। जाति धर्म का जाल बिछा कर, झोंक रहे हैं धूल- जनता की... Hindi · मुक्तक 2 236 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 31 Aug 2021 · 1 min read देखो सूर्य दिलाने आये गीतिका :- ---------- मजनूं वहीं पुराने आये। लेकर नये बहाने आये। बीच सफर में छोड़ गये थे, कारण आज बताने आये। अरमानों से खेल-खेल कर, दिल अपना बहलाने आये।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 219 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Aug 2021 · 1 min read यह कैसा अंगार तुम्हारी आंँखों में गीतिका आधार छंद - मंगल माया (मापनी मुक्त मात्रिक) विधान - कुल 22 मात्राएँ, 11,11 पर यति, यति के पूर्व गाल, पश्चात लगा अनिवार्य समांत - आर, पदांत - तुम्हारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 339 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 23 Aug 2021 · 1 min read आम आदमी मुक्तक ३२ मात्रिक प्रदत्त शब्द-आम आदमी बेबस भूख गरीबी से हो, खेतों में लाचार रो रहा। आम आदमी के सपने का, संसद में व्यापार हो रहा। मँहगाई विकराल हो गई,... Hindi · मुक्तक 2 253 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 23 Aug 2021 · 1 min read रक्षाबंधन मुक्तक रक्षाबंधन का त्योहार। भइया बहिनी का है प्यार। राखी का यह बंधन खास- लेकर आये खुशी अपार। खुशियों भरा संसार है अनमोल। पावन बहुत त्योहार है अनमोल। विश्वास है... Hindi · मुक्तक 2 256 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Aug 2021 · 1 min read हम हैं भारतवासी विधा - गीत मात्राभार - 16+12 = 28 सीधे सच्चे दिल के अच्छे, हम हैं भारतवासी। रग-रग में है गंगा यमुना, घर-घर में है काशी। इक दूजे के सुख-दुख में... Hindi · गीत 2 217 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 19 Aug 2021 · 1 min read झूठ की रोटी चबाकर पल रहे हैं गीतिका मापनी-२१२२ २१२२ २१२२ नफरतों की आग में जो जल रहे हैं। आज अपने-आप को ही छल रहे हैं। द्वेष, ईर्ष्या आपसी रंजिश हृदय में, राह में काँटे बिछाकर चल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 366 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 16 Aug 2021 · 1 min read जीवन में आधार छंद - सिंधु मापनी - 1222 1222 1222 रहे खुशियों भरा संसार जीवन में। मिले बस प्रेम का व्यापार जीवन में। सुसंगत में कटे जीवन कृपा करना- बहे साहित्य... Hindi · मुक्तक 219 Share Previous Page 2 Next