Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2021 · 1 min read

सियासत में लपकने को नया सामान आया है

सभी चिल्ला रहे लगता, कहीं पर श्वान आया है।
न जाने आज मुर्दों में, कहाँ से जान आया है।
नजर गिद्धों की रहती लास पर, दावत उड़ाने को,
सियासत में लपकने को नया सामान आया है।

सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य

Language: Hindi
257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नींबू की चाह
नींबू की चाह
Ram Krishan Rastogi
खो कर खुद को,
खो कर खुद को,
Pramila sultan
मुख  से  निकली पहली भाषा हिन्दी है।
मुख से निकली पहली भाषा हिन्दी है।
सत्य कुमार प्रेमी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दान
दान
Mamta Rani
लौट कर वक्त
लौट कर वक्त
Dr fauzia Naseem shad
कैसे लिखूं
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
इक क़तरा की आस है
इक क़तरा की आस है
kumar Deepak "Mani"
श्री राम के आदर्श
श्री राम के आदर्श
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
Bhupendra Rawat
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
Neelam Sharma
I guess afterall, we don't search for people who are exactly
I guess afterall, we don't search for people who are exactly
पूर्वार्थ
★मां का प्यार★
★मां का प्यार★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
आज जो कल ना रहेगा
आज जो कल ना रहेगा
Ramswaroop Dinkar
* हो जाता ओझल *
* हो जाता ओझल *
surenderpal vaidya
मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
साथ हो एक मगर खूबसूरत तो
साथ हो एक मगर खूबसूरत तो
ओनिका सेतिया 'अनु '
"प्रेम -मिलन '
DrLakshman Jha Parimal
दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
sushil sarna
"नया साल में"
Dr. Kishan tandon kranti
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
Aarti sirsat
23/177.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/177.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
Rj Anand Prajapati
ग़़ज़ल
ग़़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
शिक्षार्थी को एक संदेश🕊️🙏
शिक्षार्थी को एक संदेश🕊️🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
आँखें शिकायत करती हैं गमों मे इस्तेमाल हमारा ही क्यों करते ह
आँखें शिकायत करती हैं गमों मे इस्तेमाल हमारा ही क्यों करते ह
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
कहां से कहां आ गए हम....
कहां से कहां आ गए हम....
Srishty Bansal
#एक_विचार
#एक_विचार
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ ख़ुमारी बादलों को भी रही,
कुछ ख़ुमारी बादलों को भी रही,
manjula chauhan
Loading...