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9 Sep 2021 · 1 min read

कुछ दोहे

दोहा लिखा न जा रहा, करें छंद निर्माण।
मुखपोथी पर देखिए, मिलता खूब प्रमाण।।

जिनको समझ न आ रहा, दोहा छंद विधान।
निर्माता हैं छंद के, ऐसे लोग महान।।

समझ नहीं आता जिन्हें, छंदों के सुर-ताल।
छंद बनाते फिर रहे, भाई मनसुख लाल।।

सत्य कभी मत बोलिए, होती है तकरार।
उलझन मिलती व्यर्थ में,दुश्मन बनें हजार।।

वाह-वाह करते रहो, बने रहोगे मीत।
सत्य बात पर साथियों, टूटा मधुरिम प्रीत।।

चलना तो आता नहीं, बना रहे हैं राह।
कुछ चमचों को जोड़ कर, करा रहे हैं वाह।।

#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य

Language: Hindi
179 Views
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