वो ही प्रगति करता है
(शेर)- कौन किसको कितना पसंद करता है।
लेकिन ऐसा ख्याल, जो नहीं करता है।।
वो ही बढ़ता जाता है, प्रगति के पथ पर।
जमाने का क्या, वो तो ऐसे ही जलता है।।
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कौन तुमको यहाँ पर, कितना पसंद करता है।
नहीं जो सोचता ऐसा, वो ही प्रगति करता है।।
नहीं जो सोचता ऐसा——————।।
होंगे कुछ लोग खुश तुमसे, देखकर तुम्हारी राह।
तुमसे जलने वालों के, मुँह से तो निकलेगी आह।।
जमाने के तानों की, परवाह जो नहीं करता है।
अपनी राह मंजिल में, वो ही आगे बढ़ता है।।
कौन तुमको यहाँ पर——————।।
बहुत मतलबी है लोग, दे दे तू चाहे इनको जान।
छोड़ जायेंगे तुमको तन्हा, भूलकर तेरे अहसान।।
अपनी बुद्धि से जो काम, जमाने में करता है।
नहीं होता वह बर्बाद, ख्वाब पूरे वो करता है।।
कौन तुमको यहाँ पर——————।।
तुम्हारे ये ही तो दोस्त, तुमको बदनाम करेंगे।
तेरी बुलन्दी से जलकर, तुम्हें नीचे गिरायेंगे।।
ऐसे अपने लोगों से जो, जी. आजाद रहता है।
वो ही अपने जीवन में, सितारें रोशन करता है।।
कौन तुमको यहाँ पर——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर – 9571070847