Mugdha shiddharth Tag: कविता 458 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Mugdha shiddharth 17 Aug 2020 · 1 min read बीज पुरुष बीज हो सकते थे और स्त्री धरा जो धारण कर सकती थी बीज को और दे सकती थी एक बीज के एवज में सैकड़ों बीज ... प्रतिदान में महानता... Hindi · कविता 5 1 256 Share Mugdha shiddharth 17 Aug 2020 · 1 min read उम्र वो रोज व रोज, लम्हा दर लम्हा कुछ कदम चलती है उम्र ... मौत से ही तो गले मिलने को निकलती है मैं कहती रहती हूं, अक्सर जरा तेज कदमों... Hindi · कविता 3 1 245 Share Mugdha shiddharth 16 Aug 2020 · 1 min read कुछ खाब कुछ खाब चूमती थी पलकें, कुछ बूंदे मोती सी हो जाती थी उसको छूकर जब पगली हवा हौले से मुझको छू जाती थी ~ सिद्धार्थ हॅंस दूॅं क्या ... कि... Hindi · कविता 7 2 267 Share Mugdha shiddharth 16 Aug 2020 · 1 min read अभिशप्त बीज अभिशप्त बीज चिड़िया के चोच से गिरी दर्रे में सदियों सिसकती रही इक दिन ... पानी मिट्टी मिली इश्क की सोंधी सी हवा चली चटक कर बीज टूट गई बीज... Hindi · कविता 4 1 463 Share Mugdha shiddharth 16 Aug 2020 · 1 min read कमी हर बार मुझी में ढूंढी गई कमी हर बार मैं इंसान ही बनी रही हर बार पलट कर हमने कहा फ़रिश्ते कहीं और ढूंढे जाएं हम इंसान हैं ... बेहतर... Hindi · कविता 5 1 272 Share Mugdha shiddharth 15 Aug 2020 · 1 min read सन्नाटे को तकिया धुआं को गिलाफ कर लिया सन्नाटे को तकिया धुआं को गिलाफ कर लिया हमने आज फिर से "जाना" तुझ को मांफ कर दिया भटकते रहे देर तक दिल के सर्द गलियों में तन्हा हम ये... Hindi · कविता · बाल कविता 3 1 203 Share Mugdha shiddharth 15 Aug 2020 · 1 min read बुलाई नहीं गई तुझ से लाई नहीं गई, मुझ से बुलाई नहीं गई रूह की फरमाइश थी यही बताई नहीं गई मसला ये नहीं दस्तक दिए हमने कितनी बार मसला तो ये हुआ... Hindi · कविता 4 413 Share Mugdha shiddharth 14 Aug 2020 · 1 min read उसका होना न होना अर्थहीन हो चुका था उसका होना न होना अर्थहीन हो चुका था वो डूबती निकलती संसो की तरह मुझ में ही समाहित हो चुका था उसका मुझ में ही ठहर जाने को मैं ठीक... Hindi · कविता 4 1 438 Share Mugdha shiddharth 14 Aug 2020 · 1 min read अना मेरे नाखून पे लगे नेलपालिश से लिपट गया था उसका आना मैं चबा रही थी धीरे धीरे जाने कब ... अंगुलियाॅं चबा बैठी ... ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 2 1 453 Share Mugdha shiddharth 14 Aug 2020 · 1 min read संभावना बड़ी देर तक करवट बदलती रही बिस्तरे के चौबारे में मेरी देह और मन था कि तुम्हारे आंगन में खिल उठा था रात रानी की तरह यक ब यक एक... Hindi · कविता 3 4 242 Share Mugdha shiddharth 14 Aug 2020 · 1 min read जान हम तुमसे कैसे मिलें कितना खुलें, कितना खिलें कैसे कहें ... जान मुहब्बत है ये आंखों से मेरे बहता पानी ये शब्दों की अपनी मनमानी सतरंगी इश्क को कैसे लिखें जान हम तुमसे कैसे... Hindi · कविता 3 430 Share Mugdha shiddharth 13 Aug 2020 · 1 min read सावन - भादो तुम नाचते हो सावन भादो का नाम सुन कर जिस्म से चश्म तक मेरी सब धुलने लगती है करूं भला मैं किस दरवेस से तब शिकवा नेमत-ए-ज़ीस्त भी जब पिघलने... Hindi · कविता 5 2 562 Share Mugdha shiddharth 13 Aug 2020 · 1 min read हम न थे वो, वो कोई और ही रहे होंगे हम न थे वो, वो कोई और ही रहे होंगे यार के दिल को जो यूॅं ही भा गए होंगे उनके मुहब्बत के हसीन बुत खाने में हम जैसे कई... Hindi · कविता 2 187 Share Mugdha shiddharth 13 Aug 2020 · 1 min read मौत के हथेली पे लिखा इक मेरा नाम था मौत के हथेली पे लिखा इक मेरा नाम था हमने कहा … जा अभी फुर्सत नहीं यार से मिलना मेरा सबसे जरूरी काम था जिंदगी से कोई गिला शिकवा नहीं... Hindi · कविता 6 238 Share Mugdha shiddharth 12 Aug 2020 · 1 min read राहत ... ️ ??? देह का मर जाना हुआ, नेह का रह जाना हुआ वो क्या गया यारों आंखों से लहू का छलक जाना हुआ सब का जाना तय है, उसको तो यूॅं... Hindi · कविता 5 1 452 Share Mugdha shiddharth 12 Aug 2020 · 1 min read राहत खूंटा ठोक कर इस दहर में रहने भला कौन आया है सभी ने कभी न कभी चमड़े के जुबां से गंध फैलाया है तारीखों के सफ़हा पे सब के सब... Hindi · कविता 4 379 Share Mugdha shiddharth 9 Aug 2020 · 1 min read मैं पत्थर हूं... चलो घिस लो हमें कि पत्थरें नहीं रोती है घिस कर भी अपनी खासियत नहीं खोती है कभी मेहंदी, कभी चानन को पिसती है पत्थर से पत्थर घिस दो तो... Hindi · कविता 4 2 396 Share Mugdha shiddharth 9 Aug 2020 · 1 min read प्यार घास है प्यार नहीं मरता प्यार मारा जाता है घास से रिक्त धरती धीरे धीरे उसड हो जाती है दिल के धरती पे प्यार घास है और मैं अपनी धरती उसड़ नहीं... Hindi · कविता 2 1 344 Share Mugdha shiddharth 9 Aug 2020 · 1 min read यार न रहा भीग रही हूं खुद के ही टूट के बरस जाने से तुम खोल दो दरवाजे हम से सब्र नहीं हो रहा चलो माना हमने, तुम्हारा हमरा कोई रिश्ता नहीं क्या... Hindi · कविता 2 426 Share Mugdha shiddharth 9 Aug 2020 · 1 min read दर्द अंदरुनी नहीं कंठ घिस गए हैं चीखते चीखते आप कहते हैं दर्द अंदरुनी नहीं आप ही कहें किस तरह से चींखें हम कि आप को लगे दर्द ये बेमानी नहीं आईए कि... Hindi · कविता 2 202 Share Mugdha shiddharth 8 Aug 2020 · 1 min read हां ... वो लडके भी अच्छे लगते हैं कुछ वो लडके भी अच्छे लगते हैं जो खोए रहते हैं अपने ही ख्यलों में ओढ़े रहते हैं दर्द की चादर चौक चौराहों में थाम लेते हैं बरबस गिरते हुए... Hindi · कविता 3 4 364 Share Mugdha shiddharth 8 Aug 2020 · 1 min read मैं किस तरह भला उसको बताऊंगी मैं किस तरह भला उसको बताऊंगी यार तेरे हर बात पे सदके मैं जाऊंगी वो तेरा मेरे मुॅंह पे दरवाजा बन्द करना बस उस लम्हें को कभी न भुला पाऊंगी... Hindi · कविता 1 270 Share Mugdha shiddharth 8 Aug 2020 · 1 min read कान्हा छोड़ गए बृंदा वन को कान्हा छोड़ गए बृंदावन को क्या राधा उन्हें छोड़ पाएगी उनके याद बैठी वो क्या अंखियों से नीर बहाएगी प्रेम बड़ा सबल है कान्हा सारी उम्र प्रीत निभाएगी सूने क़दम... Hindi · कविता 1 319 Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2020 · 1 min read कोढ़ कोढ़ छुपाने का प्रयास कहां कभी सफल हो पाया है हाय ... कोढ़ भला कब दुनियां से छुप पाया है सड़ गल के बदन का हिस्सा अक्सर ही जमीं पे... Hindi · कविता 2 488 Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2020 · 1 min read कोई चाॅंद नहीं तकता मुझे कोई चाॅंद नहीं तकता मुझे कोई जां नहीं समझता मुझे तकते होंगे कईयों मेरे डीपी को पर रूह को मेरे कोई नहीं तकता है जलता कोयला कहां कोई पसंद करता... Hindi · कविता 2 1 220 Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2020 · 1 min read मेरा भगवान ... राम मेरा भगवान ... राम प्यास मैं तो ... भागीरथी राम भूख मैं तो ... रोटी राम नंगा मैं तो ... लंगोटी राम बेघर मैं तो ... घर राम शाखा मैं... Hindi · कविता 4 2 393 Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2020 · 1 min read चलो राम ... चलो राम ... हम आज ठहाके लगा कर हॅंसते हैं राम नामी चादर भूखों को ओढ़ा कर हम देखते हैं भूख से रोते बिलखते दीन - हीन अर्थ विहीन चिल्काओं... Hindi · कविता 4 2 549 Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2020 · 1 min read रण्डी वो जो मेरे जिस्म से हर रात खेला करता है शौक है उसको वो माॅं जाई को रण्डी कहता है जले भी हम हम्ही वो फूल जो बिस्तर में कुचलेजाएं... Hindi · कविता 5 489 Share Mugdha shiddharth 5 Aug 2020 · 1 min read दर्द हम दर्द को पैरहन किए बैठे थे तुम मिले तो होठ हसने लगे थे अब जाके हमें होस आया है जना तुम तो दिल से दिलगी किए बैठे थे ~... Hindi · कविता 4 209 Share Mugdha shiddharth 5 Aug 2020 · 1 min read गाहे बगाहे गाहे गवाहे ही सही तुम मुझे भी याद कर लेना वो कौन सा मैं तुमसे लम्हों का हिसाब माॅंगुंगी बहुत शौक था आंखों को ख़वाब देखने की अब कि आंखों... Hindi · कविता 5 1 394 Share Mugdha shiddharth 5 Aug 2020 · 1 min read है मुहब्बत बड़ी बेकार सी चीज है मुहब्बत बड़ी बेकार सी चीज नज़र को जचता है कोई और दिल जिद कर के कर आती है चोरी चोरी आंखों के रस्ते यार का घर दिल दिल के... Hindi · कविता 5 2 482 Share Mugdha shiddharth 5 Aug 2020 · 1 min read क्या करें हम तुम्हें देखते मेरी जान मगर क्या करें पलकों ने मेरे अना के जेबर पहन लिए देखने को तुम्हें सौ तरीके संभाल रखे थे हमने दिल ने मगर मुहब्बत के... Hindi · कविता 4 1 193 Share Mugdha shiddharth 2 Aug 2020 · 1 min read लूट कोई लूट रहा कोई लुट रहा कोई लुटते लुटते आँखों से फूट रहा गोदामों में मिलिक के लगाए ताले है बूढ़े - बच्चों का भूख से दम घूट रहा राम... Hindi · कविता 2 200 Share Mugdha shiddharth 2 Aug 2020 · 1 min read मुक्तक वो अब भी मुझ में कुछ हिस्सों का किस्सा बन कर छूटा है कुछ उसके घर में मैं छूटी हूँ, कुछ मेरे घर में वो छूटा है ! ...सिद्धार्थ सभी... Hindi · कविता 4 362 Share Mugdha shiddharth 2 Aug 2020 · 1 min read स्त्रियाँ एक दिन उचक कर धीरे से तुम्हारे कान में कहेंगी स्त्रियां "स्त्री" देह के रंगभूमि से भी अलग कुछ है स्त्रियां कुछ नहीं बहुत कुछ हैं ... ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 2 1 194 Share Mugdha shiddharth 2 Aug 2020 · 1 min read बस तुम बेईमान हो तुम्हें उन लोगों से ख़ब्त की बू आती है जो बात करते हैं आजादी की शिक्षा की रोजगार की तुमने कभी सोचा है कितनों ने इसी आजादी, समता, समानता की... Hindi · कविता 3 2 490 Share Mugdha shiddharth 2 Aug 2020 · 1 min read तुम आना एक शाम तुम आना एक शाम अपने बालों को बादल कर जना उड़ती हवाओं के पंखों पे चढ़ खेतों में उतर जाना तुम आना आस के जैसे भूखा बच्चा तकता हो मां... Hindi · कविता 2 1 435 Share Mugdha shiddharth 2 Aug 2020 · 1 min read चाँद यूॅं तू चाॅंद को देखा न कर,तेरे देखे से चाॅंद जल जाएगा तेरे आँसूओं के गोद में वो कतरा कतरा पिघल जाएगा ~ सिद्धार्थ जाॅं हम तुम्हें देखें या चाॅंद... Hindi · कविता 3 2 367 Share Mugdha shiddharth 31 Jul 2020 · 1 min read हम कतरा थे क्या शिकायत करते हम उनसे उनके जहां में हम तो कतरा थे उनके रेशम जैसी दुनियां के लिए हम दाग बन लग जाने के खतरा थे देखा न पलट कर... Hindi · कविता 2 1 339 Share Mugdha shiddharth 31 Jul 2020 · 1 min read पतंग मुर्शिद हमारी पतंग कट गई बादल के गांव में मुर्शिद पतंग बह के गिरी है मेरे ही पांव में ~ सिद्धार्थ फलक को छू ले पतंग कागजी मांझे को जरा... Hindi · कविता 4 3 488 Share Mugdha shiddharth 31 Jul 2020 · 1 min read कोई वादा न हमने तुमसे था किया कोई वादा न हमने तुम से था किया कोई वादा न तुमने हमसे था किया पांव रुकता रहा मगर तेरी हर एक आहट पे भीड़ में भी अलग से तुझे... Hindi · कविता 5 3 281 Share Mugdha shiddharth 31 Jul 2020 · 1 min read डर लगता है आज कल हर बात पे डर लगता है कोयल के गाने से भी डर लगता है मैं कब थी किसी और की जो तेरी हो जाने से डर लगता है... Hindi · कविता 4 2 482 Share Mugdha shiddharth 30 Jul 2020 · 1 min read थोड़ा सा इश्क थोड़ा सा इश्क थोड़ी सी नादानी थोड़ा सा बचपन थोड़ी मनमानी बचपन का प्रेम यादों में करे मनमानी कहती थी मुझको हस कर मेरी नानी थोड़ी सी मस्ती थोड़ी अल्हड़... Hindi · कविता 3 2 263 Share Mugdha shiddharth 30 Jul 2020 · 1 min read सुनो ... कुछ कहूं क्या सुनो... कुछ कहूं क्या? मत जाओ... गांवों की तरफ़ मत बोओ मौत खुली वादियों में पेड़ पहाड़ नदी नाला, खेत खलिहान सब मर जाएंगे, सब खारे हो जाएंगे जाना चाहते... Hindi · कविता 3 1 416 Share Mugdha shiddharth 30 Jul 2020 · 1 min read अल्फ़ाज़ सब ने कहा जी भर जियो तुमने कहा हंस कर जियो दिल ने कहा... तुम से मिल कर जियो हम कहते हैं, देखा जाय... पहले तुम मिलते हो या मौत...... Hindi · कविता 1 210 Share Mugdha shiddharth 30 Jul 2020 · 1 min read ये इश्क क्या होता है ? दिन भर बेगार खटने के बाद जब शाम को घर की देहरी पे पैर पड़े और इंतजार में बैठी मेहरी उत्सुक निगाहों से चेहरे की थकान नहीं अंगोछे की गांठ... Hindi · कविता 4 1 360 Share Mugdha shiddharth 29 Jul 2020 · 1 min read परस्तिश कौन करे परस्तिश उसकी खुदा हुजरों में कैद हुआ है हालत ए हाल थी ख़राब उसकी सो यार मेरा खुदा सा हुआ है ? ~ सिद्धार्थ ... बुतों की परस्तिश... Hindi · कविता 4 2 277 Share Mugdha shiddharth 28 Jul 2020 · 1 min read देख रही हूं सूरज को ढह कर नदी में गिरते देख रही हूं मैं क्षितिज पर दिन को सांझ में ढलते देख रही हूं। बूढ़े बाबा के साथ में मुनिया, मुनियां के हाथ... Hindi · कविता 3 1 349 Share Mugdha shiddharth 28 Jul 2020 · 1 min read शानदार हंसना रोना दोनों था शानदार हंसना रोना दोनों था मैंने हंसी को चुना चेहरे की दीवार पे गिरते मुस्कानों के परछाईं को मैंने कभी नहीं गिना ~ सिद्धार्थ जो गुजर गया वो ख़ाब था... Hindi · कविता 2 2 184 Share Mugdha shiddharth 28 Jul 2020 · 1 min read उम्र के स्याह सलेट पे उम्र के स्याह सिलेट पे हर लम्हा दर्ज होता रहता है … वस्ल की उम्मीदों वाला सुबह हंसता है ... तो हिज्र के दामन से लिपटा रात भी तो भीत... Hindi · कविता 2 1 273 Share Previous Page 3 Next