Jaikrishan Uniyal Language: Hindi 240 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Jaikrishan Uniyal 14 Apr 2020 · 2 min read मानवता के दुश्मनों से हो जाओ सावधान! अपने अहंकार में हैं यह सब लहू -लुहान, पुरे विश्व समाज को करके ये परेशान! दीन-दुखी जूझ रहे,कैसे बचाएं जान, एक छोटे से वायरस से हुए लोग हलकान! ये मंद-मंद... Hindi · मुक्तक 1 2 235 Share Jaikrishan Uniyal 12 Apr 2020 · 8 min read प्रसंग वश-समय चक्र-स्वाधीनता से अब तक! [प्रथम भाग!] वर्ष तिहत्तर हो रहे,हुए हमें आजाद! अमर शहीदों का हमें मिला पुण्य प्रसाद! नौनिहाल सब सुखी रहें,रहे देश खुशहाल ! इन्हीं आकांक्षाओं में हो गए देश पर निहाल ! मर... Hindi · लघु कथा 2 2 328 Share Jaikrishan Uniyal 9 Apr 2020 · 1 min read लौक डाउन [ताला बंदी] मेरे सपने में आया ! लौक डाउन मेरे सपने में आया! आकर उसने मुझे बताया!! मुझे अभी रुकने को कहा गया है! काम नहीं पुरा हुआ है!! तू तो चाहता था,मैं चला जाऊँ! मुझे कहा... Hindi · कविता 2 2 611 Share Jaikrishan Uniyal 7 Apr 2020 · 2 min read जाता क्या तू चायना! ऐ-सुन ! सुना. ! जाता क्या तू चायना! क्या करूँ जाकर के चायना! खेलेंगे,,नौकरी करेंगे,ब्यापार करेंगे,! और लायेंगें,वहाँ से कोरोना! ऐ-सुन! सुना ! जाता क्या तू चायना! क्या करूँ,मैं जाकर... Hindi · कविता 1 2 500 Share Jaikrishan Uniyal 6 Apr 2020 · 1 min read परीक्षा परीक्षाएँ हमने दी है कई बार,सफल-असफल का करके विचार! मिली सफलता तो खुशी का अहसास,रहे असफल तो हुए उदास रुके नही,ना हम अकुलाए,फिर किया प्रयास आगे बढ़ पाए!। आज परीक्षा... Hindi · कविता 1 2 252 Share Jaikrishan Uniyal 5 Apr 2020 · 1 min read चलो,जंलाएं दिए! राह में चलते हुए, मिल जाते हैं कितने ही राही-राहगीर! और बिछुड जाते हैं, दो राहों पर! जो चले थे साथ हम सबके । पर ,यह देखना हमारा ही काम... Hindi · कविता 2 2 383 Share Jaikrishan Uniyal 3 Apr 2020 · 3 min read प्रसंग वश-वचन-प्रण-या हठ! युगों युगों से चली आ रही है यह प्रथा!कभी वचन,कहीं प्रण की कथा!आज हम उसको हठ कहते हैं,कुछ लोग इसे जीद भी कहते हैं! पर है यह एक प्रकार की... Hindi · कविता 2 212 Share Jaikrishan Uniyal 2 Apr 2020 · 2 min read छोड़ भी दो अब राग कोरोना! छोड़ भी दो अब राग कोरोना! उससे डर कर भयभीत होना! उठो चलो कुछ पुरुषार्थ करो ना,क्या दिनभर बैठे,रात को सोना! दीन-दुखियों का साथ भी दो ना,उनकी भूख,प्यास का काम... Hindi · कविता 298 Share Jaikrishan Uniyal 31 Mar 2020 · 2 min read पलायन का संकट!-गाँवों की उपेक्षा-शहरों का आकर्षण! जैसे ही हुआ यह ऐलान,सड़कें हो गई सुनशान! महामारी से बचने का यह उपाय है,घर पर ही रुकने का सुझाव है! शहरों में था सन्नाटा पसरा, गाँवों पर ना कोई... Hindi · कविता 1 2 216 Share Jaikrishan Uniyal 30 Mar 2020 · 2 min read जीवन जीने की जंग-गांव शहर के संग! अदृश्य शत्रु की आहट बडी है,यह संकट की विकट घड़ी है! घर पर रहने का आग्रह है,इसमें नहीं कोई दुराग्रह है! ठहरे हुए भी हैं लोग घरों पर, कहे अनुसार... Hindi · कविता 1 317 Share Jaikrishan Uniyal 28 Mar 2020 · 3 min read महाभारत का संदर्भ!कोरोना से जंग !! महाभारत का युद्ध,जो शताब्दियों पूर्व हुआ था, जिस युद्ध में,दुश्मन भी जाना- पहचाना था! और दुश्मनी की चाहत भी स्पष्ट थी पता, युद्ध जो अधिकार और अंहकार के मध्य था!... Hindi · कविता 1 487 Share Jaikrishan Uniyal 27 Mar 2020 · 2 min read कोरोना की जंग में मूच्छें गंवाई! मुझे प्यारी थी अपनी मुच्छे, ज्यादा बड़ी नहीं थी मेरी मुच्छे! छोटी सी थी मेरी मुच्छे, पर प्यारी सी थी मेरी मूच्छे! रखता था मैं उसका ख्याल, बड़े जतन से... Hindi · हाइकु 1 2 505 Share Jaikrishan Uniyal 19 Mar 2020 · 2 min read जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां ! जय-जय गंगे मां,हर-हर गंगे मां, पाप नाशनी मां,मोक्ष दायिनी मां, तारण हारणी मां, हे कल्याणी मां! हरि चरणों में तेरा वास है, ब्रह्म कमण्डल में तेरा निवास है, शिव शंकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 437 Share Jaikrishan Uniyal 17 Mar 2020 · 3 min read कोरोना दिखा रहा डर भारी! कोरोना दिखा रहा डर भारी, यात्रा को निकले थे हम घर से, सपरिवार यह यात्रा हमारी, तिरुपति बाला जी की! के दर्शन को बनी थी योजना हमारी! पुत्र सेवा में... Hindi · कविता 1 245 Share Jaikrishan Uniyal 12 Mar 2020 · 2 min read कन्नैया-कन्नैया तुम्हें आना पड़ेगा!वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा आओ मोहन प्यारे,आओ!संकट में है दीन दुखीयारे, विनती कर-कर तुम्हें पुकारे,तुमने कितने ही हैं संकट टारे! जब-जब भीड़ पडी भक्तों पर,आकर तुमही सकंट हारे! आओ मोहन प्यारे, आओ! आकर संकट... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 670 Share Jaikrishan Uniyal 7 Mar 2020 · 2 min read तृष्णा से पूर्णता की ओर! थी लालसा,पद प्रतिष्ठा को पाने की,मैं आतुर रहा, आया चुनाव गांव-निकाय का,मै तैयार हुआ। मिलते ही अवसर मैंने भी ,चुनाव लडा, लडकर चुनाव में मैंने अपने-पराये का अहसास किया !... Hindi · कविता 1 261 Share Jaikrishan Uniyal 11 Sep 2019 · 1 min read पंचायत चुनाव-अबकी बारी मैं हूँ डिग्री धारी,फिर भी चुनाव लड़ने का नहीं अधिकारी! माना मैं तीन बच्चों का बाप सही,क्या इसलिए चुनाव के योग्य नहीं! हां मैं सवर्ण भी तो हूँ,और चुनाव में... Hindi · कविता 1 833 Share Jaikrishan Uniyal 2 Mar 2019 · 1 min read अभिनन्दन. का. अभिनन्दन शूरवीर हो तुम सैनिको,यह तुमने हर बार दिखलाया था, अभी आतंकियों के घर में घुसकर,तुमने उन्हेें ढहाया था, फिर भी कर गया हिमाकत,दुश्मन, प्रतिशोध दिखाने आया था, खदेड दिया,अन्य साथियों... Hindi · कविता 2 450 Share Jaikrishan Uniyal 24 Feb 2019 · 1 min read शहीदों की शहादत और शहीदी का मर्म शहादत देते वीर अपने, शहादत से कब घबराये हैं, पर अफशोस रहता इस. बात का है, दुश्मन धोखे से आए हैं, आकर सामने से वह वार करते, तब हम मरते... Hindi · तेवरी 446 Share Jaikrishan Uniyal 24 Feb 2019 · 1 min read विरांगना का उदघोष हर आंख में आंसू बह रहे थे, पर वह तो आंसू पी गयी थी, सुबक रहे थे जहां सब नर-नारी, वह दृढ-निश्चयी अडिग खडी थी, लोग दे रहे थे गमगींन... Hindi · लघु कथा 1 230 Share Jaikrishan Uniyal 21 Jan 2019 · 2 min read गले लगना-गले मिलना-और गले पडना बहुत पुराने साथी से भेंट क्या हुई,कि वह गले लग गयेे, एक दुसरे का हाल पूछा,पुरानी यादौं को ताजा किया,व चल दिये, जाते हुए फिर मिलने का वादा किया,और विदा... Hindi · कविता 1 229 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2019 · 1 min read मेरी राशी किलै पैट्यां छैं ऐ लठ्यालौं,कुकर बिरालौं , ं मेरी राशी पर किलै पैट्यां छैं, कुई बुरुणू छै,अपना नगुंन, त कुई बुकौणू छैं,अपना दांतून । दूध पिलाई -रोटी खलाई, फिर भी मी तैं चोट... Hindi · कविता 359 Share Jaikrishan Uniyal 8 Jan 2019 · 3 min read माँ बसन्ती-पिता राम कृष्ण मां बसन्ती,पिता राम कृष्ण,जन्म जिन्होने दिया मुझे, मुझसे पहले,आए जो भाई बहन,उन सबको मेरा अभिन्नदन। माँ समान रमा दीदी,सबसे पहले वो ही आई, पिता तुल्य अग्रज बन्धु,राधा कृष्ण हैं बडे... Hindi · कहानी 251 Share Jaikrishan Uniyal 11 Dec 2018 · 2 min read कृष्ण - द्रौपदी सवांद कृष्ण- -सखी ,यह मैं क्या देख रहा हूँ, ललाट पर चिंता की लकीरें हैं आई, चेहरे पर उदासी है,आंखे हैं सजल,किस चिंता में हो समाई। है रुप तुम्हारा लिए कालिमा,क्या... Hindi · कविता 359 Share Jaikrishan Uniyal 9 Dec 2018 · 1 min read भूत लगी या देवता आई? इक दिन जाणू छौ मीं भाई, तब एक मनखी जोर से चिल्लाई! आवाज सुणीक मैं बौखलाई, पुछी मैंन क्या ह्वै भाई,! क्ंयाक कि खातीर तू ऐनू बरम्नडाई। मेरी बात तैन... Hindi · कविता 3 2 393 Share Jaikrishan Uniyal 30 Sep 2018 · 2 min read जद्दो जहद की तिसरी कडी, सडक और नाली ! जैसे तैसे घर बना दिया,अब सडक बनवानी है, जिस बस्ती में मैं बसा हुँ,वहाँ अभी तक पगडण्डी से काम चलाते हैं,पगडण्डी को सडक बनायें कैसे, इसकी बस्ती में चर्चा करवायी,... Hindi · कविता 253 Share Jaikrishan Uniyal 23 Sep 2018 · 3 min read जिन्दगी की जद्दो जहद के मध्य,ब्यथा और ब्यवस्था की जंग! विद्युत सयोंजन,- द्वीतीय भाग- घर नया बनाया तो विद्युत का सयोंजन चाहिए था, विद्युत कार्यालय गया,और पुछा कैसे मिलेगा संयोजन, वह बोले औन लाईन करो एपलाई, तब मिलने आयेगा कोई... Hindi · कविता 387 Share Jaikrishan Uniyal 13 Sep 2018 · 1 min read आम आदमी की जद्दो -जहद्द के मध्य,ब्यथा और ब्यवस्था की जंग प्रथम भाग ! ब्यथा और ब्यवस्था के मध्य है एक जंग, ब्यवस्था बनाने वाले देते हैं,इसको अनेकों रंग, सीधे -सीधे कोई ब्यथा नहीँ होती है हल, उसको पाने के लिए... Hindi · कविता 301 Share Jaikrishan Uniyal 7 Sep 2018 · 2 min read वेदना में हैं पहाड ये टूटते पहाड, ये खिसकते पहाड, कहीं बिखरते पहाड, तो कहीं चटकते पहाड, हा! ये छिटकते पहाड । जहां लहलहाती थी हरियालियां, जहां सुबह सूरज की किरणों का सुरमयी हो... Hindi · कविता 295 Share Jaikrishan Uniyal 31 Aug 2018 · 1 min read तीस साल पहले का दौर-व-तीस साल बाद का शोर तीस साल पहले जब बोफोर्स का था शोर , तीस साल बाद अब-जब राफेल पर है जोर। बोफोर्स में तब चौंसठ करोड का घपला था, राफेल में अब तीस से... Hindi · कविता 353 Share Jaikrishan Uniyal 29 Aug 2018 · 2 min read जो मैं होता कुंआरा,या पत्नी होती टीचर जो यदि मैं कुंआरा होता,या पत्नी होती टीचर,मै मौजां ही मौजां मे रहता। ना जल्दी उठने की कोई चिन्ता होती, ना देर में सोने का कोई चक्कर रहता ।यदि मैं... Hindi · कविता 351 Share Jaikrishan Uniyal 13 Aug 2018 · 1 min read मैं थका हुआ हूँ कोई काम नहीं है,पर मैं थका हुआ हूँ भारी, मन है बोझिल बना हुआ,और तन में है थकान भारी, शायद इसलिए कि बच्चों को पढा लिखा कर निभाई है अपनी... Hindi · तेवरी 1 231 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jul 2018 · 2 min read यह दोष किसका है‼यहाँ दोषी कौन नहीं❗ देश कि राजधानी,दिल्ली में, तीन बच्चे भुख से मर गये, तो खबर बन गयी। दूर किसी गांव में अक्सर मर जाते हैं किसी न किसी अभाव के चलते, और खबर... Hindi · तेवरी 2 2 447 Share Jaikrishan Uniyal 25 Jul 2018 · 1 min read यह रिस्ता,कैसा है हम्मी से शिकवा,और हम्ही से शिकायत, हम्ही से पाती वो हर रियायत। हम्ही से रहता हैउसको गिला भी, हम्ही से जुडा है,उनका हर सिलसिला भी। हम से है उनकी पहचां,हम्ही... Hindi · कविता 370 Share Jaikrishan Uniyal 14 Jul 2018 · 1 min read गुस्से और नसे के दौर में करें यह उपाय रोड रेज पे लड कर मरते, नसे में दुर्घटना से मरते, मोबाइल से ध्यान भटक कर मरते, पर फिर भी हम नहीं सुधरते। घातक हैं यह जीने की खातिर, गुस्सा,नसा,और... Hindi · कविता 482 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jul 2018 · 1 min read बेटियां अपनी,बेटे पराये बेटे अपनी ससुराल कि सोचें, मां बाप कि सोचे बेटी, जमीन जायदाद कि चाहत सबको, पर बझंर रह गयी खेती, सोच नयी यह बिकषित हो रही, नित इस पर खटपट... Hindi · कविता 512 Share Jaikrishan Uniyal 7 Jul 2018 · 1 min read कुर्सी की चाह,नेताओं की डाह कुछ लोग उन्हे युवराज पुकारें, तो कोई डाह से पप्पू कह कर पुचकारे। कुछ बडे उल्लास से नमो-नमो हैं जपते, तो कोई उन्हे,फेंकू,और चाय वाला हैं कहते। किसी के वह... Hindi · कविता 281 Share Jaikrishan Uniyal 1 Jul 2018 · 1 min read एक और कार्य काल पुरा होता एक और कार्य काल, आस्था और अविश्वास के साथ, बनता विश्वास और टूटती आस, बीत गये चार साल। एक सपना मतदाता का, एक सपना,जन और जनता का, एक... Hindi · कविता 310 Share Jaikrishan Uniyal 30 Jun 2018 · 1 min read अपने अपने मन की अपने मन की करते थे हम जब उनसे आस लगा बैठे अब जो अपने मन की कहते हैं हम चाहते थे अपने मन की, वो अपने मन की कर बैठे।... Hindi · कविता 478 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jun 2018 · 1 min read पत्नी वन्दना दिलवर जानी, रानी, महारानी, मैं तेरी वन्दना करुं, नित तेरा ध्यान धरुं, मान करुं,सम्मान करुं, । तू होती,क्यों रुष्ट बता मुझे अपना कष्ट, मत कर मेरी मति को भ्रष्ट ,... Hindi · कविता 2 1 477 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jun 2018 · 1 min read चोरी मेरी,भी एक चोरी हुई, बहुत नही,थोडी हुई, रहते थे,हम आर्यनगर, बच्चे,पढते थे शहर, गये गांव,थे हम अपने, कल्पना नही कि थी,चोरी कि सपने में लौटे तो,देखा चोरी हो गयी, चोरी... Hindi · कविता 1 254 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jun 2018 · 1 min read दिगभ्रमित मैं,दिगभ्रमित सा खडा सोचता, जाऊँ किधर ,किस राह, आगे है चौराहा, चहुँ दिशाओं में,छाया है अन्धकार, जाऊं किस दिशा में,सुझता नही कोइ विचार, मैं,चला कहाँ से,कुछ याद नही मुझे, मैं,चला... Hindi · कविता 331 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jun 2018 · 2 min read जीवन -मृत्यु के मध्य के वह पल जीवन -मृत्यु के मध्य का वह फासला जो जन्म से शुरु होकर,एक पल से शतआयु तक कुछ भी हो सकता है,उसके प्रारभ्बध्द के अनुसार इसे,न माने हम जीत हार का... Hindi · कविता 362 Share Jaikrishan Uniyal 9 Jun 2018 · 2 min read जीवन-मृत्यु का संघर्ष "एक वानगी" जीवन है संघर्ष पथ, मृत्यु है,कटु एवम् अन्तिम सत्य। जीवन और मृत्यु के मध्य, दूरी है,एक अनिश्चित, प्राणी,तय करता है जब यह सफर, जब कभी पुरी होती है यह यात्रा,... Hindi · कविता 616 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jun 2018 · 1 min read ये चुनाव , हम और वो प्रथम पक्ष- ये चुनाव हमसे क्या ले जाते हैं- मत ,अभिमत चैन,शकुन रिश्तों में खटास सम्बन्धों में दरार, आस-पास कि शान्ति, और मिठास, जाने क्या क्या ले जाते हैं। द्वितीय... Hindi · कविता 230 Share Jaikrishan Uniyal 31 May 2018 · 2 min read पक्ष-विपक्ष का तर्क -वितर्क १-वो लुटे पिटे हैं पर घुटे हुए हैं, हैं झूठे नम्बर एक। हम अच्छे हैं,हम सच्चे हैं, हैं,हम सेवक नम्बर एक। दस पांच नही,बीस तीस नही, है,आधा शतक गवांया, हमने... Hindi · कविता 522 Share Jaikrishan Uniyal 27 May 2018 · 1 min read लो बीतने को है एक और कार्य काल पुरा होता एक और कार्य-काल आस्था और अविश्वास के साथ बनता हुआ विश्वाश और टुटती आस बीत गये हैं ये चार साल । एक सपना मत दाता का, एक सपना... Hindi · कविता 252 Share Jaikrishan Uniyal 19 May 2018 · 2 min read कृष्ण-कर्ण संम्वाद ,प्रसंगवस-आज के परिवेश में कृष्ण-कौन्तेय,करो तुम इस पर विचार, पाण्डवों का साथ देकर,करो भूल में तुम सुधार। कर्ण-"हे मधुसूदन,देर हुई अब, लौट मै नही सकता, दिया वचन है मां गान्धारी को,भाग नही मै पाऊंगा... Hindi · कविता 510 Share Jaikrishan Uniyal 16 May 2018 · 2 min read अटल -नवाज-सम्वाद अटल जी- विश्व बन्धुत्व है मूल मंत्र,मै उस देश से आया हूँ मित्रता का हाथ बढाने,मैं अटल बिहारी आया हूँ, गर साथ निभावो तुम,तो युद्ध कि आशंका थमे युद्ध विनास... Hindi · कविता 1 481 Share Jaikrishan Uniyal 8 May 2018 · 1 min read कुम्भ की डुबकी संग देवदर्शन गोविन्द की लीला रंग लाई, कृष्ण हरि ने राह बनाई,:(योजना): आस्था कि डुबकी लगाने, प्रयाग राज के संगम पे नहाने, चले हम कुछ भाई, साथ में थी बहन ➖भौजाई, शाकम्बरी... Hindi · कविता 356 Share Previous Page 4 Next