पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" Tag: कविता 124 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 17 Dec 2018 · 2 min read आज का इंसान बेजुबां पत्थर की मूरत, पे वो जो लादते करोडो के गहने । दहलीज पे उसके ही, गरीबो के बच्चो को तरसते देखा है।। सजे थे भोग छप्पन थाल मेवे, और... Hindi · कविता 3 310 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 13 Dec 2018 · 1 min read बदलाव रची रचना जो विधना ने, धूप के बाद छावं आएगा। हो असत्य पे आरूढ़ सत्य, फिर से बदलाव लाएगा।। तिमिर घोर हो अंधेर हो, भय की न कोई बात हो,... Hindi · कविता 3 383 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 5 Dec 2018 · 1 min read हाँ वो किसान है। लाल बसुंधरा का वो, वसुधा की माटी में पला, नियति की मार झेल, पग पग पे है गया छला। भले छुब्ध है, लाचार है, सूखे से परेशान है, वो कर्मयोगी... Hindi · कविता 1 486 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 3 Dec 2018 · 2 min read शादी की टॉफी शादी के ही बाद से तो, है मेरे बदले से अंदाज़, कभी तबियत नासाज़ कभी, मैडम है नाराज़। होनी अनहोनी नही, कुछ बात हुई थी फ़क़त, फिर लड़ने को तैयार... Hindi · कविता 1 313 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 2 Dec 2018 · 1 min read फैशनप्रथा फैशन में पहनावे का, ये क्यों बदला स्वरूप है, कल जो पहने मर्दाना, वो आज जनाना रूप है। पहले पुरुष के अंग वस्त्र तो, कम होया करते थे, चमक दमक... Hindi · कविता 1 305 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 25 Nov 2018 · 1 min read तेरे बिना जीना मुश्किल है।। ये सोच के रूह कांपता है, ये सोच के मन घबराता है। पर बोलने से डरता दिल है। तेरे बिना जीना मुश्किल है।। तूहि जीवन मे तुहि धड़कन में, बिन... Hindi · कविता 6 4 456 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 25 Nov 2018 · 1 min read अब जिह्वा क्यों मौन है? छुब्ध संकुचित सी अधर में, कल जो कल-कल खेलती! उस चंचला की जाने कैसे, अब खो गयी अठखेलियाँ! नन्ही सी गुड़िया का पल में, बचपन मिटाता कौन है? ____________________अब जिह्वा... Hindi · कविता 6 4 253 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 19 Nov 2018 · 1 min read अब बनना चाहूँ मैं भी नेता ! बहुत हुई अब खिंचा तानी , खत्म हुई न मेरी परेशानी , करनी है अब तो मनमानी , छोड़ फौज का दाना-पानी , ये नौकरी न कोई सुख देता, झुठी... Hindi · कविता 9 2 310 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 14 Nov 2018 · 1 min read तौबा! तौबा ये शीत लहरी। अब तो कट-कटाते है दाँत, अधर भी कंप-कंपाती है, तौबा! तौबा ये शीत लहरी, तू कितना हमे सताती है। गर्म लिहाफो में वो ठुमके, सुविधाओ से भरपूर है जो, ठिठुर-ठिठुर... Hindi · कविता 16 624 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 13 Nov 2018 · 2 min read लेखनी किसने थमाया है। कैसे कहूँ बिपदा अपनी, मुझे किसने ये रोग लगाया है, सैनिक के हाथों खड्ग छुड़ा, लेखनी किसने थमाया है। कभी जिसके दहाड़ों से थर-थर, पर्वत के पसीने छूटते थे, कभी... Hindi · कविता 8 2 492 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 11 Nov 2018 · 1 min read मेरी भोली ''माँ'' कभी वो व्रत करती है, तो कभी अरदास गाती है। मेरे खातिर न जाने वो, कितने तिकड़म भिड़ाती है।। वो रह उपवास निर्जला, जीवित्पुत्रिका निभाती है। मेरी भोली माँ मुझे... Hindi · कविता 26 21 606 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 11 Nov 2018 · 1 min read सिखलाई जब तक ठोकर लगती नही, तब तक कुछ सीखना मुश्किल है। जब तक हम हार नहीं माने, तब तक नही जीतना मुश्किल है। है मुश्किल पर नामुमकिन नही, लाँघना पर्वत... Hindi · कविता 10 2 401 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 10 Nov 2018 · 1 min read दे पहला अधिकार हमें।। न कटुता तेरी क्रुद्ध करे, न कोई बाधा मार्ग अवरुध्द करे। काल भी थर-थर कांप उठे, जब वैरी संग हम युद्ध करें।। कालजयी हम वीर सिपाही, भाये इसका ही श्रृंगार... Hindi · कविता 11 10 248 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 1 Nov 2018 · 1 min read मेरी भोली “माँ” (सहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता) कभी वो ‘व्रत’ करती है, तो कभी ‘अरदास’ गाती है। मेरे खातिर न जाने वो, कितने तिकड़म भिड़ाती है।। वो रह ‘उपवास’ निर्जला, ‘जीवित्पुत्रिका’ निभाती है। मेरी भोली “माँ” मुझे... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 80 275 2k Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 26 Oct 2018 · 1 min read जाने क्यूँ ? धुवें की अक्स बन अक्सर यादें क्यूँ झलकते हैं पुराने ज़ख्म भी नासूर बन कर क्यूँ उभरते हैं दबाएँ भींच कर मुश्किल से लब पे सिसकियां कितने मगर ये आँसु... Hindi · कविता 14 3 294 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 25 Oct 2018 · 1 min read मानवता . आज नर नराधम निज स्वार्थ में क्यो खो रहा है, बन पिशाचर लालसा में अपने मगन क्यो हो रहा है। . काँपती हुई इस धरा को क्यो देख इंसा... Hindi · कविता 11 242 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 24 Oct 2018 · 1 min read ख़ोज एक दिन कहा युँ जोश में, की मैं शेर दिल इंसान हूँ। तबसे मुझसे जाने क्यूँ वो, हर पल डरे-डरे रहने लगे।। . चौंक जाते, देख मुझको, जब जाता उनके... Hindi · कविता 11 261 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 21 Oct 2018 · 2 min read इज़्ज़त उन्हें बख्शिश कर।। है इल्तेज़ा बस इतनी सी, गर ये तुझको कबूल हो, माफ़ करना मेरी गलती, जो कोई कहीं से भूल हो। हो भविष्य तेरा सफल, बर्तमान उनका सशक्त हो, हर शूल... Hindi · कविता 10 422 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 10 Oct 2018 · 1 min read मतलबी आज लिखूँगा मतलब की बातें, नही बोलना क्यों मैं मतलबी हुँ। है हर शख्स फँसा उसी दायरे में, गर मतलब नहीं तो अजनबी हुँ।। है बाप से मतलब, पूत से... Hindi · कविता 11 490 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 6 Apr 2018 · 1 min read वंसज वो ‘पन्ना धाय’ भी रही नही, ना ‘सबरी’ का वो प्रेम रहा। ‘रैदास भक्त’ की भक्ति का, ना कोई नियति नेम रहा।। ‘निषाद राज’ की काया क्यो, कलुषित दुबिधा झेल... Hindi · कविता 11 432 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 11 Feb 2018 · 1 min read हलाहल राग न नवचेतना जाग लिखूँगा न बलिदानी त्याग लिखूँगा, है मेरा मन ब्यथित मैं आज, "हलाहल राग" लिखूँगा। लुटेरे है जो बैठे बीच हमारे, सफेदपोशों के भेषो में, करें वो पथ... Hindi · कविता 11 287 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 11 Feb 2018 · 1 min read आधुनिकता है गर्व हमे क्यो खुद पे इतना, क्यूँ इस जन्म पे अभिमान है। हैं चिरंजीवी जग में हमीं या, हमारा सरपरस्त भगवान है।। आधुनिक संसाधनों से, न हमे कभी परहेज... Hindi · कविता 11 230 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 11 Feb 2018 · 1 min read आग लोग पूछते है कि क्यों तुम, आग लिखते हो, सरहिंद के माटी का क्यो, अनुराग लिखते हो, प्रियतमा के प्रेम में कोई, प्रेमगीत लिखते, पर जले सीने का क्यो, ये... Hindi · कविता 11 482 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 11 Feb 2018 · 1 min read बँटवारा सच है की इस मिट्टी में मिल गयें, खून कई बलिदानो का। जो अपने हिस्से का सारा, आसमान भी दे कर चले गए।। चूका न सकेँगे मर के भी कर,... Hindi · कविता 11 414 Share Previous Page 3