ओमप्रकाश भारती *ओम्* Language: Hindi 119 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 ओमप्रकाश भारती *ओम्* 16 Jun 2022 · 1 min read पथ प्रदर्शक पिता पिता हमारा जीवन दाता । हमें इस संसार में लाता ।। पिता बिना जीवन असंभव । करते वह सब कुछ संभव ।। पिता विशाल बरगद की छांव । जिसकी छाया... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 5 339 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 15 Jan 2022 · 1 min read मकर संक्रांति आज फिर आ गई मकर संक्रांति पता नहीं क्या लाएगी शांति या क्रांति एक तो तीसरी लहर , दूसरी वर्षा ओले का कहर इन से आक्रांत है हर प्रहर ,... Hindi · कविता 4 7 294 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 5 Oct 2021 · 1 min read बोल मीठे बोल बोल मीठे बोल भैया , बोल मीठे बोल । दुनिया है गोल भैया , दुनिया है गोल । बोल मीठे बोल भैया...... बोल हैं अनमोल भैया , तौल-तौल कर बोल... Hindi · गीत 2 7 340 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 4 Oct 2021 · 1 min read # मच्छर बालाघाटी # लगाओ मच्छरदानी या खाओ दाल बाटी । हम तो काट के रहेंगे , कहें मच्छर बालाघाटी । आल आउट जलाओ या लगाओ ओडोमास । इसके सामने सब फैल , कोई... Hindi · गीत 3 4 589 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 3 Oct 2021 · 1 min read *कविता* कविता के रस छंद अलंकार । यही हैं उसके सोलह सिंगार ।। रस से रसमय हो जाती प्यारी कविता । छंदों में छंदमय हो जाती न्यारी कविता । अलंकार से... Hindi · कविता 1 1 261 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 2 Oct 2021 · 1 min read *महामारी* हाय रे चायना तूने यह क्या किया ईजाद । सारे जगत को धीरे-धीरे तू कर रहा बर्बाद ।। हाय रे चायना तूने....... रातों को लोग नींद ना आने से हैं... Hindi · गीत 2 2 447 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 1 Oct 2021 · 1 min read जिंदगी चल रही थी जिंदगी धड़धड़ाते हुए , अब चल रही है जिंदगी लड़खड़ाते हुए । बीत रही थी जिंदगी खिलखिलाते हुए , अब बिता रहे हैं जिंदगी बिलबिलाते हुए ।... Hindi · कविता 1 471 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 30 Sep 2021 · 1 min read मजदूरी बनाम मजबूरी कर रहे आप यह दिहाड़ी मजदूरी । लेकिन न बने कभी आपकी मजबूरी । सीख लें अब एक से ज्यादा हुनर । आपत्ति काल से न रहें कभी बेखबर ।।... Hindi · कविता 1 231 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 29 Sep 2021 · 1 min read गर्मी लगे सुहानी ग्रीष्म ऋतु लेकर आई , हाय गर्मी लगे सुहानी । तपती धूप , जलते वन , धरती माता अकुलानी , वन वन प्राणी भटक रहे , ढूंढ रहे हैं पानी... Hindi · गीत 2 440 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 25 Sep 2021 · 1 min read नैतिकता हम भारतवासी ..... नीति नैतिकता नीतिशास्त्र पढ़ाएंगे । भ्रातृ भावना भारत में जगायेंगे । उच्चतम उद्यम उन्नति लाएंगे । कर्म कर कर्मठ कर्तव्य कराएंगे । भ्रष्ट भ्रष्टाचार भारत से भगाएंगे... Hindi · मुक्तक 2 220 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 24 Sep 2021 · 1 min read बरखा बादल गरजे , बिजली चमके , झमाझम पानी बरसे । यही बरखा कहलाए ।। ताल तलैया जल भरपूर , नदियों में आ जाती पूर , खेत गली पानी सब दूर... Hindi · कविता 2 809 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 25 Jun 2021 · 1 min read विरहन प्रियतमा मेरे पिया गए सागर पार , जाने कब आएंगे इस पार । आ गई बरखा बहार , बहे सुहानी मधुर बयार । मेरे पिया ..... मैं विरहन दर्शन की प्यासी... Hindi · कविता 5 415 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 20 May 2021 · 1 min read सावन आया हुई वर्षा , मन हर्षा ,देख मौसम मन भावन का । बूँदें पड़ी , लगी झड़ी ,आया महीना सावन का ।। उजली लड़की , बिजली कड़की , नाच उठा मन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 12 488 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 12 May 2021 · 1 min read नवयुग नवयुग में तकनीकी ने , किया है बंटाधार । नई पीढ़ी मौज करे , बूढ़े रोयें जार-जार ।। मनमानी वे कर रहे , सुनें न उनकी बात । उम्मीदों पर... Hindi · कविता 4 4 450 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 6 May 2020 · 1 min read जन्मदात्री माँ माँ वही है जिसके कदमों में बसता है सारा जहां । कहां भटकता है मनवा तू स्वर्ग तो है सारा यहां ।। जिसने नौ दस मास तुझे अपनी कोख में... Hindi · कविता 6 3 602 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 6 May 2020 · 1 min read लाकडाउन रुखी सुखी खाय के जीवन रहें बिताय । घर से बाहर न निकलें ईश्वर तुम्हें सहाय । बदल गई है दिनचर्या सुबह देखो रामायण । भोजन करके रात में फिर... Hindi · दोहा 3 464 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 4 May 2020 · 1 min read कर्मवीर को ना रोक ये कर्मवीर, ये धर्मवीर , ये महावीर , करके निरोग घर भेज रहे। सेवा अहर्निश,नहीं करें हिश,लेकर विश,एकाकीपन में देख रहे ।। करें जागरूक,तपती धूप,त्यागें भूख,सामाजिक दूरी बनाए रखें ।... Hindi · कविता 5 2 540 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 25 Apr 2020 · 1 min read मौसम और जलवायु भाई यह मौसम है या गिरगिट है , जो नित प्रति रंग बदलता है । कभी सुबह धूप , तो कभी दोपहर बदरी , शाम होते बरसता है ।। बेमौसम... Hindi · कविता 3 2 534 Share ओमप्रकाश भारती *ओम्* 18 Apr 2020 · 1 min read बदल गया इंसान सतयुग बीता, त्रेता बीता, द्वापरयुग भी बीत गया । धीरे-धीरे मानव मन भी मानवता से रीत गया । आज वो अपने स्वारथ हेतु रिश्ते नाते भूल गया । मात पिता... Hindi · मुक्तक 4 2 480 Share Previous Page 3