Comments (7)
16 Jan 2022 09:15 AM
प्रकृति करवट बदल रही है,
नियति मंतव्य बदल रही है,
पाप पुण्य पर हावी है,
मानवता सिसक रही, चहुं ओर लाचारी है ,
कलयुग अवसान प्रारंभित है ,
मृत्यु का सत्य जीवन के यथार्थ पर भारी है,
धन्यवाद !
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Author
13 Jun 2022 12:16 AM
धन्यवाद जी
16 Jan 2022 08:01 AM
बहुत सुंदर वर्णन किया है आपने धन्यवाद आपका जी
उत्कृष्ट रचना,मेरी कविता को भी देखें
अवश्य !
अवश्य