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उत्कृष्ट रचना,मेरी कविता को भी देखें

प्रकृति करवट बदल रही है,
नियति मंतव्य बदल रही है,
पाप पुण्य पर हावी है,
मानवता सिसक रही, चहुं ओर लाचारी है ,
कलयुग अवसान प्रारंभित है ,
मृत्यु का सत्य जीवन के यथार्थ पर भारी है,
धन्यवाद !

उत्कृष्ट रचना,मेरी कविता को भी देखें

धन्यवाद जी

16 Jan 2022 08:01 AM

बहुत सुंदर वर्णन किया है आपने धन्यवाद आपका जी

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