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सरकारी नौकरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यात्राएं करो और किसी को मत बताओ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जो मेरे लफ्ज़ न समझ पाए,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
विश्व कविता दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मां आई
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
चार दिन की जिंदगी किस किस से कतरा के चलूं ?
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक तेरे चले जाने से कितनी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक कहानी है, जो अधूरी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जितना तुझे लिखा गया , पढ़ा गया
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अलसाई शाम और तुमसे मोहब्बत करने की आज़ादी में खुद को ढूँढना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कितना आसान हो गया है धार्मिक भावनाएं आहत होना या करना ! यह स
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
चाहे जितनी हो हिमालय की ऊँचाई
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिससे एक मर्तबा प्रेम हो जाए
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं खंडहर हो गया पर तुम ना मेरी याद से निकले
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पेड़ के हिस्से की जमीन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यहां कोई बेरोजगार नहीं हर कोई अपना पक्ष मजबूत करने में लगा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दूसरों को समझने से बेहतर है खुद को समझना । फिर दूसरों को समझ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पहला प्यार
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
धार्मिक होने का मतलब यह कतई नहीं कि हम किसी मनुष्य के आगे नत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मां
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'